संदर्भ
हाल ही में, इंटरपोल ने एक संसद सदस्य (हसन निर्वाचन क्षेत्र, कर्नाटक) के खिलाफ यौन शोषण के गंभीर आरोपों के बाद “ब्लू कॉर्नर नोटिस” जारी किया।
सांसद के खिलाफ इंटरपोल ने ब्लू कॉर्नर नोटिस क्यों जारी किया?
- ब्लू कॉर्नर नोटिस लापता व्यक्तियों से जुड़े मामलों में जारी किया जाता है।
- यह नोटिस, जिसे “पूछताछ नोटिस” भी कहा जाता है, किसी व्यक्ति की पहचान, स्थान या अपराध संबंधी गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करने के लिए सदस्य राष्ट्रों को भेजा जाता है ।
- यह कर्नाटक के एक मौजूदा सांसद से जुड़े कथित यौन उत्पीड़न के मामले में जारी किया गया है।
- कर्नाटक सरकार द्वारा गठित एक विशेष जाँच दल (SIT) द्वारा आगे की जाँच-पड़ताल हेतु केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से सहायता का अनुरोध करने के बाद इंटरपोल ने ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया।
- क्योंकि यह बताया गया था कि मौजूदा सांसद अपने राजनयिक पासपोर्ट का उपयोग करके जर्मनी के म्यूनिख के लिए रवाना हुए थे।
- एसआईटी का उद्देश्य मौजूदा सांसद के ठिकाने की जानकारी मिलते ही उसे गिरफ्तार कर जाँच में तेजी लाने का है।
भारतीयों के लिए ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी हुए इसी प्रकार के मामले:
- वर्ष 2020 में, इंटरपोल ने स्वयंभू आध्यात्मिक नेता नित्यानंद के संबंध में ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया था, जिसमें बलात्कार के आरोपों के बाद उसके स्थान के बारे में विवरण माँगा गया था।
इंटरपोल
इंटरपोल की स्थापना 7 सितंबर, 1923 को ऑस्ट्रिया के वियना में की गई थी। इसका मुख्यालय लियोन (फ्रांस) में है और इसका संपर्क कार्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क में है।
औपचारिक रूप से इसे अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग के नाम से जाना जाता था।
इसका औपचारिक नाम अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन-इंटरपोल है।
- इसका गठन जून, 1956 में वियना में 25वीं महासभा में इसके संविधान को अपनाकर किया गया था।
यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने हेतु 196 सदस्य राष्ट्रों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।
यह संगठन वैश्विक अपराध जानकारी साझा करने के साथ-साथ तकनीकी और अन्वेषण सहायता के माध्यम से आपराधिक भगोड़ों का पता लगाने में सहायता करता है।
यह वांटेड अपराधियों का एक डेटाबेस रखता है, जिसे वास्तविक समय में अद्यतन किया जाता है तथा यह ट्रैकिंग उद्देश्यों के लिए सदस्य देशों के लिए सुलभ है।
प्रत्येक सदस्य देश एक राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो की मेजबानी करता है, जो स्थानीय कानून प्रवर्तन संस्था और इंटरपोल के बीच प्राथमिक संपर्क के रूप में कार्य करता है।
भारत में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो इन्टरपोल की नामित नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
इंटरपोल देशों को चेतावनी (अलर्ट) कैसे भेजता है?
इंटरपोल सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच अपराध-संबंधी चेतावनी की सूचना देने हेतु एक रंग-कोडित प्रणाली का उपयोग करता है।
- अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं : – संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (प्रतिबंधों, नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के संबंध में)।
सदस्य देशों द्वारा इंटरपोल के नोटिस का पालन विवेकाधीन है, यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अनिवार्य नहीं है।
नोटिस का प्रकार
- रेड नोटिस: इसे अभियोजन या सज़ा दिलाने हेतु वांटेड व्यक्तियों का पता लगाने और गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है।
- येलो नोटिस: इसे गुमशुदा व्यक्तियों, प्रायः नाबालिगों, की खोज में सहायता करने के लिए या ऐसे व्यक्तियों की पहचान करने में सहायता के लिए जारी किया जाता है, जो स्वयं को पहचानने में असमर्थ हैं।
- ब्लू नोटिस: इसे किसी आपराधिक अन्वेषण के संबंध में किसी व्यक्ति की पहचान करने, स्थान का पता लगाने या उसकी गतिविधियों के बारे में और अधिक जानकारी एकत्र करने के लिए जारी किया जाता है।
- ब्लैक नोटिस: इसे अज्ञात शवों के संबंध में सूचना प्राप्त करने के लिए जारी किया जाता है।
- ग्रीन नोटिस: इसे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त ऐसे व्यक्तियों के बारे में चेतावनी देने हेतु जारी किया जाता है, जिन्हें सार्वजनिक सुरक्षा के लिए संभावित खतरा माना जाता है।
- ऑरेंज नोटिस: इसे किसी घटना, व्यक्ति, वस्तु या प्रक्रिया के बारे में चेतावनी देने के लिए जारी किया जाता है जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर और तत्काल खतरा पैदा करता है।
- पर्पल नोटिस: इसे अपराधियों के अपराध करने के तरीकों, प्रयोजनों, उपकरणों और छिपने के तरीकों के बारे में जानकारी माँगने या प्रदान करने के लिए जारी किया जाता है।