संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार ने अंतर-राज्यीय परिषद की स्थायी समिति का पुनर्गठन किया।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • केन्द्रीय गृह मंत्री अंतर-राज्यीय परिषद की नवगठित स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। 
  • इस समिति में 12 अन्य सदस्य भी शामिल हैं जिनमें वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री और आंध्र प्रदेश, असम, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित सात राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं।

अंतर-राज्यीय परिषद की स्थायी समिति के बारें में :

कार्य:

  • निरंतर परामर्श करना और मामलों को परिषद के विचारार्थ रखना। 
  • केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित सभी मामलों को अंतर-राज्यीय परिषद में विचार के लिए उठाए जाने से पहले संसाधित करना।
  • रिषद की सिफारिशों के आधार पर निर्णयों के कार्यान्वयन की निगरानी करना। 
  • अध्यक्ष/परिषद द्वारा संदर्भित किसी अन्य मामले पर विचार करना।

यदि आवश्यक हो तो वह संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करते समय  विशिष्ट क्षेत्रों के विशेषज्ञों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को आमंत्रित कर सकता है।

अंतर-राज्यीय परिषद के अध्यक्ष के अनुमोदन से समय-समय पर स्थायी समिति का पुनर्गठन किया जाता है।

इससे पहले, परिषद के विचारार्थ मामलों के सतत परामर्श हेतु वर्ष 1996 में अंतर-राज्यीय परिषद का गठन किया गया था। परिषद को  सचिवालय द्वारा सहायता प्रदान की जाती है जिसे अंतर-राज्जीय सचिवालय कहा जाता है।

अंतर-राज्यीय परिषद 

  • उत्पत्ति: भारतीय संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 263 में अंतर-राज्य परिषद के गठन  का प्रावधान है।
  • यह वित्त आयोग की तरह एक अस्थायी संवैधानिक निकाय है।
  • सरकारिया आयोग (1983-87) ने भी केंद्र-राज्य संबंधों पर संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत एक स्थायी अंतर-राज्य परिषद के गठन की सिफारिश की थी।

परिषद की संरचना: परिषद में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • प्रधानमंत्री – अध्यक्ष
  • सभी राज्यों के मुख्यमंत्री – सदस्य
  • जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधान सभा है उनके मुख्यमंत्री तथा जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधान सभा नहीं है उनके प्रशासक – सदस्य
  • केंद्रीय मंत्रिपरिषद में कैबिनेट स्तर के छह मंत्री, जिन्हें प्रधानमंत्री द्वारा नामित किया जाएगा – सदस्य

परिषद की बैठक वर्ष में कम से कम तीन बार हो सकती है।

अंतर-राज्यीय परिषद का कार्य

  • यह परिषद एक अनुशंसात्मक निकाय है जो अंतर्राज्यीय, केंद्र-राज्य और केंद्र-संघ राज्य क्षेत्रों  से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करता है। 
  • यह ऐसे विषयों की भी जांच और चर्चा करता है जिनमें राज्यों या केंद्र की साझा रुचि होती है।
  • यह किसी भी ऐसे विषय पर नीति और कार्रवाई के बेहतर समन्वय हेतु सिफारिशें करता है।

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