संदर्भ:

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश भारतीय महिलाएँ देखभाल संबंधी जिम्मेदारियों के कारण श्रम बल से बाहर हैं।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

ILO ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट ‘देखभाल जिम्मेदारियों का महिलाओं की श्रम भागीदारी पर प्रभाव’ जारी किया  है।

ये आँकड़े 125 देशों के सर्वेक्षणों  से प्राप्त किये गए हैं।

 वैश्विक स्तर  पर  वर्ष 2023 में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 748 मिलियन लोग देखभाल संबंधी जिम्मेदारियों के कारण श्रम बल से बाहर थे, जिनमें से 708 मिलियन महिलाएं थीं। 

  • वर्ष 2018 में  ILO के आंकड़ों से पता चला  कि वैश्विक स्तर पर, कामकाजी उम्र की 606 मिलियन महिलाएं देखभाल की जिम्मेदारियों के कारण श्रम बल में भाग नहीं ले रही थीं। 

श्रम बल से बाहर रहने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी वैश्विक स्तर पर 45 प्रतिशत है, जिसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी उत्तरी अफ्रीका (63 प्रतिशत) की है, जिसके बाद अरब राज्यों  (59 प्रतिशत), एशिया और प्रशांत क्षेत्र (52 प्रतिशत) का स्थान है, जबकि पूर्वी यूरोप में यह दर वैश्विक स्तर पर सबसे कम ( 11 प्रतिशत ) है। 

ईरान, मिस्र, जॉर्डन, माली और भारत में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं देखभाल संबंधी जिम्मेदारियों के कारण श्रम बल से बाहर हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि बेलारूस, बुल्गारिया, लातविया और स्वीडन में देखभाल के कारण 10 प्रतिशत से भी कम महिलाएं श्रम बल से बाहर हैं, जबकि प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1 प्रतिशत निवेश किया जाता है।

भारत में देखभाल संबंधी जिम्मेदारियों के कारण केवल 1.1 प्रतिशत पुरुष ही श्रम बल से बाहर रहते हैं।

रिपोर्ट से यह भी पता चला कि भारत में 97.8 प्रतिशत महिलाएं और 91.4 प्रतिशत पुरुष व्यक्तिगत या पारिवारिक कारणों से श्रम बल से बाहर हैं।

वर्ष 2023-24 के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, भारत में 36.7 प्रतिशत महिलाएँ और 19.4 प्रतिशत  कार्यबल घरेलू उद्यमों में अवैतनिक कार्यों में शामिल हैं, जबकि वर्ष 2022-23 में 37.5 प्रतिशत महिलाएँ और कुल श्रमिकों का 18.3 प्रतिशत होगी ।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) 

1919 में वर्साय की संधि के तहत ILO की स्थापना की गई थी। इसके पश्चात 1945 में ILO संयुक्त राष्ट्र की पहली विशेष एजेंसी बन गया।

  • वर्साय की संधि , प्रथम विश्व युद्ध के अंत में मित्र राष्ट्रों और संबंधित शक्तियों तथा जर्मनी द्वारा 28 जून 1919 को फ्रांस के वर्साय महल में हस्ताक्षरित एक शांति दस्तावेज था, जो जनवरी 1920 को लागू हुआ।

इसकी स्थापना इस विश्वास पर की गई थी कि सार्वभौमिक और स्थायी शांति तभी स्थापित हो सकती है जब वह सामाजिक न्याय पर आधारित हो।

यह एकमात्र त्रिपक्षीय संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, 1919 से ILO 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाता है। भारत इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक है।

वर्ष 1969 में ILO को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

ILO तीन मुख्य निकायों के माध्यम से अपना कार्य संपादित  करता है:

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन: अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों और ILO की व्यापक नीतियों को निर्धारित करने के लिए इसकी बैठक प्रतिवर्ष जिनेवा में होती है।
  • शासी निकाय: यह ILO की कार्यकारी परिषद है और ILO की नीति और बजट पर निर्णय लेने के लिए जिनेवा में वर्ष में तीन बार बैठक करती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय: यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का स्थायी सचिवालय है।

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