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सामान्य अध्ययन 3: आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टेक्नोलॉजी, जैव-टेक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता ।
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की एक्सिओम-4 मिशन पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा भारतीय अंतरिक्ष में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
अन्य सम्बन्धित जानकारी
- शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे, जिन्हें इसके संचालन का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त होगा। उनका यह अनुभव इसरो के गगनयान के बाद अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के भविष्य के लक्ष्य में सहायक होगा ।
- यह मिशन सूक्ष्मगुरुत्व (Micro Gravity) या शून्य गुरुत्वाकर्षण में वैज्ञानिक प्रयोगों को समर्थन देता हैं, तथा पदार्थ विज्ञान, जीव विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है
- वैश्विक स्तर पर, अंतरिक्ष बाजार का मूल्य लगभग 500 बिलियन डॉलर है, और वर्ष 2030 तक इसके दोगुना होने की उम्मीद है। एक प्रमुख अंतरिक्ष यात्रा करने वाला देश होने के बावजूद, भारत इस बाजार में केवल 2% की हिस्सेदारी रखता है।
एक्सिओम-4 मिशन (X-4 मिशन) के बारे में

- एक्सिओम 4 मिशन को निजी अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा नासा और स्पेसएक्स के साथ साझेदारी में संचालित किया जा रहा है। यह मिशन फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से उड़ान भरेगा।
- X-4 मिशन में संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतर्राष्ट्रीय चालक दल शामिल हैं।
- चालक दल स्पेसएक्स ड्रैगन पर सवार होकर आई.एस.एस. तक जाएगा और 14 दिनों तक विज्ञान, शिक्षा और वाणिज्यिक गतिविधियों में संलग्न रहेगा।
- एक प्रयोग में सायनोबैक्टीरिया का अध्ययन किया गया, जो पौधों की तरह प्रकाश संश्लेषण करते हैं, ताकि गहरे अंतरिक्ष मिशनों में ऑक्सीजन उत्पादन तथा चंद्रमा या अन्य ग्रहों पर दीर्घकालिक मानवीय उपस्थिति के लिए उनकी क्षमता का पता लगाया जा सके।
- एक्सिओम-4 मिशन में मधुमेह रोगियों को अंतरिक्ष यात्रा में मदद करने पर केंद्रित अध्ययन शामिल है। वर्तमान में, इंसुलिन पर निर्भर लोगों को अंतरिक्ष यात्री के रूप में नहीं चुना जाता है।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि अंतरिक्ष की स्थितियां, विशेषकर सूक्ष्मगुरुत्व, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना कठिन बना देती हैं।
- हालांकि, वैज्ञानिक इस समस्या को हल करने के लिए वर्षों से काम कर रहे हैं। एक्सिओम-4 पर मधुमेह अनुसंधान मधुमेह रोगियों के लिए अंतरिक्ष यात्रा को संभव बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
जीरो-जी संकेतक के बारे में
- जीरो-जी इंडिकेटर एक छोटी वस्तु है, जो प्रायः लचीली (Plushie) [नरम, स्टफीज़ खिलौने] होती है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को एक दृश्य संकेत प्रदान करती है कि वे भारहीनता की स्थिति में प्रवेश कर चुके हैं। एक्सिओम-4 मिशन के लिये ज़ीरो-जी इंडिकेटर एक स्वॉन प्लशी (Swan Plushie) (हंस) है जिसका नाम ‘जॉय’ है
- हंस प्लुशी का चयन इसलिए किया गया, क्योंकि यह भारत, हंगरी और पोलैंड में बुद्धिमत्ता, निष्ठा, लचीलापन और प्रकृति की सुंदरता जैसे गुणों का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत के लिए मिशन का महत्व
- एक्सिओम-4 मिशन में भारत की भागीदारी इसरो और नासा के बीच हुए समझौते का परिणाम है। इस मिशन में कई प्रयोग किए गए हैं, जिनके परिणाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को अपने स्वयं के मानवयुक्त अंतरिक्ष यान, गगनयान को निष्पादित करने में मदद करेंगे ।
- इसरो ने 10 प्रयोगों की योजना बनाई है, जिनमें मांसपेशियों पर सूक्ष्मगुरुत्व के प्रभाव, अंतरिक्ष में स्क्रीन का उपयोग, तथा अंतरिक्ष उड़ान के दौरान छह फसल बीजों की किस्मों की वृद्धि पर अध्ययन शामिल हैं।
- इसरो, अंतरिक्ष में जीवन कैसे कायम रह सकता है, इसका अध्ययन करने के लिए, अति चरम स्थितियों में जीवित रहने के लिए जाने जाने वाले सूक्ष्म जीवों, टार्डिग्रेड्स को आई.एस.एस. भेज रहा है।
- ये वे प्रयोग हैं जो इसरो ने गगनयान पर किए होते अगर मिशन एक्सिओम-4 से पहले जाता;अब उसके पास अपने मिशनों पर अनुवर्ती और अधिक उन्नत प्रयोग करने का अवसर है।
- इसरो टार्डिग्रेड्स नामक छोटे जीवों को भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेज रहा है।
- ये सूक्ष्म, जल में रहने वाले जीव, जिन्हें जल भालू या मॉस पिगलेट के नाम से भी जाना जाता है, विषम परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए प्रसिद्ध हैं।
- वैज्ञानिक अंतरिक्ष में इनका अध्ययन करते हैं ताकि यह पता लगा सकें कि बाह्य अंतरिक्ष या अन्य ग्रहों पर जीवन कैसे जीवित रह सकता है।
- इसरो की वेबसाइट के अनुसार, अल्पकालिक लक्ष्य मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक भेजना है।
- दीर्घकाल में, इसका उद्देश्य सतत भारतीय मानव अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम के लिए एक मजबूत आधार तैयार करना है।
- इस जटिल तकनीक को भारत में विकसित करके, इस लक्ष्य को प्राप्त करना, इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।