संदर्भ:
अपने ऐतिहासिक 100वें प्रक्षेपण में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 29 जनवरी को श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 के माध्यम से नेविगेशन सैटेलाइट NVS-02 को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया है।
अन्य संबंधित जानकारियाँ
- स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण से सुसज्जित GSLV-F15 ने NVS-02 उपग्रह को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में स्थापित किया है।
- यह प्रक्षेपण GSLV श्रृंखला की 17वीं उड़ान तथा इसरो द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करके की गई 11वीं उड़ान है।
- यह उपग्रह IRNSS-1E उपग्रह का स्थान लेगा तथा भारत की नेविगेशन प्रणाली को उन्नत क्षमताओं से जोड़ेगा।
NVS-02 के बारे में
- NVS-02, इसरो द्वारा विकसित पांच दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों (एनवीएस-01/02/03/04/05) में से दूसरा है, जो देश के नेविगेशन समूह भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) में मौजूदा उपग्रहों को प्रतिस्थापित करने और बढ़ाने के लिए है।
- नई पीढ़ी के उपग्रहों की कार्यात्मक अवधि 12 वर्ष की है तथा वे स्वदेशी रूप से विकसित, अधिक सटीक परमाणु घड़ियों से सुसज्जित हैं।
- नई पीढ़ी के उपग्रह भी L1 आवृत्ति, जिसका सबसे अधिक उपयोग अमेरिका की ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) में किया जाता है, का उपयोग करते हैं और इससे फिटनेस ट्रैकर जैसे छोटे उपकरणों द्वारा इसका अधिक उपयोग करने की संभावना है।
- दूसरी पीढ़ी के पहले उपग्रह NVS-01 को 29 मई, 2023 को GSLV-F12 के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया। पहली बार, NVS-01 में स्वदेशी रूप से विकसित परमाणु घड़ी को भेजा गया था।
नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) के बारे में
नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC), जिसे पहले भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) कहा जाता था, भारत की स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट प्रणाली है।
यह सात उपग्रहों वाली प्रणाली है जिसे भारत के उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ भारतीय भूभाग से लगभग 1500 किलोमीटर आगे तक के क्षेत्र में सटीक स्थिति, वेग और समय ((PVT) सेवा प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है, जो इसका प्राथमिक सेवा क्षेत्र है।
- वर्ष 2013 में, IRNSS-1A समूह के पहले उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया था, जिसकी मिशन अवधि 10 वर्ष थी।
- तीन उपग्रहों को भूस्थिर कक्षा में तथा चार उपग्रहों को झुकी हुई भू-समकालिक कक्षा में स्थापित किया गया है।
NavIC दो प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है। इसमें नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए मानक स्थिति सेवा (SPS) और रक्षा प्रतिष्ठानों जैसे रणनीतिक उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतिबंधित सेवा (RS) शामिल है।
NavIC SPS प्राथमिक सेवा क्षेत्र में 20 मीटर से अधिक की स्थान सटीकता और 40 नैनोसेकंड से अधिक की समय सटीकता प्रदान करता है।
NavIC का SPS सिग्नल अन्य वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) सिग्नलों अर्थात् GPS (अमेरिका), ग्लोनास (रूस), गैलीलियो (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी), और BeiDou (चीन) के साथ अंतर-संचालनीय हैं।
- नवंबर 2020 में, भारत विश्व का चौथा देश (अमेरिका, रूस और चीन के बाद) बन गया, जिसकी स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा वर्ल्ड वाइड रेडियो नेविगेशन सिस्टम (WWRNS) के एक भाग के रूप में मान्यता दी गई।
- GPS के विपरीत, IRNSS वैश्विक नेविगेशन प्रणाली के बजाय एक क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है।