संदर्भ: 

हाल ही में इंदौर लोकसभा क्षेत्र में नोटा के लिए 2 लाख से अधिक वोट प्राप्त हुये।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • इंदौर में असाधारण परिणाम यह है कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में अब तक “उपरोक्त में से कोई नहीं” (नोटा) विकल्प को सबसे अधिक वोट मिले हैं।
  • पिछला NOTA रिकॉर्ड 2019 में गोपालगंज, बिहार का था, जब 51,660 मतदाताओं ने NOTA के लिए वोट दिया था।

नोटा कब और क्यों शुरू किया गया?

  • सितंबर 2013 में भारतीय चुनाव आयोग  को मतदाताओं के लिए नोटा विकल्प शुरू करने का निर्देश दिया था।

• 2004 में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मतदाताओं के मताधिकार के प्रयोग के ‘गोपनीयता के अधिकार’ की रक्षा के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की थी। 

  • उन्होंने तर्क दिया कि निर्वाचन संचालन नियम, 1961 गोपनीयता के पहलू का उल्लंघन करता है, क्योंकि पीठासीन अधिकारी (ECI से) उन मतदाताओं का रिकॉर्ड रखता है जो मतदान नहीं करना चाहते हैं, साथ ही इस अधिकार का प्रयोग करने वाले प्रत्येक मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान भी रखता है।

गोपनीयता का अधिकार क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, किसी भी मतदाता को प्रतिशोध, दबाव या जबरदस्ती और बिना किसी भी के अपना वोट डालने का अधिकार है।

  • केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि मतदान का अधिकार “पूरी तरह से एक वैधानिक अधिकार है” (क्योंकि यह कानून द्वारा प्रदान किया गया है, संविधान द्वारा नहीं) और केवल वे मतदाता ही गोपनीयता का अधिकार रखते हैं, जिन्होंने अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग किया है, न कि वे लोग, जिन्होंने मतदान ही नहीं किया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि “चाहे मतदाता अपना वोट डालने का निर्णय ले या न डालने का, दोनों ही मामलों में गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिए।”

यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में NOTA को सबसे अधिक वोट प्राप्त होते हैं, तो ?

  • नोटा का कोई कानूनी प्रभाव नहीं है – भले ही किसी सीट पर सबसे अधिक वोट नोटा मिले हों, फिर भी दूसरा सबसे सफल उम्मीदवार जीतता है।
  • वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय एक अन्य याचिका पर विचार कर रहा है, जिसमें कहा गया है कि यदि निर्वाचन क्षेत्र में NOTA को सबसे अधिक वोट प्राप्त होते हैं तो चुनाव को “अमान्य” माना जाए।

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