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सामान्य अध्ययन-2: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।
संदर्भ: हाल ही में, नीति आयोग ने “विनिर्माण की पुनर्कल्पना: उन्नत विनिर्माण में वैश्विक नेतृत्व के लिए नीति आयोग का रोडमैप” शीर्षक से एक रणनीतिक रोडमैप लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाकर 2035 तक भारत को अत्याधुनिक विनिर्माण में शीर्ष तीन वैश्विक दिग्गजों में सुमार करना है।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस रोडमैप का लक्ष्य 2035 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत से अधिक बढ़ाना और 10 करोड़ रोजगारों का सृजन करना है।
- यह 13 प्राथमिकता प्राप्त विनिर्माण क्षेत्रों में अग्रणी प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने पर केंद्रित है।
- यह दस्तावेज़ भारतीय उद्योग परिसंघ (CII ) और डेलॉइट के सहयोग से एक विशेषज्ञ परिषद के मार्गदर्शन में तैयार किया गया है।
रोडमैप की मुख्य विशेषताएं
- रोडमैप में विनिर्माण क्षेत्र के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, उन्नत सामग्री, डिजिटल ट्विन्स और रोबोटिक्स को प्रमुख प्रौद्योगिकी सक्षमकर्ता के रूप में चिन्हित किया गया है।
- यह अनुसंधान एवं विकास क्षमता में सुधार, औद्योगिक अवसंरचना को अपग्रेड करने और कुशल कार्यबल के निर्माण हेतु 10-वर्षीय कार्य योजना निर्धारित करता है।
- यह विनिर्माण कार्यों के आधुनिकीकरण और पारंपरिक प्रणालियों पर निर्भरता को कम करने के लिए समन्वित सरकारी और उद्योग प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- इसमें अनुमान लगाया गया है कि यदि फ्रंटियर (Frontier) तकनीक को अपनाने में देरी हुई तो भारत को 2035 तक विनिर्माण जीडीपी में 270 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
- इसमें आगे चेतावनी दी गई है कि यदि सुधारों की गति धीमी रही तो वर्ष 2047 तक यह नुकसान 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है।
- इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि विकसित भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वृद्धिशील परिवर्तन से परिवर्तनकारी परिवर्तन की ओर संक्रमण होना चाहिए।
- महाराष्ट्र इस मिशन को पूर्ण पैमाने पर क्रियान्वित करने वाला पहला राज्य बनने के लिए प्रतिबद्ध है।
रोडमैप को तीन चरणों में संरचित किया गया है
• चरण 1 (FY2026 – FY2028): इकोसिस्टम निर्माण और अपनाना
- राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन (NMM) के तहत उन्नत विनिर्माण को एक रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में स्थापित करना|
- भारत में उत्कृष्टता केंद्र (CoE) के रूप में ग्लोबल फ्रंटियर टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (GFTI) की स्थापना|
- अग्रणी तकनीकी क्षमताओं पर केंद्रित बड़े पैमाने पर, मॉड्यूलर और क्लस्टर-संरेखित कार्यक्रमों के माध्यम से भविष्य के लिए तैयार कौशल इकोसिस्टम का विकास करना|
- ऐसे प्रौद्योगिकी पहुंच प्लेटफॉर्म का निर्माण करना जो प्रवेश बाधाओं को कम करने के लिए समावेशी हों और यह सुनिश्चित करें कि उन्नत विनिर्माण क्षमताएं मूल्य श्रृंखला में व्यापक रूप से उपलब्ध हों।
- उन्नत विनिर्माण में अग्रणी संगठनों द्वारा संचालित उद्यम स्तर पर प्रौद्योगिकी ग्राह्यता को बढ़ावा देना|
- विनिर्माण क्लस्टरों और क्षेत्रों में फ्रंटियर प्रौद्योगिकी-सक्षम आपूर्ति श्रृंखला मॉडल तैयार करना ताकि निर्बाध मूल्य श्रृंखला एकीकरण और लोकतांत्रिक प्रौद्योगिकी पहुंच संभव हो सके|
- राज्यों और क्षेत्रों के सहयोग से भारत भर में बीस “प्लग एंड प्ले फ्रंटियर टेक्नोलॉजी सक्षम औद्योगिक पार्कों” के निर्माण के माध्यम से फ्रंटियर टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को सक्षम करने के लिए डिजिटल और औद्योगिक बुनियादी ढांचे का परिनियोजन|
चरण 2 (FY2029 – FY2031): तेजी
- भारत के विनिर्माण परिदृश्य को उत्पाद निर्माता से समाधान प्रदाता में बदलने के लिए ‘विनिर्माण के सेवाकरण (Servicification of Manufacturing) को बढ़ावा देना|
चरण 3 (FY2032 – FY2035): जारी रखना
- भारत में फ्रंटियर प्रौद्योगिकियों के परिपक्वता स्तर की निरंतर निगरानी और भविष्य में लक्षित हस्तक्षेपों की योजना बनाना।
