संदर्भ:
इसरो अपना 100वां मिशन लॉन्च करने जा रहा है, जिसमें भारत की नेविगेशन प्रणाली में बड़े अपग्रेड के तहत 2,250 किग्रा वजनी नेविगेशन उपग्रह NVS-02 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
- उपग्रह को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSLV-F15 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा, जिसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण शामिल है।
- यह रॉकेट स्पेसपोर्ट के दूसरे लॉन्च पैड से NVS-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित करेगा।
NVS-02:
- NVS-02 भारत के नेविगेशन विद इंडियन कंस्टेलेशन (NavIC) प्रणाली की दूसरी पीढ़ी का दूसरा उपग्रह है, जो पूरे भारत में और 1,500 किमी दूर तक सटीक स्थिति, वेग और समय (PVT) सेवाएँ प्रदान करता है।
- इसे NavIC प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि बेहतर सुविधाओं के साथ सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
- NVS श्रृंखला (NVS-01, NVS-02, NVS-03, NVS-04, NVS-05) पुराने उपग्रहों की जगह लेगी और प्रणाली को मजबूत करेगी।
- NVS-02 उपग्रह को अन्य उपग्रह-आधारित कार्य केंद्रों के सहयोग से U R उपग्रह केंद्र (URSC) द्वारा विकसित किया गया।
मुख्य विशेषताएँ:
- इसका वजन 2,250 किग्रा है और इसकी ऊर्जा क्षमता लगभग 3 किलोवाट है।
- यह L1, L5 और S बैंड में नेविगेशन पेलोड से सुसज्जित है।
- इसमें NVS-01 के समान C-बैंड रेंजिंग पेलोड शामिल है।
- इसमें सटीक समय अनुमान के लिए रुबिडियम एटॉमिक फ़्रीक्वेंसी स्टैंडर्ड (RAFS) की सुविधा है।
- इसे 12 साल के जीवनकाल के लिए डिज़ाइन और बेहतर सटीकता के लिए स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
- पुराने IRNSS-1E उपग्रह को प्रतिस्थापित करने के लिए इसे कक्षा में 111.75°E पर स्थापित किया जाएगा।
नोट
जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट
इसे जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) के रूप में भी जाना जाता है और यह एक अण्डाकार भू-केन्द्रित कक्षा है, जिसका उपयोग उपग्रह द्वारा निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) से जियोस्टेशनरी कक्षा (GEO) तक यात्रा करने के लिए किया जाता हैं।