प्रसंग:

उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र प्रायोजित मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) योजना के तहत खजूर (डेट पाम) की वाणिज्यिक खेती की योजना बना रही है।

समाचार की मुख्य बातें:

  • राज्य ने वर्ष 2025-26 के लिए खजूर की खेती का लक्ष्य मात्र 5 हेक्टेयर निर्धारित किया है।
  • खजूर की खेती के लिए अनुकूल जलवायु स्थितियों को देखते हुए, विंध्य क्षेत्र का मिर्जापुर और बुंदेलखंड का जालौन संभावित उत्पादन क्षेत्र के रूप में चिन्हित किए गए हैं।
  • डेट पाम की खेती को केंद्र प्रायोजित MIDH योजना के अंतर्गत एक नए घटक के रूप में शामिल किया गया है, जिसमें राज्यों को विशेष लक्ष्य दिए गए हैं।
  • राज्य उद्यान विभाग ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी जैसी व्यावसायिक रूप से लाभकारी फलों की खेती को भी बढ़ावा देने की योजना बना रहा है।
  • डेट पाम को हाल ही में राज्य की विकास योजना में शामिल किया गया है।
  • यह एक उच्च उत्पादक फसल है, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और राज्य को राजस्व प्राप्त होगा।
  • राजस्थान की एक कृषि विश्वविद्यालय से बाराही प्रजाति के 250 से अधिक पौधे मंगवाकर मिर्जापुर में विभिन्न सरकारी स्थलों पर रोपे गए हैं।
  • ये पौधे अब एक वर्ष से अधिक पुराने हैं और तीसरे वर्ष में फल देने की उम्मीद है।
  • यह प्रयोग जून-जुलाई की बारिश जैसी चुनौतियों से निपटने में उपयोगी अनुभव देगा, जब फसल कच्ची अवस्था में होती है।
  • चूंकि खजूर की खेती सूखे और शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, इसलिए उत्तर प्रदेश में इसकी सफल खेती के लिए मौसम से जुड़ी चुनौतियों से निपटना अहम होगा।
  • परंपरागत पौधों की कम जीवित रहने की दर को देखते हुए, ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) से तैयार पौधे अधिक विश्वसनीय माने गए हैं।
  • केवल टिशू कल्चर पौधे लगाने वाले किसानों को ही सब्सिडी मिलेगी।
  • उत्तर प्रदेश में डेट पाम की खेती को बढ़ावा देने के लिए मिर्जापुर में एक उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) स्थापित करने की योजना है, जो व्यावसायिक फसलों पर केंद्रित होगा।
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