संदर्भ:
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में पांच अत्याधुनिक ‘बीज पार्क’ स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसे राज्य के पाँच कृषि-आर्थिक क्षेत्रों में (प्रत्येक में एक) स्थापित किया जाएगा।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
- राज्य मंत्रिमंडल द्वारा मान्यता प्राप्त ‘बीज पार्क’ का नाम पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर रखा जाएगा, जो कृषि में उनके योगदान को स्मरण करता है।
- पहला बीज पार्क लखनऊ के अटारी क्षेत्र में 130 एकड़ में 266 करोड़ रुपये के निवेश से विकसित किया जाएगा।
- इसमें बीज उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, स्पीड ब्रीडिंग और हाइब्रिड अनुसंधान के लिए उन्नत सुविधाएं होंगी।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई क्षेत्र, मध्य क्षेत्र और बुंदेलखंड के लिए अतिरिक्त पार्कों की योजना बनाई गई है।
- ये पार्क सार्वजनिक–निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से स्थापित किए जाएंगे, जिसमें बीज कंपनियों को 30 साल की अवधि के लिए भूमि पट्टे पर दी जाएगी।
- सबसे बड़े कृषि राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश में 165 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें दो फसलों (खरीफ और रवि) को मिलाकर खेती लगभग 270 लाख हेक्टेयर में होती है।
- इस पर कृषि करने के लिए लगभग 70 लाख क्विंटल (या सात लाख मीट्रिक टन) बीज की आवश्यकता है।
- हालांकि, राज्य वर्तमान में केवल 46 लाख क्विंटल उत्पादन करने में सक्षम है, शेष पड़ोसी राज्यों से प्राप्त किया जाता है।
- उत्तर प्रदेश के भीतर बीज उत्पादन को बढ़ावा देने और गुणवत्ता वाले बीजों का प्रमाणीकरण सुनिश्चित करने के लिए, राज्य में बीज पार्कों के विकास के लिए मंजूरी दी गई है।
- उत्तर प्रदेश को नौ कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, इनमें से पांच क्षेत्रों में बीज पार्क विकसित किए जाएंगे।
- इसका लक्ष्य अन्य राज्यों पर निर्भरता को कम करना और अन्य क्षेत्रों में बीजों के निर्यात को सक्षम बनाना है।
- उत्तर प्रदेश वर्तमान में संकर बीज का उत्पादन नहीं करता है, और लगभग 7,000 करोड़ रुपये के बीज उद्योग में से लगभग 3,500 करोड़ रुपये बीज अन्य राज्यों से प्राप्त किए जाते हैं।
- इसलिए, इसका उद्देश्य इस बाजार का दोहन करना और राज्य के भीतर बीज उत्पादन को बढ़ावा देना है।
