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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा नियोजन, संसाधनों का जुटाव, वृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

संदर्भ: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने पूरे भारत में रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों के मासिक अनुमान प्रदान करने के लिए सितंबर 2025 के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) मासिक बुलेटिन जारी किया।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • सितंबर 2025 का आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) बुलेटिन जनवरी 2025 में शुरू किए गए संशोधित सर्वेक्षण डिजाइन के तहत छठी मासिक विज्ञप्ति को चिह्नित करता है।
  • यह पुनः डिज़ाइन किया गया PLFS एक चक्रण पैनल नमूनाकरण पद्धति (Rotational Panel Sampling Method) का अनुसरण करता है, जहाँ विश्वसनीय मासिक और त्रैमासिक श्रम बाजार अनुमान के लिए प्रत्येक चयनित परिवार का चार लगातार महीनों में चार बार सर्वेक्षण किया जाता है।
  • रिपोर्ट में श्रम बल भागीदारी में लगातार वृद्धि दिखाई गई है, विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के बीच, जिसने लगातार तीसरे महीने समग्र महिला कार्यबल भागीदारी को मजबूत किया है।
  • समग्र श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) पाँच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है, जबकि श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) भी मई 2025 के बाद से उच्चतम स्तर को दर्शाता है।
  • बेरोजगारी दर (UR) में सितंबर 2025 में मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में वृद्धि थी।
  • निष्कर्ष बताते हैं कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था अधिक महिला श्रमिकों को समाहित कर रही है, जो ग्रामीण श्रम बाजारों में आर्थिक समावेशन और लचीलेपन (Economic Inclusion And Resilience) के व्यापक रुझान को दर्शाता है।

सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं

श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)

  • LFPR 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की जनसंख्या का वह अनुपात दर्शाता है जो या तो रोजगार में है या सक्रिय रूप से रोजगार की तलाश कर रहा है। यह श्रम बाजार में कार्यशील आयु की जनसंख्या की सक्रिय भागीदारी को मापता है।
  • समग्र LFPR सितंबर 2025 में बढ़कर 55.3% हो गया, जो लगातार तीसरे महीने ऊपर की ओर रुझान को दर्शाता है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में LFPR जून 2025 में 56.1% से बढ़कर सितंबर 2025 में 57.4% हो गया, जो कृषि और गैर-कृषि गतिविधियों में मजबूत भागीदारी को दर्शाता है।
  • शहरी क्षेत्रों में LFPR 50.9% पर स्थिर रहा।
  • महिला LFPR, जो मुख्य रूप से ग्रामीण भागीदारी से प्रेरित है, 34.1% तक पहुँच गई, जो मई 2025 के बाद से उच्चतम है।
  • ग्रामीण महिला LFPR जून 2025 में 35.2% से बढ़कर सितंबर 2025 में 37.9% हो गई, जो मास-दर-मास (Month-On-Month) लगातार वृद्धि दर्शाती है।

श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR)

  • WPR कार्यशील आयु की जनसंख्या का वह अनुपात दर्शाता है जो रोजगार में है | यह  15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के बीच रोजगार की वास्तविक सीमा को दर्शाता है।
  • समग्र WPR 52.4% रहा, जो मई 2025 के बाद से उच्चतम स्तर है।
  • ग्रामीण WPR बढ़कर 54.8% हो गया, जबकि शहरी WPR 47.4% रहा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च रोजगार सघनता (Higher Employment Intensity) को दर्शाता है।
  • समग्र WPR में वृद्धि मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में महिला कार्यबल की स्थिर वृद्धि से प्रेरित थी।
  • ग्रामीण महिला WPR जून 2025 में 33.6% से सुधर कर सितंबर 2025 में 36.3% हो गया, जो लगातार तीन महीनों की वृद्धि को चिह्नित करता है।

बेरोजगारी दर (UR)

  • UR श्रम बल के उस अनुपात को मापता है जो बेरोजगार है लेकिन सक्रिय रूप से काम की तलाश कर रहा है या काम के लिए उपलब्ध है। यह श्रम बाजार में मांग-आपूर्ति संतुलन को दर्शाता है।
  • समग्र UR अगस्त 2025 में 5.1% से बढ़कर सितंबर 2025 में मामूली रूप से 5.2% हो गई।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में UR बढ़कर 4.6% हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 6.8% तक पहुँच गई।
  • शहरी महिलाओं में, बेरोजगारी अगस्त 2025 में 8.9% से बढ़कर 9.3% हो गई, जो शहरी महिला रोजगार में निरंतर चुनौतियों को इंगित करता है।
  • पुरुष बेरोजगारी दरों में भी अगस्त 2025 में अस्थायी गिरावट के बाद ग्रामीण (4.7%) और शहरी (6.0%) दोनों क्षेत्रों में मामूली वृद्धि हुई।

रिपोर्ट का महत्व 

  • यह रिपोर्ट महामारी के बाद भारत के श्रम बाजार के पुनरुद्धार (Post-Pandemic Recovery) और ग्रामीण आर्थिक गतिविधियों के मजबूत होने को दर्शाती है।
  • ग्रामीण महिला भागीदारी में स्थिर वृद्धि उत्पादक कार्य में बढ़ते लैंगिक समावेशन (Gender Inclusion) और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण को उजागर करती है।
  • मासिक अनुमान रोजगार प्रवृत्तियों की समय पर निगरानी को सक्षम बनाते हैं, जिससे साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और लक्षित रोजगार सृजन पहलों को समर्थन मिलता है।
  • PLFS मासिक श्रृंखला श्रम सांख्यिकी की सटीकता और प्रतिक्रियाशीलता (Accuracy And Responsiveness) को बढ़ाती है, जो समावेशी और सतत आर्थिक विकास के व्यापक लक्ष्यों के साथ राष्ट्रीय रोजगार नीतियों को संरेखित करने में मदद करती है।

Source
PIB
Mospi.Gov

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