संदर्भ:

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के प्रत्येक ज़िले में एक छोटी नदी के पुनर्जीवन के लिए एक नई परियोजना शुरू की है।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

  • इस पहल के समर्थन में, तीन आईआईटी और अन्य तकनीकी संस्थानों को नदी की दिशा निर्धारण, प्रवाह सुधार और जल प्रवाह को सतत बनाए रखने पर अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया गया है।
  • यह पहल मुख्यमंत्री के उस निर्देश के बाद शुरू हुई है जिसमें उन्होंने सभी 75 ज़िलों के ज़िलाधिकारियों को कम से कम एक नदी के पुनर्जीवन का कार्य शुरू करने का आदेश दिया था।
  • सरकार की योजना के अनुसार, प्रत्येक नदी को उसके उद्गम स्थल से लेकर अंतिम संगम तक चिन्हित किया जाएगा।
  • ज़िला प्रशासन को इस परियोजना को लागू करने के लिए एक “संयुक्त कार्य योजना” बनाने का कार्य सौंपा गया है।
  • कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और निगरानी हेतु, प्रत्येक मंडल स्तर पर संबंधित मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति गठित की गई है।
  • इस नदी पुनर्जीवन परियोजना को आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू, आईआईटी रुड़की और BBAU लखनऊ जैसे प्रमुख तकनीकी संस्थानों से तकनीकी सहयोग प्राप्त हो रहा है।
  • ये संस्थान प्रत्येक नदी के लिए विस्तृत भौगोलिक, पारिस्थितिकीय और सामाजिक अध्ययन के आधार पर विशेष योजनाएं बना रहे हैं।
  • यह अभियान मूल रूप से 2018 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत शुरू किया गया था, जो अब एक अधिक संरचित और तकनीकी रूप से सशक्त मिशन का रूप ले चुका है।
  • कार्यक्रम में धारा की सफाई, जल प्रवाह सुनिश्चित करना, वर्षा जल संचयन और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान जैसे कार्य शामिल हैं।
  • इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए 10 विभागों — सिंचाई, लघु सिंचाई, पंचायती राज, वन, बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य, नगर विकास, उत्तर प्रदेश राज्य जल संसाधन एजेंसी, ग्रामीण विकास और राजस्व विभाग के बीच समन्वय स्थापित किया गया है।
  • ये सभी विभाग ज़िला स्तर पर मिलकर नदी पुनर्जीवन की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
  • स्थानीय नदी तंत्र की निगरानी और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए ज़िला गंगा समितियों को जिम्मेदारी दी गई है, ताकि पुनर्जीवन प्रक्रिया सतत, समावेशी और जनसहभागिता से जुड़ी हो।
  • प्रत्येक ज़िले को निर्देश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में नदी के किनारों पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करें।
  • ज़िला स्तर पर नदी की सफाई, जल प्रवाह की पुनर्बहाली और तालाबों व चेक डैम जैसे संबंधित जल स्रोतों के संरक्षण के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाई जाएगी।
  • इस पहल के अंतर्गत श्रावस्ती ज़िले की लगभग 67 किलोमीटर लंबी बुढ़ी राप्ती नदी के पुनर्जीवन का कार्य शुरू हो चुका है।
  • नदियों की दिशा और बहाव का मानचित्रण रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से किया जा रहा है।
  • एक अन्य नदी मंनोरमा, जो गोंडा से निकलती है और बस्ती ज़िले में कुआनों नदी में मिलती है, उसके पुनर्जीवन कार्य भी शुरू हो चुके हैं।
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