संदर्भ: 

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने घोषणा की है कि उत्तर भारत की पहली परमाणु ऊर्जा परियोजना हरियाणा के गोरखपुर में स्थापित की जा रही है।

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गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना (GHAVP) हरियाणा राज्य के फतेहाबाद जिले में स्थित है।

गोरखपुर परमाणु विद्युत परियोजना में 700 मेगावाट की दो जुड़वां इकाइयां शामिल हैं, अर्थात GHAVP-1 और 2 (2X700 मेगावाट) और GHAVP-3 और 4 (2X700 मेगावाट), जो इस विस्तृत योजना के तहत उत्तर भारत की पहली परमाणु ऊर्जा परियोजना के रूप में विकसित होगी।

हरियाणा के गोरखपुर स्थल पर भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो चुका है तथा परियोजना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।

सरकार ने जैतापुर परमाणु संयंत्र द्वारा भारत के 100 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य में 10% योगदान देने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुनः पुष्टि की है।

जैतापुर संयंत्र (महाराष्ट्र) में, एक बार संचालन शुरू होने पर, छह परमाणु रिएक्टर स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1,730 मेगावाट होगी, जिससे कुल उत्पादन 10,380 मेगावाट होगा। यह 2047 तक भारत के 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा लक्ष्य का 10% योगदान करेगा।

  • यह परियोजना पूरी होने पर भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र बन जाएगा।

महत्व

  • ये परियोजनाएं भारत के 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य के अनुरूप हैं।
  • इससे परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

भारत में वर्तमान परमाणु ऊर्जा परिदृश्य:

  • भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता पिछले दशक में काफी बढ़ी है, जो 2014 में 4,780 मेगावाट से लगभग दोगुनी होकर 2024 में 8,180 मेगावाट हो गयी है।
  • फरवरी 2025 में वित्त मंत्री ने घोषणा की कि “हमारे ऊर्जा संक्रमण प्रयासों के लिए 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का विकास आवश्यक है।”
  • केंद्रीय बजट 2025-26 में लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के अनुसंधान और विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसका उद्देश्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए परिचालन SMR स्थापित करना है।
  • देश में परमाणु अयस्क उपलब्ध हैं जिनसे कुल मिलाकर लगभग 78,000 टन यूरेनियम धातु और लगभग 518,000 टन थोरियम धातु निकाली जा सकती है। 
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