संदर्भ: हाल ही में, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश दुकान एवं वाणिज्य प्रतिष्ठान अधिनियम, 1962 के दायरे का विस्तार करते हुए 20 या अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाले किसी भी प्रतिष्ठान, जैसे चिकित्सा क्लीनिक, कर सलाहकार, आर्किटेक्ट आदि को इसके दायरे में लाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
प्रस्तावित संशोधन:
- अधिनियम का पूरे राज्य में विस्तार: इस अधिनियम का विस्तार शहरी क्षेत्रों से पूरे राज्य में किया गया है, जिसमें सभी ज़िले और ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल हैं।
- अतिरिक्त वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को शामिल करना: अधिनियम के दायरे का विस्तार करके, सरकार ने क्लीनिक, पॉलीक्लिनिक और प्रसूति गृह जैसी चिकित्सा सुविधाओं, आर्किटेक्ट, कर सलाहकार, तकनीकी सलाहकार, सेवा प्रदाता, सेवा प्लेटफ़ॉर्म तथा अन्य समान वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को भी इस कानून के दायरे में शामिल किया है।
- संशोधित दंड: उल्लंघन करने पर अब पहली बार ₹2,000 और उसके बाद के अपराधों के लिए ₹10,000 तक का जुर्माना लगेगा, जबकि पहले यह ₹100 से ₹500 तक था।
- शिफ्ट का समय: प्रमुख बदलावों में महिलाओं की रात्रि शिफ्ट का समय संशोधित किया गया है, जो पहले रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक था, अब इसे शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक कर दिया गया है।
- कर्मचारी अधिकारों और सुरक्षा में वृद्धि: इससे इन प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षित कार्य स्थितियों और लाभों का अधिकार भी मिलेगा।
- नियोक्ताओं को सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र भी प्रदान करने होंगे।
- इसके अतिरिक्त, कोई भी कानूनी मामला दायर करने से पहले, नियोक्ता को अब 15 दिनों का अनिवार्य सुधार नोटिस जारी करना होगा, जो पहले मौजूद नहीं था।
- छोटे प्रतिष्ठानों के लिए सहायता: इससे छोटे प्रतिष्ठान बिना किसी अतिरिक्त बोझ के अपनी आर्थिक गतिविधियाँ जारी रख सकेंगे, जबकि बड़े प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को अधिनियम के तहत सभी लाभ प्राप्त होंगे।
- व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा: सरकार का मानना है कि इससे राज्य में व्यावसायिक गतिविधियों में और तेज़ी आएगी।

