संदर्भ:
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अपनी वार्षिक उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट (EGR) जारी की, जिसमें वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में खतरनाक रुझान का खुलासा किया गया।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का पेरिस समझौते का लक्ष्य कुछ वर्षों में अप्राप्य हो सकता है, यहां तक कि 2 डिग्री सेल्सियस की सीमा भी पार होने का खतरा बना रहेगा, जब तक कि देश दो वर्षों में वैश्विक उत्सर्जन को कम करने के लिए अपने जलवायु कार्यों को नाटकीय ढंग से नहीं बढ़ाते।
- इसमें आगे बताया गया है कि यदि देश अपनी वर्तमान पर्यावरण नीतियों को जारी रखते हैं, तो सदी के अंत तक पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में तापमान में 3.1°C की वृद्धि हो जाएगी।
- रिकॉर्ड-तोड़ उत्सर्जन स्तर: वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वर्ष 2023 में अभूतपूर्व 57.1 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) समतुल्य तक पहुंच गया, जो वर्ष 2022 से 1.3% की वृद्धि को दर्शाता है।
- प्रमुख उत्सर्जक: चीन और भारत ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय वृद्धि प्रदर्शित की है, जिसमें वर्ष 2023 में क्रमशः 5.2% और 6.1% की वृद्धि हुई है, जिससे उत्सर्जन में वैश्विक वृद्धि में योगदान मिला है।
उत्सर्जन में असमानता: रिपोर्ट में उत्सर्जन में महत्वपूर्ण असमानताओं पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें शीर्ष छह उत्सर्जक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 63% का योगदान करते हैं।
- अफ्रीकी संघ को छोड़कर जी-20 सदस्य देशों का वर्ष 2023 में उत्सर्जन में 77% योगदान रहा। इसके विपरीत, सबसे कम विकसित देशों का योगदान केवल 3% रहा।
- भारत 4,140 MtCO2e के साथ विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है, जो चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद है, हालांकि भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है।
अपर्याप्त कटौती: वर्तमान जलवायु क्रियाकलाप वर्ष 2019 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में केवल 10% की कमी कर सकते हैं, जो 1.5°C लक्ष्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक 42% कटौती से बहुत कम है।
सिफारिशें
- अगले वर्ष तक प्रत्येक देश को जो अद्यतन जलवायु कार्ययोजनाएं प्रस्तुत करनी होंगी, वे वर्तमान योजनाओं से काफी अधिक मजबूत होनी चाहिए।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.5°C के लक्ष्य को बनाए रखने के लिए वर्ष 2035 तक हर साल कम से कम 7.5% की कमी के साथ तीव्र बदलाव आवश्यक है।
- रिपोर्ट में उत्सर्जन में कमी के लिए निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि का आग्रह किया गया है तथा अनुमान लगाया गया है कि 200 डॉलर प्रति टन के समतुल्य कार्बनडाइऑक्साइड की लागत से वर्ष 2030 तक उत्सर्जन अंतर को कम किया जा सकता है