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सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन।
संदर्भ: हाल ही में, द लैंसेट की लैंसेट काउंटडाउन रिपोर्ट 2025 में जीवाश्म ईंधन से होने वाले प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में बढ़ते स्वास्थ्य, आर्थिक और पर्यावरणीय जोखिमों पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- प्रदूषण के प्रमुख स्रोत: भारत में जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाला उत्सर्जन, प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है।
- परिवहन जैसे कुछ क्षेत्रों में, ऊर्जा की 96 प्रतिशत आवश्यकता की पूर्ति जीवाश्म ईंधन के जलने से होती है।
 - दावानल की बढ़ती घटनाएं भी प्रदूषण में योगदान करती हैं।
 
 - मृत्यु दर:
- भारत में वर्ष 2022 में जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण से 72 मिलियन मौतें हुईं, जो 2010 की तुलना में 38% अधिक है।
 
 - आर्थिक नुकसान:
- बाहरी वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले होने वाली मौतों से भारत को 4 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद के 9.5% के बराबर है।
 - अत्यधिक गर्मी के कारण 247 बिलियन उत्पादक श्रम घंटों का नुकसान हुआ, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को 194 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और इसका परिणाम कृषि और निर्माण क्षेत्रों को भुगतना पड़ा।
 
 - क्षेत्रीय असमानता: घरेलू वायु प्रदूषण (मुख्यतः ठोस जैव ईंधन से) से प्रति 100,000 में 113 मौतें हुईं। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों (प्रति 100,000 पर 99) की तुलना में अधिक मौतें (प्रति 100,000 पर 125) दर्ज की गईं।
 - हरित आवरण का नुकसान: भारत को 2001 और 2023 के बीच 33 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष आवरण का नुकसान हुआ और केवल 2023 में ही 1.43 लाख हेक्टेयर वृक्ष आवरण का नुकसान हुई।
 - जलवायु परिवर्तन से प्रेरित हीटवेव: भारत में 2024 में 8 हीटवेव दिवस दर्ज किए गए और इनमें से 6.6 दिवस प्रत्यक्ष तौर पर जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव दिवस थे।
 - भारत के 35% भूभाग ने 2020-2024 तक प्रतिवर्ष कम से कम एक महीने के लिए अत्यधिक सूखे का सामना किया, जो 1950 के दशक से 138% की वृद्धि है।
 - बीमारियों में वृद्धि:
 - एडीज़ एल्बोपिक्टस मच्छरों के जरिए डेंगू संचरण संभावित रूप से बढ़ गया क्योंकि उनकी मूल प्रजनन दर महामारी की निम्न सीमा को पार कर गई।
 - विब्रियो संचरण के लिए उपयुक्त तटीय क्षेत्र 1982-2010 बेसलाइन की तुलना में 46% बढ़ गया।
 
वायु प्रदूषण कम करने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जनवरी 2019 में सभी हितधारकों को शामिल करके 24 राज्यों के 131 शहरों (गैर-प्राप्ति शहरों और मिलियन प्लस शहरों) में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया गया है।
- NCAP में वर्ष 2017 की आधार रेखा की तुलना में वर्ष 2024 तक PM सांद्रता में 20-30% की कमी लाने की परिकल्पना की गई है। वर्ष 2025-26 तक PM 10 के स्तर में 40% तक की कमी लाने या राष्ट्रीय मानकों (60 µg/m3) की प्राप्ति के लिए लक्ष्य को संशोधित किया गया है।
 
 - शहर-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं तैयार की गईं और कार्यान्वित की गईं, जिनमें वाहन, उद्योग, सड़क की धूल, अपशिष्ट जलाना, निर्माण गतिविधियां और घरेलू ईंधन जैसे प्रमुख प्रदूषण स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
 - वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए बीएस-VI उत्सर्जन मानदंड अधिसूचित किए गए हैं, जो बीएस-IV से बीएस-VI में उल्लेखनीय प्रगति है।
 - सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार दिल्ली-एनसीआर में 2000 cc से अधिक क्षमता वाले डीजल वाहनों पर 1% पर्यावरण संरक्षण शुल्क (EPC) लगाया गया है।
 - केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘प्रदूषण नियंत्रण’ और 15वें वित्त आयोग (XVFC) वायु गुणवत्ता अनुदान के माध्यम से शहरी स्थानीय निकायों को प्रदर्शन-आधारित अनुदान प्रदान किए गए हैं।
 

