संदर्भ:

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय (SC) ने अपने निर्णय में कहा है कि आधार कार्ड आयु प्रमाण का वैध दस्तावेज नहीं है, क्योंकि अन्य आधिकारिक दस्तावेज, जैसे स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, उस प्रयोजन पूरा करने हेतु पर्याप्त हो सकते हैं।

मामले की पृष्ठभूमि

उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने मोटरसाइकिल दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को मुआवज़ा देने से संबंधित एक मामले की समीक्षा की।

  • अप्रैल, 2015 में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने बीमा कंपनी को 19,35,400 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (MVA) के अंतर्गत, मृत्यु हेतु दिया जाने वाला मुआवजा विभिन्न कारकों पर आधारित होता है, जिसमें मृतक की आय, आयु और आश्रितों की संख्या शामिल है।

  • आयु भविष्य में वित्तीय अंशदान का अनुमान लगाने के लिए गुणक को निर्धारण करती है।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बाद में पीड़ित की आयु को उसके आधार कार्ड के अनुसार 47 वर्ष बताते हुए मुआवज़े की राशि घटाकर 9,22,336 रुपये कर दी, जिससे गुणक 13 हो गया।

  • परिवार ने अपील की, जिसमें दावा किया गया कि उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के आधार पर उसकी आयु 45 वर्ष थी, जिसके अनुसार 14 के गुणक की माँग की गई।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने के लिए उच्च न्यायालय की आलोचना की तथा इस बात पर बल दिया कि उच्च न्यायालय को केवल यह आकलन करना चाहिए था कि अधिकरण का निर्णय त्रुटिपूर्ण या अवैध था या नहीं।

इस निर्णय में किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 का संदर्भ दिया गया। 

  • यह आयु निर्धारण के लिए साक्ष्य के रूप में “मैट्रिक या इसके समकक्ष प्रमाणपत्र” के प्रयोग को अनुमति देता है।
  • इसने उच्च न्यायालय के उन निर्णयों का समर्थन किया, जिनमें आयु सत्यापन के लिए आधार कार्ड की अपेक्षा स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र को प्राथमिकता दी गई है। 

उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2018 के एक निर्णय का भी संदर्भ दिया, जिसमें आधार को “पहचान के प्रमाण” के रूप में परिभाषित किया गया था। इसके अतिरिक्त, उच्चतम न्यायालय ने UIDAI के एक परिपत्र का उल्लेख किया गया था जिसमें कहा गया था कि आधार “जन्म तिथि का प्रमाण नहीं है।”

इसके परिणामस्वरूप, न्यायालय ने स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में दर्ज आयु के आधार पर मुआवजे को 14 का गुणक माना तथा परिवार को 15 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

आधार के बारे में

  • आधार एक 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या है। इसे भारत सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है। यह पहचान और निवास स्थान के प्रमाण के रूप में कार्य करती है।
  • भारत का कोई भी निवासी, चाहे उसकी उम्र या लिंग कुछ भी हो, UIDAI की सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने पर आधार के लिए नामांकन करा सकता है। नामांकन कराना निःशुल्क है और इसे केवल एक बार ही करना होता है।
  • प्रत्येक आधार संख्या अद्वितीय और आजीवन वैध है। यह निवासियों को बैंकिंग और मोबाइल कनेक्शन सहित विभिन्न सेवाओं तक पहुँच प्रदान करने में सहायता करता है।
  • वर्तमन में, आधार सत्यापन विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के लिए आवश्यक है तथा अमेज़ॅन पे और आदित्य बिड़ला हाउसिंग फाइनेंस जैसी निजी कंपनियों ने भी अनुरोध किया जाता है।
  • जनवरी, 2024 से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार की इच्छा रखने वाले ग्रामीण श्रमिकों के लिए आधार अनिवार्य हो गया है।

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