संदर्भ: 

हाल ही में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने “टेकर्स, नॉट मेकर्स” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की , जिसके अनुसार ब्रिटेन ने औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत से भारी मात्रा में संपत्ति का निष्कर्षण किया।

रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु 

  • रिपोर्ट के अनुसार, 1765-1900 के बीच भारत से 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर ब्रिटेन भेजे गए।
  • इस अवधि के औसत आय वितरण के आधार पर, 17.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर ब्रिटेन के सबसे अमीर 1% लोगों के पास गये, तथा 33.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर सबसे अमीर 10% लोगों के पास गये थे।
  • कुल निकाली गई सम्पत्ति का 52% हिस्सा सर्वाधिक धनी वर्ग को प्राप्त हुआ, इसके अलावा उपनिवेशवाद के मुख्य लाभार्थी नव-उभरता मध्यम वर्ग था, जिसे आय का 32% प्राप्त हुआ।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि 1750 में भारतीय उपमहाद्वीप में वैश्विक औद्योगिक उत्पादन का लगभग 25% हिस्सा था। हालाँकि, 1900 तक यह आँकड़ा बहुत कम होकर मात्र 2% रह गया था।
  • रिपोर्ट में आधुनिक समानताओं पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें बताया गया है कि ग्लोबल साउथ में समान कौशल वाले काम के लिए वेतन ग्लोबल नॉर्थ में समकक्ष काम की तुलना में 87-95% कम है।

गणना पद्धति

  • लेखकों ने 1765 से 1900 तक भारत से यू.के. को डॉलर के हिसाब से 1947 तक कुल 1.925 ट्रिलियन डॉलर की राशि का अनुमान लगाया है। 2020 तक समायोजित और संचयी होने पर यह आँकड़ा 64.82 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच जाता है।

ऑक्सफैम के बारे में

  • इसका गठन 1995 में स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठनों के एक समूह द्वारा किया गया था।
  • इसका “ऑक्सफैम” नामकरण 1942 में ब्रिटेन में स्थापित ऑक्सफोर्ड कमेटी फॉर फैमिन रिलीफ से आया है।
  • यह 21 स्वतंत्र चैरिटेबल संगठनों का एक संघ है जो 90 से अधिक देशों में साझेदारों और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
  • संगठन का उद्देश्य ज्ञान और संसाधनों को साझा करना तथा निर्धनता और अन्याय के खिलाफ लड़ाई में उनके प्रयासों को संयोजित करना है।
  • ऑक्सफैम का अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय नैरोबी, केन्या में स्थित है।
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