
- यह किसानों की आय बढ़ाने के लिए भारत का पहला बड़े पैमाने पर लागू किया जाने वाला व्यापक कार्बन क्रेडिट अंशांकन (कैलीब्रेशन) तंत्र है।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:
- यह कार्यक्रम प्रारंभ में सहारनपुर मंडल में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा और धीरे-धीरे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।
- यह तंत्र देश का पहला सरकार–शैक्षणिक संस्थान मॉडल है, जो बेहतर मृदा स्वास्थ्य को किसानों की अधिक आय से जोड़ेगा।
मॉडल की मुख्य विशेषताएँ:

- कार्बन क्रेडिट मैकेनिज़्म: किसान कार्बन उत्सर्जन में कमी करने पर कार्बन क्रेडिट कमाएंगे, क्योंकि उनकी भूमि पर लगाए गए पेड़ प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए वायुमंडल से लगातार कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं।
- पेड़ों में संग्रहित एक मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड से किसानों को एक कार्बन क्रेडिट मिलेगा, जिसे बाज़ार में बेचकर उसका मूल्यांकन किया जाएगा और उसी के आधार पर किसानों को भुगतान किया जाएगा।
- बाज़ार में बेचने के बाद उत्पन्न राजस्व का 50% किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में दिया जाएगा।
- कार्यान्वयन एजेंसी: पायलट कार्यक्रम की निगरानी IIT रुड़की द्वारा रिमोट सेंसिंग के माध्यम से की जाएगी।
- यह किसानों, कार्बन बाज़ारों और वैश्विक खरीदारों के बीच संपर्क स्थापित करने में सहायता करेगा।
- डिजिटल मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन (D-MRV) प्रणाली: इस प्रणाली का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले कार्बन क्रेडिट तैयार करने के लिए किया जाएगा, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप होंगे।
- न्यूनतम जुताई, कवर क्रॉपिंग, अवशेष प्रबंधन, कृषिवनिकी (agroforestry), और बेहतर जैव-उर्वरक उपयोग जैसी सतत कृषि प्रथाओं को वैज्ञानिक रूप से मापा जाएगा और इस प्रणाली की मदद से सत्यापित कार्बन क्रेडिट में परिवर्तित किया जाएगा।
- महत्व: यह मॉडल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगा, मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाएगा, सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देगा, खेती में लगने वाली लागत (farm input costs) को कम करेगा और किसानों की आय को बढ़ाएगा।

