संदर्भ
हाल ही में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने फिलीपींस के मनीला में आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (APMCDRR) 2024 में भाग लिया।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशिया-प्रशांत मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (APMCDRR)
- एपीएमसीडीआरआर, क्षेत्रीय स्तर पर आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई (सेंदाई) फ्रेमवर्क (Sendai Framework for Disaster Risk Reduction) 2015-2030 के क्रियान्वयन की निगरानी, समीक्षा और सहयोग को बढ़ाने के लिए एशिया और प्रशांत क्षेत्र का मुख्य मंच है।
- एपीएमसीडीआरआर 2024 का आयोजक: फिलीपींस सरकार संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UNDRR) के साथ मिलकर इसका आयोजन कर रही है।
- 14 से 18 अक्तूबर, 2024 तक मनीला के फिलीपीन इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में एपीएमसीडीआरआर का आयोजन किया गया।
- एपीएमसीडीआरआर, 2024 का विषय: “2030 तक वृद्धि: आपदा जोखिम न्यूनीकरण में तेजी लाने के लिए एशिया-प्रशांत में महत्वाकांक्षा को बढ़ाना” (Surge to 2030: Enhancing ambition in Asia-Pacific to accelerate disaster risk reduction) सम्मेलन के मुख्य बिन्दु
- इसमें सेंडाई (सेंदाई) फ्रेमवर्क के क्रियान्वयन के लिए 2024-27 एशिया प्रशांत कार्य योजना को अपनाया गया।
- इसमें पूर्वानुमानात्मक कार्रवाई पर अंतर-सरकारी गठबंधन स्थापित करने का आह्वान किया गया।
- इसमें व्यापक स्कूल सुरक्षा रूपरेखा 2022-2030 को समर्थन देने के साथ-साथ इनको लागू करने के लिए पुनः प्रतिबद्धता जताई गई।
- इसमें सेंडाई फ्रेमवर्क फ्रेमवर्क के क्रियान्वयन के लिए लैंगिक कार्य योजना की शुरुआत की गई।
- इसमें पुनर्प्राप्ति तत्परता (रिकवरी रेडीनेस) में निवेश करके बेहतर निर्माण के लिए कॉल टू एक्शन को निर्धारित करने की प्रक्रिया पर चर्चा की गई।
- इसमें प्रशांत क्षेत्र के आपदा जोखिम प्रबंधन पर मंत्रियों की पहली मध्यस्थता बैठक आयोजित की गई।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क फ्रेमवर्क 2015-2030
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क फ्रेमवर्क 2015-2030 को 18 मार्च, 2015 को जापान के सेंडाई में आयोजित तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में अपनाया गया था।
- यह वर्ष 2015 के बाद के विकासात्मक एजेंडे का पहला बड़ा समझौता होने के साथ-साथ सदस्य देशों को विकासात्मक कार्यों को आपदा के जोखिम से बचाने के लिए ठोस कार्रवाई का प्रावधान करता है।
- सेंडाई फ्रेमवर्क, ह्योगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (HFA) 2005-2015: इसका उद्देश्य आपदाओं के प्रति राष्ट्रों और समुदायों को लचीला बनाना है।
- वैश्विक आपदा न्यूनीकरण सम्मेलन 2005 को जापान के ह्योगो के कोबे (Kobe) में आयोजित किया गया था तथा इसी सम्मेलन में ह्योगो फ्रेमवर्क को अपनाया गया था।
- सेंडाई (सेंदाई) फ्रेमवर्क में वर्ष 2015 से 2030 के बीच सात वैश्विक लक्ष्यों और चार प्राथमिकताओं की रूपरेखा को शामिल किया गया है।
सेंडाई फ्रेमवर्क फ्रेमवर्क के 7 लक्ष्य
- वर्ष 2030 तक वैश्विक आपदा मृत्यु दर में कमी लाना, जिसका लक्ष्य वर्ष 2005-2015 की तुलना में वर्ष 2020- 2030 के बीच प्रति 100,000 वैश्विक मृत्यु दर में कमी लाना।
- वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर प्रभावित लोगों की संख्या को वर्ष 2005- 2015 की तुलना में वर्ष 2020- 2030 के बीच प्रति 100,000 पर औसत वैश्विक आँकडें में कमी लाना।
- वर्ष 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के संबंध में होने वाले प्रत्यक्ष आपदा से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करना।
- वर्ष 2030 तक आपदा से लचीलापन विकसित करने वाले महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को होने वाली क्षति, जिनमें स्वास्थ्य एवं शैक्षिक सुविधाओं सहित बुनियादी सेवाओं में आने वाले व्यवधान को न्यूनतम करना।
- वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों को अपनाने वाले देशों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि करना।
- वर्ष 2030 तक इस ढाँचे के क्रियान्वयन के लिए उनके राष्ट्रीय कार्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त और स्थायी समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को पर्याप्त रूप से बढ़ाना
- 2030 तक लोगों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और आपदा जोखिम सूचना और आकलन की उपलब्धता और पहुँच को विकसित करना।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए भारत की पहल
आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) रणनीतियों के लिए प्रधानमंत्री का 10 सूत्री एजेंडा: भारतीय प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित एशियाई मंत्री स्तरीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण सम्मेलन (AMCDRR) 2016 के उद्घाटन भाषण में दस सूत्री एजेंडा प्रस्तुत किया। इन दस प्रमुख सूत्रों में निम्नलिखित हैं:
1. सार्वजनिक व्यय में आपदा जोखिम न्यूनीकरण को मुख्यधारा में लाना, विशेषकर अवसंरचना के विकास में।
2. सभी के लिए जोखिम कवरेज, विशेषकर सबसे गरीब लोगों हेतु।
3. आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं की अधिक भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ाना।
4. सभी खतरों को कवर करते हुए आपदा जोखिम मानचित्रण में निवेश करना।
5. आपदा जोखिम प्रबंधन प्रयासों की दक्षता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना।
6. आपदा संबंधी मुद्दों पर काम करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क तैयार करना।
7. आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सोशल मीडिया और मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
8. केवल प्रतिक्रिया के बजाय आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए स्थानीय क्षमता में निवेश करना।
9. पिछली आपदाओं से सीखे गए सबक के आधार पर आपदा के बाद रिकवरी को व्यवस्थित करना।
10. आपदाओं के प्रति अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया में अधिक सामंजस्य स्थापित करना।
भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी केंद्र (ITEWC): इसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना विज्ञान केंद्र (INCOIS), हैदराबाद में स्थापित किया गया है। यह भारत के लिए सुनामी संबंधी चेतावनी जारी करने वाला राष्ट्रीय प्राधिकरण है।
इसे वर्ष 2004 की सुनामी के प्रत्युत्तर में स्थापित किया गया था। यह यूनेस्को के अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग (IOC) के एक भाग के रूप में 25 हिंद महासागर देशों को सुनामी संबंधी परामर्श भी प्रदान करता है। आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (CDRI): यह सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, विकास बैंकों, निजी क्षेत्र और ज्ञान संस्थानों की एक वैश्विक साझेदारी है, जो जलवायु और आपदा जोखिमों के प्रति अवसंरचना प्रणालियों की लचीलापन बढ़ाने तथा सतत विकास को समर्थन देने पर केंद्रित है।
- सीडीआरआई सचिवालय का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
डीआरआर के लिए समर्पित वित्तीय प्रावधान: भारत के 15 वें वित्त आयोग ने वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन कोष (एनडीआरएमएफ) और राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोष (SDRMF) के लिए 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किया हैं।