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सामान्य अध्ययन-2: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव|

संदर्भ: सोमालीलैंड द्वारा 1991 में सोमालिया से अलग होने की घोषणा करने के तीन दशक से भी अधिक समय बाद, इज़राइल उसे एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में आधिकारिक मान्यता देने वाला विश्व का पहला देश बन गया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, इजराइली विदेश मंत्री गिदोन सार और सोमालीलैंड के राष्ट्रपति आबिद रहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही ने पारस्परिक मान्यता के एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए।
  • इज़राइल ने कृषि, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में सोमालीलैंड के साथ तत्काल सहयोग बढ़ाने की योजनाओं की घोषणा की है।
  • राष्ट्रपति अब्दुल्लाही ने कहा कि सोमालीलैंड अब्राहम समझौते (Abraham Accords) में शामिल होगा, और उन्होंने इसे क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
  • यह कदम 2023 के ‘प्रोजेक्ट 2025’ में दी गई रणनीतिक सलाह के अनुरूप है। इस प्रोजेक्ट में सोमालीलैंड को मान्यता देने का सुझाव इसलिए दिया गया था, ताकि जिबूती में चीन के बढ़ते वर्चस्व को नियंत्रित किया जा सके और अमेरिका के हितों के लिए एक ‘सुरक्षा कवच’ तैयार हो सके।
  • हालांकि किसी अन्य देश ने सोमालीलैंड को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन कई देशों जैसे ब्रिटेन, इथियोपिया, तुर्की, यूएई, डेनमार्क, केन्या और ताइवान ने इस प्रदेश में अपने संपर्क या प्रतिनिधि कार्यालय बनाए हुए हैं।
  • इस कदम की अफ्रीकी संघ ने आलोचना की है। संघ ने चेतावनी दी है कि एक अलग हुए क्षेत्र को मान्यता देने से पूरे अफ्रीकी महाद्वीप की शांति और स्थिरता पर इसके दूरगामी और गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।

 सोमालीलैंड के बारे में

  • सोमालीलैंड जिसे पहले रिपब्लिक ऑफ सोमालीलैंड के नाम से जाना जाता था, एक स्व-घोषित गणराज्य है और हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थित है|
  • यहाँ की आबादी लगभग 6.2 मिलियन है जिसमें से अधिकांश सुन्नी मुस्लिम हैं|
  • भौगोलिक रूप से, यह सोमालिया के उत्तर-पश्चिमी सिरे को नियंत्रित करता है, एक वास्तविक (de facto) राज्य के रूप में संचालित होता है, और उत्तर-पश्चिम में जिबूती तथा पश्चिम और दक्षिण में इथियोपिया के साथ सीमा साझा करता है, साथ ही इसकी पहुँच लाल सागर (Red Sea) तटरेखा तक है।
  • स्थिरता और कार्यशील संस्थानों के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त न होने से सोमालीलैंड को विदेशी ऋणों, विकास सहायता और अंतर्राष्ट्रीय निवेश नहीं मिल पाता है, जिससे वहाँ की अर्थव्यवस्था अल्पविकसित बनी हुई है।
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