- हाल ही में, पश्चिमी घाटों में एक नई आग-प्रतिरोधक पौधा प्रजाति की खोज की गई है।
- इस प्रजाति की खोज आघार्कर अनुसंधान संस्थान (ARI), पुणे की एक टीम ने की और इसे इसके विविध रूपात्मक लक्षणों को ध्यान में रखते हुए डिक्लिप्टेरा पॉलीमॉर्फा नाम दिया गया।
- यह पौधा उत्तरी पश्चिमी घाटों के खुले घास के मैदानों में ढलानों पर उगता है, जो अत्यधिक जलवायु स्थितियों जैसे ग्रीष्मकालीन सूखा और मानव-निर्मित आग से प्रभावित होता है।
- यह प्रजाति अपनी अनूठी क्षमता के लिए प्रसिद्ध है कि यह साल में दो बार फूलता है—एक बार मानसून के बाद और फिर घास के मैदानों में आग लगने पर।
- पहला फूलने का चरण पोस्ट-मोनसून (नवम्बर से मार्च/अप्रैल तक) होता है, जबकि दूसरा, मई और जून में आग के कारण सक्रिय होता है, जिसमें छोटे फूलों की शाखाएँ उत्पन्न होती हैं, जिससे अधिक घना लेकिन छोटा फूलने का समय होता है।
- डिक्लिप्टेरा पॉलीमॉर्फा का फूलने का तरीका दुर्लभ है, जो किसी अन्य भारतीय प्रजाति में नहीं पाया जाता।
- इसके फूल स्पिकेट क्लस्टर (spicate clusters) में उगते हैं, जो अफ्रीका में पाई जाने वाली प्रजातियों से सबसे अधिक मेल खाते हैं।
- आग के प्रति इसकी अनुकूलता—हालाँकि यह आग प्रबंधन पर निर्भर करती है—इसकी आवास की रक्षा के लिए आग के अभ्यास को संतुलित करने की आवश्यकता को उजागर करती है।
आग-प्रतिरोधक पौधा प्रजाति – डिक्लिप्टेरा पॉलीमॉर्फा
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