संदर्भ:
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (एनसीडीसी) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में टाइफाइड, डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस और इन्फ्लूएंजा जन स्वास्थ्य के लिए चिंता के विषय के रूप में उभरे हैं।
अन्य संबंधित जानकारी:
- टाइफाइड, जो एक जल जनित रोग है, वर्ष 2022 और 2024 के बीच सबसे आम बीमारी रही।
- इसके उपरांत डेंगू और मलेरिया जैसी वेक्टर जनित रोग सामने आए। मामलों में कमी के बावजूद, स्क्रब टाइफस, विशेष रूप से दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण चिंता बना हुआ है।
- तापमान, वर्षा और आर्द्रता जैसे जलवायु परिवर्तन कारक इस क्षेत्र में इस रोग के प्रसार को बढ़ा रहे हैं।
वेक्टर | रोग के कारक | रोगज़नक़ का प्रकार | |
मच्छर | एडीज | चिकनगुनियाडेंगूलसीका फाइलेरियारिफ्ट वैली बुखारपीला बुखारजीका | वायरस(विषाणु)वायरसपरजीवीवायरसवायरसवायरस |
एनोफेलीज | लसीका फाइलेरियामलेरिया | परजीवीपरजीवी | |
क्यूलेक्स | जापानी मस्तिष्ककोपलसीका फाइलेरियावेस्ट नाइल बुखार | वायरसपरजीवीवायरस |
टाइफाइड के बारे में
- प्रेरक एजेंट: साल्मोनेला एंटरिका सीरोटाइप टाइफी (एस. टाइफी) – एक ग्राम-नकारात्मक जीवाणु।
- संचरण: मुख्य रूप से जल-जनित, दूषित भोजन या पानी के माध्यम से संचरित होता है।
भारत में प्रभाव:
- सालाना लगभग 4.5 मिलियन मामले और 9,000 मौतें।
- 2023 के मानसून सीज़न के दौरान मामलों में 30% की वृद्धि देखी गई।
सरकारी पहल:
- टीकाकरण: टाइफाइड संयुग्मित टीका (टीसीवी) जन्म के समय अनिवार्य है , जिसकी पहली खुराक 9-12 माह के मध्य दी जाती है। इस रणनीति का लक्ष्य शीघ्र रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करना है।
- बेहतर स्वच्छता: स्वच्छ पेयजल और उचित स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने से जल प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है, जो संचरण का एक प्रमुख मार्ग है।
डेंगू के बारे में
- कारक एजेंट: डेंगू वायरस – एडीज मच्छरों द्वारा संचरित होता है।
- संचरण: मच्छर जनित, घरेलू वातावरण (घरों के आसपास) में प्रजनन करने वाले एडीज मच्छरों द्वारा संचरित होता है।
- प्रकोप: नवंबर 2023 के मध्य तक, लगभग 200,000 मामले सामने आए, जिनमें बेंगलुरु और दिल्ली में महत्वपूर्ण मामले देखे गए।
- जोखिम कारक: गर्म तापमान एडीज मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बनता है, जिससे खतरा बढ़ जाता है।
- संवेदनशील जनसंख्या: गर्भवती महिलाएं और शिशु विशेष रूप से गंभीर डेंगू के प्रति संवेदनशील होते हैं।
सरकारी पहल:
- वेक्टर नियंत्रण: फॉगिंग अभियान और लार्विसाइड अनुप्रयोग मच्छरों के प्रजनन स्थलों को लक्षित करते हैं, जिसका लक्ष्य एडीज मच्छरों की आबादी को कम करना है।
- जन जागरूकता अभियान: जनता को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने और मच्छरदानी का उपयोग करने जैसे निवारक उपायों के बारे में शिक्षित करने से जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
- वैक्सीन विकास: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने वाली पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन डेंगवैक्सिया विकसित की है।
मलेरिया के बारे में
- प्रेरक एजेंट: प्लाज्मोडियम परजीवी – संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों द्वारा संचरित होता है।
- प्रजातियाँ: पाँच परजीवी प्रजातियाँ मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं, जिनमें प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम विवैक्स सबसे बड़ा खतरा हैं।
- भारत में व्यापकता: 2022 में, दक्षिण पूर्व एशिया में दर्ज किए गए 5.2 मिलियन मलेरिया मामलों में से 66% मामले भारत में थे।
- उच्च जोखिम वाले समूह: गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे बच्चे गंभीर मलेरिया के प्रति अधिक संवेदनशील वर्ग होते हैं।
सरकारी पहल:
- राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी): यह व्यापक कार्यक्रम देश भर में मलेरिया नियंत्रण प्रयासों का समन्वय करता है।
- बहु-आयामी दृष्टिकोण: एनवीबीडीसीपी विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करता है जैसे:
- कीटनाशकों के साथ इनडोर अवशिष्ट छिड़काव (आईआरएस)।
- दीर्घावधि प्रभावी कीटनाशक उपचारित जाल (एलएलआईएन) का वितरण।
- आर्टीमिसिनिन-संयोजन थेरेपी (एसीटी) के साथ शीघ्र निदान और उपचार।
- वैक्सीन की उम्मीद: 2023 में WHO द्वारा R21/मैट्रिक्स-एम मलेरिया वैक्सीन की पूर्व-योग्यता, भविष्य के नियंत्रित प्रयासों के लिए एक आशाजनक उपकरण प्रदान करती है।
स्क्रब टाइफस:
- इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है ।
- प्रेरक एजेंट: ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया – लार्वा माइट्स (चिगर्स) द्वारा संचरित होता है।
- संचरण: संक्रमित चिगर्स के काटने से संचरित होता है।
- लक्षण: बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और कभी-कभी शरीर पर दाने निकलना।
सरकारी पहल:
- बेहतर निगरानी: स्क्रब टाइफस मामलों की बढ़ती जागरूकता और निगरानी से समय पर निदान और उपचार में सहायता मिलती है।
- एंटीबायोटिक उपलब्धता: स्क्रब टाइफस के खिलाफ प्रभावी व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन तक पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।