संदर्भ: राज्य सरकार ने हाल ही में ग्रेटर नोएडा के बोडाकी में ₹8,000 करोड़ की लागत से एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप और लॉजिस्टिक्स हब को मंज़ूरी दी है। यह राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) के तहत अपने लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र के आधुनिकीकरण और वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के भारत के प्रयासों में एक निर्णायक क्षण है।
- यह परियोजना विश्व स्तरीय लॉजिस्टिक्स अवसंरचना के निर्माण और भारत के बहुविध परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने में उत्तर प्रदेश के बढ़ते नेतृत्व को दर्शाती है।
एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप और लॉजिस्टिक्स हब की विशेषताएँ
- दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (DMIC) और एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप (IITGNL) ढाँचे के तहत विकसित।
- प्रस्तावित क्षेत्र और संपर्क: 800 एकड़ में फैले इस केंद्र में कंटेनर टर्मिनल, वेयरहाउसिंग कॉम्प्लेक्स और बहुविध परिवहन अवसंरचना होगी, जिसमें समर्पित माल गलियारा (DFC) से सीधी कनेक्टिविटी भी शामिल है।
- बोडाकी लॉजिस्टिक्स हब की रणनीतिक भूमिका: यह भारत के राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स और व्यापार गलियारे में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगा, जिससे कार्गो की आवाजाही में सुधार होगा, पारगमन समय कम होगा और NCR, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में माल ढुलाई की लागत में कमी आएगी।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा: यह परियोजना उत्तर प्रदेश को मजबूत बुनियादी ढाँचे और एकीकृत आपूर्ति श्रृंखलाओं द्वारा संचालित, वर्ष 2035 तक $7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की भारत की महत्वाकांक्षा को साकार करने में मदद करेगी।
- निवेश क्षमता: इससे प्रमुख घरेलू और वैश्विक निवेशकों, लॉजिस्टिक्स प्रौद्योगिकी प्रदाताओं तथा वेयरहाउसिंग ऑपरेटरों को आकर्षित करने की भी उम्मीद है, जिससे उत्तर प्रदेश भारत के व्यापार गलियारे नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित होगा।

उत्तर प्रदेश में अन्य लॉजिस्टिक्स पार्क

