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सामान्य अध्ययन 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व; सांविधिक निकाय; सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
सामान्य अध्ययन 3: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोध तत्वों की भूमिका; सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां और उनका प्रबंधन।
संदर्भ:
हाल ही में, गृह मंत्रालय ने आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 को शासित करने के लिए नियमों को अधिसूचित किया।
आव्रजन और विदेशी अधिनियम 2025 के प्रमुख प्रावधान
• निरस्त कानून: आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 ने भारत में विदेशी नागरिकों और आव्रजन के नियमन से संबंधित चार पुराने कानूनों को प्रभावी रूप से निरस्त (repeal) कर दिया है। इनमें पासपोर्ट अधिनियम 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939, विदेशी अधिनियम 1946 और आव्रजन (वाहक दायित्व) अधिनियम 2000 शामिल हैं।
• सूचना की रिपोर्टिंग:
- अधिनियम के तहत होटलों, विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और नर्सिंग होम में यदि कोई विदेशी नागरिक निर्धारित अवधि से अधिक समय ठहरता है, तो संबंधित संस्था को इसकी जानकारी निर्धारित समयसीमा के भीतर विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (FRRO) अथवा आव्रजन ब्यूरो (BOI) को देना अनिवार्य होगा।
- एयरलाइनों और समुद्री वाहकों को प्रस्थान के 15 मिनट के भीतर यात्रियों और चालक दल के सभी विवरण आव्रजन ब्यूरो (BOI) को प्रस्तुत करने होंगे।
• किसी विदेशी की आवाजाही की लिए निर्धारित स्थान: यह अधिनियम केंद्र सरकार को विदेशियों की आवाजाही के लिए निर्धारित स्थानों को विनियमित करने की अनुमति देता है, जिसमें उन्हें बंद करने का आदेश देना, उनके उपयोग की शर्तें तय करना या कुछ विदेशी नागरिकों के लिए प्रवेश को प्रतिबंधित करना शामिल है।
• आव्रजन ब्यूरो: यह अधिनियम आव्रजन धोखाधड़ी के मामलों की जांच करने, विदेशियों की पहचान करने, उन्हें निर्वासित करने या उनकी आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए राज्यों के साथ समन्वय करने, तथा आव्रजन डेटाबेस को एकत्रित करने और प्रबंधित करने के लिए आव्रजन ब्यूरो (1971 में स्थापित) को वैधानिक शक्ति प्रदान करता है।
- केंद्र सरकार आयुक्त की नियुक्ति करती है, जोकि ब्यूरो का पर्यवेक्षण करता है।
- ब्यूरो के आयुक्त को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (FRROs), विदेशी पंजीकरण अधिकारी और मुख्य आव्रजन अधिकारी द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
• विदेशियों का पंजीकरण: भारत आगमन पर विदेशियों को नामित पंजीकरण अधिकारियों के पास पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
- यह अधिनियम सभी विदेशियों के बायोमेट्रिक डेटा संग्रहण की अनुमति देता है, जिसमें आव्रजन ब्यूरो, आईटी प्रणालियों का प्रबंधन और संबंधित डेटा का रखरखाव करता है।
• संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्र या निषिद्ध स्थानों का दौरा: विदेशियों को निर्दिष्ट प्राधिकारी से विशेष अनुमति के बिना संरक्षित, प्रतिबंधित या निषिद्ध क्षेत्रों में प्रवेश करने या रहने से रोक दिया जाता है।
• हिरासत केंद्र: यह अधिनियम प्रत्येक राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को अवैध विदेशियों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए समर्पित हिरासत केंद्र (हिरासत शिविर) स्थापित करने का आदेश देता है, जब तक कि उन्हें निर्वासित नहीं कर दिया जाता।
• दंड:
- वैध दस्तावेजों के बिना या कानून का उल्लंघन करके भारत में प्रवेश करने वाले किसी भी विदेशी को पांच साल तक की कैद, 5 लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
- जाली पासपोर्ट या वीज़ा का उपयोग करके भारत में प्रवेश करने, रहने या बाहर जाने पर 7 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- जो विदेशी अपने वीज़ा की अवधि से अधिक समय तक भारत में रुकता है, वीज़ा शर्तों का उल्लंघन करता है, या वैध दस्तावेजों के बिना रहता है, उसे 3 साल तक की जेल, 3 लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
आव्रजन और विदेशी (छूट) आदेश, 2025
• नियमों के साथ-साथ, केंद्र सरकार ने आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 की धारा 33 के अंतर्गत आव्रजन और विदेशी (छूट) आदेश, 2025 भी जारी किया। इसके तहत कुछ श्रेणियों को अधिनियम से छूट प्रदान की गई।
• यह नया आदेश विदेशियों के पंजीकरण (छूट) आदेश, 1957 और आव्रजन (वाहक दायित्व) आदेश, 2007 को प्रतिस्थापित करता है।
• कुछ छूटों में शामिल हैं –
- भारतीय नौसेना, सेना या वायु सेना के सदस्य और उनके साथ सरकारी परिवहन से यात्रा करने वाले परिवार के सदस्य;
- नेपाल या भूटान के नागरिक जो नेपाल और भूटान सीमा पार करके ज़मीनी या हवाई मार्ग से भारत में प्रवेश करते हैं;
- पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए निर्दिष्ट अल्पसंख्यक प्रवासी (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई) जो 31 दिसंबर, 2024 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं,
- पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल नागरिक जिन्होंने 9 जनवरी, 2015 तक भारत में शरण ली है।