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सामान्य अध्ययन-3: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

संदर्भ: 

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से भारतीय फर्मों को इसरो द्वारा विकसित पांच प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण किया है।

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बारे में 

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe), न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और प्राप्तकर्ता निजी उद्योगों के बीच त्रिपक्षीय समझौते के रूप में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों (TTAs) पर हस्ताक्षर किए गए।
  • ये हस्तांतरण महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का स्वदेशीकरण करने, व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने और अंतरिक्ष से परे जैव-चिकित्सा, सौर और औद्योगिक विनिर्माण क्षेत्रों में अनुप्रयोगों का विस्तार करने के लिए किए गए थे।
  • इन हस्तांतरणों से घरेलू क्षमता और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, आयात पर निर्भरता कम होने के साथ ही भारत के अंतरिक्ष इकोसिस्टम में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकेगा।

IN-SPACe और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के बारे में

  • IN-SPACe एक एकल-खिड़की, स्वायत्त नोडल एजेंसी है जिसकी स्थापना जून 2020 में भारत में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए की गई थी।
  • न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) इसरो की वाणिज्यिक शाखा है, जिसे 2019 में इसरो की प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का व्यावसायिक रूप से दोहन करने और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय उद्योगों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था।

हस्तांतरित पाँच प्रौद्योगिकियाँ इस प्रकार हैं:

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते का महत्व

  • इसरो प्रौद्योगिकी साझेदारी: यह समझौता इसरो को अनुसंधान एवं विकास तथा भविष्य के मिशनों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाता है, साथ ही राष्ट्रीय विकास को गति देने वाले प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटर के रूप में स्थापित करता है, जिससे उद्योग प्रदंके प्रवर्धन (scaling) और व्यावसायीकरण में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर मिलता है।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र को सशक्त बनाना: अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की पहुँच उन्नत, सिद्ध तकनीकों तक पहुँच को सुगम बनाती है, लागत और आयात निर्भरता को कम करती है, और वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण को प्रेरित करती है।
  • अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का विस्तार: यह स्वास्थ्य सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अंतरिक्ष-स्तरीय तकनीकों को सक्षम बनाता है, साथ ही भारत की उभरती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र के विश्वास, निवेश और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।

स्रोत:
Business
Economic Times
The Hindu

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