संदर्भ:
हाल ही में, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने भारतीय नौसेना को छठी अंतिम स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी, आईएनएस वाघशीर सौंपी।
अन्य संबंधित जानकारी:
- वाघशीर को अप्रैल 2022 में लॉन्च किया गया था और एक वर्ष से अधिक समय तक गहन परीक्षण किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार पनडुब्बी है जो संचालन में सक्षम है।
- इस पनडुब्बी का नाम मूल आईएनएस वाघशीर (एक पूर्ववर्ती वेला श्रेणी की पनडुब्बी जिसे 1997 में सेवामुक्त कर दिया गया था) के नाम पर रखा गया है , जिसने भारतीय नौसेना में 22 वर्षों की सेवा की थी।
- कलवरी श्रेणी (प्रोजेक्ट 75) पनडुब्बियों का हिस्सा है ।
वाघशीर की मुख्य विशेषताएं :
स्टील्थ प्रौद्योगिकी:
- स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है, जो उत्कृष्ट स्टेल्थ विशेषताएं सुनिश्चित करती है ।
- इसमें उन्नत ध्वनिक अवशोषण, कम विकिरणित शोर और हाइड्रो-डायनामिक रूप से अनुकूलित आकार शामिल हैं।
- ये विशेषताएं पनडुब्बी को पानी के अंदर और सतह पर, दोनों जगह टारपीडो और ट्यूब-लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइलों के साथ सटीक हमला करने में सक्षम बनाती हैं।
मिशन क्षमताएं:
- वाघशीर विभिन्न मिशनों को अंजाम दे सकता है, जिसमें सतह-रोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी जुटाना और क्षेत्र की निगरानी शामिल है।
- इसे सभी वातावरणों में संचालन करने तथा नौसेना टास्क फोर्स के अन्य भागों के साथ निर्बाध रूप से काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
स्वचालन और एकीकृत प्रणालियाँ:
- इस पनडुब्बी में एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) और लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली (CMS) के साथ उच्च स्तर का स्वचालन है।
- ये प्रणालियाँ विभिन्न उपकरणों, सेंसरों और प्रौद्योगिकियों को एक शक्तिशाली प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करती हैं।
अन्य विशेषताएं:
- वाघशीर स्वदेशी रूप से विकसित एयर कंडीशनिंग प्लांट ” एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) और एक आंतरिक संचार और प्रसारण प्रणाली से सुसज्जित है।
- इसमें उन्नत मुख्य बैटरियां और कू(Ku )-बैंड सैटकॉम (रुक्मिणी) भी शामिल हैं, जो इसे पूर्व की पांच पनडुब्बियों से अलग बनाती हैं।
प्रदर्शन:
- गति: इसकी अधिकतम जल में गति 20 नॉट्स (37 किमी/घंटा) और सतह पर गति 11 नॉट्स (20 किमी/घंटा) है।
- गोताखोरी गहराई: यह 350 मीटर की गहराई तक गोता लगा सकता है, जिससे इसे सामरिक बढ़त मिलती है और यह 50 दिनों तक समुद्र में रह सकता है।