संदर्भ:
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट (International Tourism Mart-ITM) का 12वां संस्करण 26 से 29 नवंबर, 2024 के बीच असम के काजीरंगा में आयोजित किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट के बारें में
- यह भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है।
- यह पूर्वोत्तर भारत की जीवंत संस्कृतियों, आश्चर्यजनक परिदृश्यों और समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रमुख मंच है।
- इसका उद्देश्य सतत विकास को बढ़ावा देना और पूर्वोत्तर भारत की अपार पर्यटन संभावनाओं को उजागर करना है।
- यह आयोजन आठ पूर्वोत्तर राज्यों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
- पहला अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट जनवरी 2013 में असम के गुवाहाटी में आयोजित किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट का 12वां संस्करण
- उद्देश्य: पूर्वोत्तर भारत के अद्वितीय आकर्षण को उजागर करना, सतत पर्यटन को बढ़ावा देना और इस क्षेत्र को पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित करना है।
- भागीदारी: लगभग 400 प्रतिभागी, जिनमें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन सेवा प्रदाता , होटल व्यवसायी, होमस्टे मालिक, प्रभावशाली लोग, विचारकों (opinion leaders) और सरकारी अधिकारी शामिल हैं।
- विशेषताएँ: इसमें राज्य प्रस्तुतियाँ, व्यवसायी-व्यवसायी (B2B) बैठकें, पैनल चर्चाएँ, सांस्कृतिक संध्याएँ, सजीव संगीत, व्यंजनों का प्रदर्शन और उत्तर-पूर्व बाज़ार शामिल होंगे।
- प्रतिभागियों के लिए चराईदेव मोइदम (भारत का नवीनतम यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल), काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (राष्ट्रीय उद्यान के रूप में 50 वर्ष पूरे होने का उत्सव), हाथीकुली चाय बागान और आर्किड एवं जैव विविधता पार्क जैसे प्रतिष्ठित स्थलों के तकनीकी दौरे का आयोजन किया जाएगा।
- सतत पर्यटन: अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट 2024 पर्यटन मंत्रालय की जीवन के लिए यात्रा पहल के साथ संरेखित है जो स्थिरता पर बल देगा, ऊर्जा-कुशल प्रथाओं को अपनाएगा, एकल-उपयोग प्लास्टिक को खत्म करेगा और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए शटल सेवाएं प्रदान करेगा।
पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल
- स्वदेश दर्शन 2.0: यह सांस्कृतिक, साहसिक और पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है। इसमें गंगटोक सांस्कृतिक गाँव , मेघालय युग गुफा अनुभव और झरना ट्रेल्स अनुभव शामिल हैं।
- PRASHAD (तीर्थयात्रा पुनरुद्धार और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान): इसे असम में कामाख्या मंदिर और नागालैंड में जुन्हेबोटो जैसे स्थलों पर तीर्थयात्रा और विरासत पर्यटन के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए शुरू किया गया है।
- उड़ान-आरसीएस योजना (उड़े देश का आम नागरिक – क्षेत्रीय संपर्क योजना) 4.0: इस योजना का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत, पहाड़ी राज्यों और द्वीपों तक हवाई संपर्क बढ़ाना है।
- पर्यटन अवसंरचना विकास हेतु केंद्रीय एजेंसियों को सहायता: पूर्वोत्तर भारत में पर्यटन संबंधी अवसंरचना को बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में 22 दर्शनीय स्थलों के विकास हेतु 44.44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- मेलों/त्योहारों/पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों के आयोजन हेतु सहायता: पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रति राज्य 80 लाख रुपये और प्रति केंद्रशासित प्रदेश क्षेत्र हेतु 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- ट्रैवल फॉर लाइफ पहल: देश में सतत पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु इस पहल को शुरू किया गया है।