संदर्भ:
हाल ही में, भारत सरकार ने राजमार्ग टोल संग्रह के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (Global Navigation Satellite System-GNSS) को लागू करने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य टोल संग्रह की प्रक्रिया को आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाना है।
अन्य संबंधित जानकारी
- हाल ही में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways-MoRTH) ने GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह से संबंधित प्रावधानों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों एवं संग्रहण का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन को अधिसूचित किया है।
- यह नई प्रणाली वाहनों को टोल प्लाजा पर बिना रुके टोल प्लाजा से गुजरने की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे फास्टैग (FASTag) जैसी पारंपरिक विधियों से संबंधित देरी की समस्या समाप्त हो जाएगी।
- अप्रैल, 2025 तक जीएनएसएस (GNSS) प्रणाली को लागू किया जाना है, जो अंततः राजमार्ग पर टोल संग्रह के लिए प्रयोग होने वाली मौजूदा फास्टैग प्रणाली की जगह ले लेगी।
- हालाँकि, प्रारंभिक चरण में, GNSS-आधारित टोलिंग और फास्टैग दोनों एक-साथ काम करेंगे।
- नई प्रणाली के तहत, GNSS प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने वाले वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर तक प्रतिदिन टोल-मुक्त यात्रा की सुविधा मिलेगी, तथा उसे 20 किलोमीटर से आगे जाने पर शुल्क देना होगा।
GNSS के माध्यम से टोल संग्रह करने की प्रक्रिया
- ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) प्रणाली में वाहनों की गतिविधियों पर नज़र रखने तथा निर्धारित दूरी के आधार पर टोल की गणना करने के लिए उपग्रहों का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, वाहनों में अहस्तांतरणीय ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगाना होगा, जो वास्तविक समय (रियल टाइम) में ट्रैक करने के लिए उपग्रह प्रणालियों के साथ जुड़ा होगा।
- ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) लगे वाहन निर्दिष्ट लेन से गुजरेंगे और उनकी आवागमन पर उपग्रह के माध्यम से नज़र रखी जाएगी, जिससे जुड़े बैंक खातों से स्वतः ही टोल की राशि कट जाएगी।
- जीएनएसएस न लगे वाहनों को जीएनएसएस के लिए समर्पित लेन में प्रवेश करने पर जुर्माने के रूप में दोगुना टोल देना होगा।
- यह फास्टैग प्रणाली में जारीकर्ता बैंकों की अवधारणा के समान ही होगा।
GNSS को लागू करने के लाभ
- GNSS के लागू होने से टोल प्लाजा पर भीड़भ में काफी कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि इससे वाहनों को बिना रुके समर्पित लेन से गुजरने की सुविधा मिलेगी।
- GNSS-आधारित टोल संग्रह, फास्टैग की निश्चित शुल्क संरचना के विपरीत, पे-एज-यू-यूज प्रणाली का पालन करते हुए, यात्रा की गई दूरी के आधार पर टोल राशि को वसूलता है।