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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और मूल संरचना।
संदर्भ:
हाल ही में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (ONOE) विधेयक की समीक्षा करने वाली संसद की संयुक्त समिति के समक्ष उपस्थित हुए।
अन्य संबंधित जानकारी
- बीजेपी सांसद पी.पी. चौधरी की अध्यक्षता में गठित पैनल संविधान (एक सौ उनतालीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की समीक्षा कर रहा है।
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति खेहर ने दोनों ने यह तथ्य उजागर किया कि चुनाव आयोग को राज्य में चुनाव कराने या न कराने के निर्णय के लिए व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं, लेकिन इन शक्तियों की निगरानी के लिए कोई कानून व्यवस्था मौजूद नहीं है।
- इससे पहले की बैठक में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी।
- हालाँकि, दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने तर्क दिया कि विधेयक किसी भी तरह से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है।
- न्यायमूर्ति खेहर ने सुझाव दिया कि संसद या केंद्रीय मंत्रिपरिषद को विधानसभा का चुनाव कराने के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए, जैसा कि संविधान (एक सौ उनतीसवां) संशोधन विधेयक के अनुच्छेद 82A (5) के तहत परिकल्पित है।
- दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने उस प्रावधान में खामियों की ओर ध्यान दिलाया, जिसके अनुसार यदि किसी राज्य विधानसभा का सत्र छोटा कर दिया जाता है, तो शेष अवधि के लिए चुनाव कराने होंगे।
- न्यायमूर्ति खेहर ने पूछा कि यदि शेष अवधि केवल तीन महीने या एक सप्ताह है, तो अपने वर्तमान स्वरूप में कानूनों के अनुसार चुनाव कराने होंगे, जिससे इन विधेयकों को लाने का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने भी इस विचार से सहमति व्यक्त की, यह तर्क देते हुए कि संसद को “शेष अवधि” को परिभाषित करना चाहिए। इसे अपरिभाषित छोड़ने से विभिन्न व्याख्याओं के लिए द्वार खुल जाएंगे और सरकार को राष्ट्रपति शासन लगाने का एक आसान तरीका भी मिल जाएगा।
एक साथ चुनाव
- एक साथ चुनाव का विचार लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव चक्रों को एक साथ लाने का प्रस्ताव करता है।
- यह मतदाताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही दिन सरकार के दोनों स्तरों के लिए अपना मत डालने की अनुमति देगा, हालांकि देश भर में मतदान अभी भी चरणों में हो सकता है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- एक साथ चुनाव की अवधारणा भारत में कोई नया विचार नहीं है। संविधान को अपनाने के बाद, 1951 से 1967 तक लोक सभा और सभी राज्य विधान सभाओं के चुनाव एक साथ कराए गए थे।
- लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के लिए पहले आम चुनाव 1951-52 में एक साथ हुए थे, यह प्रथा 1957, 1962 और 1967 के तीन लगातार आम चुनावों में जारी रही।
- एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति:
- पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव संबंधी उच्च स्तरीय समिति का गठन भारत सरकार द्वारा 2 सितंबर 2023 को किया गया था।
- समिति ने व्यापक सार्वजनिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया मांगी और इस प्रस्तावित चुनावी सुधार से जुड़े संभावित लाभों और चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए विशेषज्ञों से परामर्श किया।

Source: The Hinduhttps://www.thehindu.com/news/national/former-cjis-khehar-chandrachud-appear-before-parliamentary-committee-on-simultaneous-elections/article69799577.ece