संदर्भ   

उच्चतम न्यायालय ने राज्य और केंद्रीय उपभोक्ता मंचों द्वारा ‘एगशेल स्कल’ कानूनी सिद्धांत के गलत इस्तेमाल का हवाला देते हुए, एक चिकित्सा लापरवाही मामले में जिला उपभोक्ता मंच द्वारा दिए गए 5 लाख रुपये के मुआवजे के निर्णय को बहाल कर दिया है।

‘एगशेल स्कल’ नियम के बारे में

  • यह सिविल मुकदमा की एक सामान्य कानून सिद्धांत है, जो मानता है कि पीड़ित की भेद्यता की परवाह किए बिना, प्रतिवादी सभी नुकसान के लिए जिम्मेदार है। 
  • इसका अर्थ यह है कि प्रतिवादी को किसी व्यक्ति के सिर पर चोट लगने से हुई चोटों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा, भले ही पीड़ित की सिर विशेष रूप से नाजुक हो या खोपड़ी के लिए ‘एगशेल स्कल’ हो।
  • इस नियम सामान्यतः अपेक्षा से अधिक नुकसान हेतु अधिक मुआवजे का दावा करने के लिए लागू किया जाता है।
  • इसकी शुरुआत को अक्सर वर्ष1891 के अमेरिका के विस्कॉन्सिन के वोसबर्ग बनाम पुटनी मामले (Vosburg v. Putney case) को माना जाता है, जिसमें एक पदाघात के कारण काफी अधिक चोट लगी थी।
  • इसके परिणामस्वरूप, नियम, जिसे ‘थिन स्कल रूल’ के रूप में भी जाना जाता है, को अप्रत्याशित परिणामों हेतु जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मामलों में लागू किया गया है।

इससे संबंधित कानूनी विवाद 

  • वर्ष 2005 में, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के एक अस्पताल में ज्योति देवी ने अपेंडिक्स निकालने की सर्जरी करवाई थी।
  • सर्जरी होने के बावजूद, उन्हें पेट में दर्द का अनुभव होता रहा।
  • चार वर्षों में कई बार अस्पताल जाने के बाद, डॉक्टरों को उसके पेट में 2.5 सेमी का बाहरी चीज (सुई) छूटा हुआ मिला, जिसे शल्य चिकित्सा द्वारा निकालने की आवश्यकता थी।
  • ज्योति ने जिला उपभोक्ता फोरम से मुआवजे की माँग की, जिसने शुरू में उसे मंडी अस्पताल द्वारा चिकित्सा लापरवाही के लिए 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
  • हालाँकि, अस्पताल की अपील पर राज्य उपभोक्ता फोरम ने मुआवजे की राशि को घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया।
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने बाद में इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया। 
  • अंततः यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लाया गया, जिसने मुआवजे पर जिला फोरम के निर्णय को बहाल कर दिया।
  • उच्चतम न्यायालय ने अन्य दो न्यायालयों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने ‘एगशेल स्कल’ को लागू करने के बावजूद ‘अल्प’ और ‘अनुचित’ मुआवजे की राशि के भुगतान का आदेश दिया।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय 

  • उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि ज्योति के मामले में एगशेल स्कल नियम लागू नहीं होता, क्योंकि इसमें पहले से व्यापात किसी कमजोरी या चिकित्सा स्थिति का कोई सबूत नहीं था, जिससे असामान्य क्षति हुई हो।
  • न्यायालय ने कहा कि एनसीडीआरसी ने मामले में नियम की प्रासंगिकता को स्पष्ट किए बिना केवल उसका संदर्भ दिया।
  • इस निर्णय में ज्योति के लिए अधिक मुआवजा दिए जाने के दो प्रमुख कारण का उल्लेख किया गया। जिसमें पहला यह कि उसने पाँच साल से अधिक समय तक पीड़ा झेलती रही और दूसरा यह कि यह मामला एक दशक से अधिक समय तक अनसुलझा रहा।

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