संबंधित पाठ्यक्रम 

सामान्य अध्ययन-2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन। 

संदर्भ

हाल ही में, नीति आयोग ने स्थानीय जल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए “आकांक्षा ब्लॉकों में जल बजट” पर एक रिपोर्ट जारी की।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • नीति आयोग ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए संबंधित मंत्रालयों और संगठनों के डेटा के साथ-साथ राज्यों द्वारा VARUNI वेब-आधारित एप्लिकेशन के माध्यम से प्रदान की गई जानकारी का उपयोग किया।
  • नीति आयोग ने भारत–जर्मनी जल सुरक्षा और ग्रामीण भारत में जलवायु अनुकूलन (WASCA) परियोजना तथा केंद्रीय मंत्रालयों के मजबूत सहयोग से इस ढांचे को तैयार किया।
  • यह प्रणाली जनगणना, भूजल (IN-GRES), भूमि उपयोग, वर्षा, MI जनगणना और जल निकाय जनगणना जैसे विभिन्न स्रोतों के डेटा को एक समग्र बजट उपकरण में एकीकृत करती है।

जल बजट के बारे में 

  • यह जल प्रबंधन योजना बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध जल की मात्रा, उसके उपयोग के तरीके, और किन क्षेत्रों में जल की कमी या अधिशेष की स्थिति हो सकती है-इसकी पूरी जानकारी प्रदान करता है।
  • यह एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के भीतर सभी जल अंतर्वाह, बहिर्वाह और भंडारण परिवर्तनों का व्यवस्थित रूप से लेखा-जोखा रखता है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

जल मांग के घटक:

  • घरेलू जल मांग: विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू जल मांग अलग होती है—ग्रामीण क्षेत्रों में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (lpcd) (JJM मानक) और शहरी क्षेत्रों में 150 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (CPHEEO मानक)।
  • पशुपालन जल मांग: पशुपालन की जल मांग नवीनतम पशु जनगणना और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा निर्धारित प्रत्येक पशु प्रकार की दैनिक जल आवश्यकता मानकों के आधार पर अनुमानित की जाती है।
  • कृषि जल मांग: फसल जल आवश्यकता (CWR) इस मांग का अनुमान लगाने में केंद्रीय भूमिका निभाती है। राष्ट्रीय सिंचाई की आवश्यकता 2025 के लिए 611 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) और 2050 के लिए 807 BCM अनुमानित है।

जल आपूर्ति के घटक:

  • सतही जल बहाव: भूमि उपयोग वर्गीकरण और औसत वर्षा के आधार पर सतही बहाव की गणना की जाती है।
  • सतही जल आपूर्ति: सतही जल संरचनाओं की भंडारण क्षमता द्वारा निर्धारित।
  • भौगोलिक क्षेत्र से बाहर से जल स्रोत: इसमें सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक परियोजनाओं से अंतर्वेदीय और लंबी दूरी के जल हस्तांतरण शामिल हैं।
  • वरुणी वेब-आधारित जल बजट एप्लिकेशन: जल मांग और आपूर्ति की गणना के लिए प्रामाणिक पोर्टलों से डेटा को स्वचालित रूप से एकीकृत करता है।

इस अभ्यास के प्रमुख परिणाम:

  • वरुणी जल बजट एप्लिकेशन को भारत के विभिन्न राज्य/कृषि-जलवायु क्षेत्रों के 18 आकांक्षी ब्लॉकों में पायलट किया गया।
  • विभिन्न क्षेत्रों में ब्लॉक-स्तरीय विश्लेषण जल संसाधनों की उपलब्धता, उपयोग पैटर्न और संबंधित चुनौतियों में महत्वपूर्ण विविधता दर्शाता है।

मुख्य कार्य बिंदु: यह मूल्यांकन विभिन्न कृषि-पर्यावरणीय क्षेत्रों के अनुसार समेकित जल संसाधन योजना की तत्काल आवश्यकता पर बल देता है, ताकि जल सुरक्षा और लचीलापन सुनिश्चित किया जा सके:

  • जल संकट: कई ब्लॉकों में गंभीर जल संकट है (नामची 94%, गंगिरी 60%, बलदेओगढ़ 53%, अंडिमदम 42%, अबू रोड 41%), जो यह दर्शाता है कि क्षेत्र-विशेष जल प्रबंधन रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता है।
  • अधिक दोहन: कोटरी और अबू रोड जैसे ब्लॉकों में भूजल विकास 100% से अधिक है, जिससे संसाधनों के अत्यधिक दोहन का खतरा पैदा होता है।
  • अल्प उपयोग: फतेहपुर, बक्सवाहा और अबू रोड जैसे क्षेत्रों में सतही जल का पर्याप्त उपयोग नहीं किया गया है, जो बेहतर अवसंरचना और प्रबंधन के लिए अवसर प्रदान करता है।
  • क्षेत्रीय प्राथमिकताएँ: हस्तक्षेप क्षेत्र-विशेष होने चाहिए—तटीय ब्लॉकों में लवणीयता प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए, बुंदेलखंड में भूजल पुनर्भरण और सतही जल भंडारण पर, तथा हिमालयी क्षेत्रों में झरनों की सुरक्षा पर जोर देना चाहिए।

Sources:
News On Air
PIB

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