संदर्भ: 

हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सेमी(अर्ध )-क्रायोजेनिक इंजन (SE 2000) पर हॉट टेस्ट  सफलतापूर्वक किया, जिसे पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (PHTA) के रूप में भी जाना जाता है। 

सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (SE2000) के बारे में:

  • सेमी-क्रायोजेनिक प्रणोदक प्रणाली में एक क्रायोजेनिक ऑक्सीकारक, जो सामान्यतः तरल ऑक्सीजन (LOX) होता है, तथा एक गैर-क्रायोजेनिक ईंधन, जो परिष्कृत केरोसीन (RP-1) होता है, शामिल होते हैं। 
  • यह ईंधन संयोजन क्रायोजेनिक प्रणोदकों के उच्च प्रदर्शन और तरल हाइड्रोजन जैसे गैर-क्रायोजेनिक प्रणोदकों की सुगम  हैंडलिंग और भंडारण आवश्यकताओं के बीच संतुलन प्रदान करता है।
  • यह उच्च घनत्व आवेग (क्रायोजेनिक के संबंध में), कम विषाक्त (भंडारण के संबंध में) और लागत प्रभावशीलता जैसे लाभ प्रदान करता है।
  • यह सेमी-क्रायोजेनिक इंजन 2,000 किलोन्यूटन (kN) का उन्नत थ्रस्ट प्रदान करता है।

पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (PHTA):

PHTA एक महत्वपूर्ण पूर्ववर्ती परीक्षण है जो इंजन के महत्वपूर्ण उप-प्रणालियों, जैसे गैस जनरेटर, टर्बो पंप, प्री-बर्नर और नियंत्रण घटकों के एकीकृत प्रदर्शन को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है।

यह सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास के लिए पहला हार्डवेयर परीक्षण है।  

PHTA में अत्यधिक संक्षिप्त समय के लिए, जो 4.5 सेकंड से अधिक नहीं होता, एक हॉट-फायरिंग परीक्षण किया जाता है।

यह परीक्षण महत्वपूर्ण क्रायोजेनिक चरण को अंतिम रूप देने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ने में सहायक है, जिसके माध्यम से प्रक्षेपण वाहनों के बूस्टर चरणों को शक्ति(ऊर्जा) प्रदान करने की प्रक्रिया को क्रियान्वित किया गया।

  • क्रायोजेनिक चरण अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों का अंतिम चरण है, जहां वे क्रायोजेनिक्स का उपयोग करके ईंधन और ऑक्सीडाइजर को गैस के बजाय तरल पदार्थ के रूप में संग्रहित करते हैं।
  • क्रायोजेनिक्स उस प्रक्रिया का अध्ययन है जिसमें अत्यधिक निम्न तापमान (−150 डिग्री सेल्सियस से नीचे) पर पदार्थों का निर्माण और गुणधर्म समझा जाता है, ताकि अंतरिक्ष में भारी वस्तुओं को उठाया और रखा जा सके।

इससे पहले, जुलाई 2023 में महेंद्रगिरि में अंतरिक्ष एजेंसी की सुविधा में इसी तरह के परीक्षण के प्रयास को तकनीकी खराबी के कारण रद्द करना पड़ा था।

सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का महत्व 

  • सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विभिन्न मिशनों जैसे गहरे अंतरिक्ष अभियान, ऊपरी चरण का परिनियोजन, तथा अंतरिक्ष यान को कक्षा में प्रक्षेपित करने आदि को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम बनाते हैं।
  • सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन, अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर ले जाने के लिए रॉकेट के प्रथम चरण को आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं।
  • तरल हाइड्रोजन की तुलना में केरोसिन का उच्च घनत्व उच्च थ्रस्ट बनाए रखते हुए छोटे ईंधन टैंक की अनुमति देता है, जिससे अधिक कुशल और कॉम्पैक्ट डिजाइन प्राप्त होता है।
  • इसरो जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल Mk III (GSLV MK III) के तरल कोर (L110) इंजन को सेमी-क्रायोजेनिक इंजन से बदलने पर विचार कर रहा है, ताकि रॉकेट की पेलोड क्षमता चार टन से छह टन तक बढ़ाई जा सके।
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