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संदर्भ:
उत्पादन अंतराल रिपोर्ट 2025 के अनुसार, वैश्विक जीवाश्म ईंधन उत्पादन योजनाएँ 1.5°C पेरिस समझौते के लक्ष्य से 120% से अधिक स्तर तक बढ़ने वाली हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु
• अत्यधिक कोयला उत्पादन:
- कोयला अब भी सबसे अधिक असंगत जीवाश्म ईंधन बना हुआ है।
- वर्ष 2030 तक वैश्विक कोयला उत्पादन 1.5°C तापमान लक्ष्य के माध्य मार्ग से 500% अधिक और 2°C लक्ष्य से 330% अधिक रहने का अनुमान है।
• तेल और गैस उत्पादन अंतर:

- 2030 तक नियोजित तेल और गैस उत्पादन, पेरिस समझौते के अनुरूप सीमाओं से क्रमशः 31% और 92% अधिक है।
- पेरिस समझौते के अनुरूप रहने के लिए:
- 2040 तक कोयले का उपयोग लगभग पूरी तरह बंद करना होगा।
- 2050 तक, 2020 के स्तर की तुलना में तेल और गैस उत्पादन में लगभग 75% की कमी आवश्यक है।
- वर्तमान प्रवृत्तियाँ इसके विपरीत संकेत देती हैं — वर्ष 2050 में जीवाश्म ईंधन उत्पादन 1.5°C-संगत स्तरों से 4.5 गुना अधिक रहने का अनुमान है।
राजकोषीय बोझ:
- सरकारों द्वारा जीवाश्म ईंधनों को दिए जा रहे समर्थन का राजकोषीय बोझ अब भी रिकॉर्ड स्तर के करीब बना हुआ है,
- जबकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अप्रभावी सब्सिडी को समाप्त करने की प्रतिबद्धता बार-बार दोहराई गई है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- 20 प्रमुख जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों में से केवल 6 ही ऐसे हैं, जो अपनी घरेलू योजनाओं को राष्ट्रीय और वैश्विक नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप बना रहे हैं।
- इसके विपरीत, चीन, अमेरिका, सऊदी अरब, ब्राज़ील और नाइजीरिया जैसे देश अपने जीवाश्म ईंधन निष्कर्षण में वृद्धि कर रहे हैं।
- नाइजीरिया ने हाल ही में अपने 2030 तेल उत्पादन लक्ष्य को दोगुना कर दिया है।
- ब्राज़ील वर्ष 2030 तक तेल उत्पादन में 47% की वृद्धि का अनुमान लगा रहा है।
- चीन और भारत की राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियाँ अब भी कोयले में अपेक्षा से धीमी गिरावट का समर्थन कर रही हैं।
सिफारिशें
- जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप उत्पादन योजनाएं बनाएं: सरकारों को अपनी जीवाश्म ईंधन उत्पादन योजनाओं की पुनर्समीक्षा करनी चाहिए ताकि वे पेरिस समझौते में निर्धारित वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप हों।
- अप्रभावी सब्सिडी को चरणबद्ध रूप से समाप्त करना: देशों को चाहिए कि वे जीवाश्म ईंधनों के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने वाली सब्सिडियों को समाप्त करने की अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करें।
- नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश मे वृद्धि: जीवाश्म ईंधनों से निवेश हटाकर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर मोड़ें, ताकि निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर सुगम और स्थायी संक्रमण सुनिश्चित हो सके।
- न्यायसंगत परिवर्तन (Just Transition) सुनिश्चित करना: उन समुदायों और श्रमिकों का समर्थन करने वाली नीतियाँ लागू करें, जो जीवाश्म ईंधनों से दूर जाने की प्रक्रिया से प्रभावित होंगे, ताकि समान और न्यायसंगत आर्थिक अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।
रिपोर्ट के बारे में
- यह प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट का पाँचवाँ संस्करण है, जिसका पहला संस्करण वर्ष 2019 में जारी किया गया था।
- रिपोर्ट को स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट (SEI), क्लाइमेट एनालिटिक्स, और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD) जैसे प्रमुख शोध संस्थानों द्वारा तैयार किया गया है, और इसे संयुक्त राष्ट्र (UN) का समर्थन प्राप्त है।
- यह रिपोर्ट यह विश्लेषण करती है कि सरकारों द्वारा नियोजित जीवाश्म ईंधन उत्पादन और वैश्विक स्तर पर 1.5°C या 2°C तापमान सीमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक उत्पादन स्तरों के बीच कितना अंतर है।
- यह रिपोर्ट दुनिया भर के अनेक शोध और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से तैयार की गई है, जिसमें 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के इनपुट और समीक्षाएँ शामिल हैं।
- रिपोर्ट का बाहरी समीक्षकों (Peer Reviewers) द्वारा गहन समीक्षा (External Peer-Reviewed) की गई है।
- इस वर्ष की रिपोर्ट में 2023 की उत्पादन अंतराल रिपोर्ट की तुलना में अद्यतन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जिसमें 20 प्रमुख जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों की योजनाओं और अनुमानों की गहराई से समीक्षा की गई है।
Sources:
Production Gap
Down To Earth
Sei