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सामान्य अध्ययन2: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।

संदर्भ:

हाल ही में, सोलहवें वित्त आयोग ने 2026-27 से 2030-31 की अवधि के लिए अपनी अनुशंसाओं वाली रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत की।

सोलहवें वित्त आयोग के बारे में

  • सोलहवें वित्त आयोग (XVIFC) का गठन राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 280(1) के प्रावधानों के तहत किया था।
  • 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया हैं।
    • 16वें वित्त आयोग के सदस्य श्रीमती ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा, श्री टी. रबी शंकर और डॉ. सौम्या कांति घोष तथा आयोग के सचिव श्री ऋत्विक पाण्डेय है।
  • विचारार्थ विषयों (ToR) के अनुसार, आयोग को 01 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच वर्षों की अवधि को शामिल करते हुए निम्न विषयों पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए अधिदेश दिया गया था
    • संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों के वितरण के साथ-साथ राज्यों के बीच ऐसी प्राप्तियों के संबंधित हिस्सों के आबंटन
    • राज्यों को सहायता अनुदान
    •  आपदा प्रबंधन पहलों के वित्तपोषण की व्यवस्था की समीक्षा
  • संविधान के अनुच्छेद 281 के अनुसार पहले केंद्रीय वित्त मंत्री इसे संसद में प्रस्तुत करेंगे, उसके बाद रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी।

वित्त आयोग के बारे में

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 280 में वित्त आयोग को एक अर्ध-न्यायिक (क्वासी-ज्यूडिशियल) संस्था के रूप में स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।
  • इसे राष्ट्रपति द्वारा हर पाँच वर्ष में, या आवश्यकता पड़ने पर उससे पहले भी, गठित किया जाता है।
    • पहला वित्त आयोग 6 अप्रैल 1952 को राष्ट्रपति के आदेश से, श्री के. सी. नियोगी की अध्यक्षता में गठित किया गया था।
  • इसमें एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य शामिल होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
    • आयोग के अध्यक्ष के रूप में ऐसे व्यक्ति का चयन किया जाता है, जिसे सार्वजनिक मामलों का पर्याप्त अनुभव हो।
    • अन्य चार सदस्यों का चयन उन व्यक्तियों में से किया जाता है जिन्हें हाई कोर्ट के जज के रूप में अनुभव प्राप्त हो, सरकारी वित्त का ज्ञान हो, व्यापक वित्तीय या प्रशासनिक अनुभव हो, या अर्थशास्त्र में विशेषज्ञता हो।
  • कार्यकाल और पुनर्नियुक्ति: सदस्य राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित अवधि तक पद पर रहते हैं और उन्हें पुनः नियुक्त किया जा सकता है। वे राष्ट्रपति को लिखित रूप में अपना इस्तीफ़ा प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • प्रक्रिया और शक्तियां: आयोग अपनी कार्यप्रणाली स्वयं निर्धारित करता है और उसे सिविल कोर्ट जैसी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं-जैसे गवाहों को तलब करना, दस्तावेज़ मंगाना और सार्वजनिक अभिलेखों तक पहुँच हासिल करना। यह अपने कार्य से संबंधित आवश्यक जानकारी माँग सकता है और कुछ कानूनी उद्देश्यों के लिए इसे सिविल न्यायालय का दर्जा प्राप्त होता है।
  • वित्त आयोग मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपनी सिफ़ारिशें देता है:
    • उर्ध्वाधर हस्तांतरण: केंद्र के कर राजस्व में से राज्यों को साझा किए जाने वाले हिस्से का निर्धारण।
    • क्षैतिज हस्तांतरण: राज्यों के बीच इस राशि का वितरण कैसे होगा। राज्यों को मिलने वाला हिस्सा आमतौर पर जनसंख्या, आय स्तर और भौगोलिक परिस्थितियों जैसे मानकों पर आधारित होता है, हालांकि सभी राज्यों को दिए जाने वाले कुल हिस्से के लिए कोई एक निश्चित सूत्र निर्धारित नहीं होता।
  • 13वें, 14वें और 15वें वित्त आयोगों ने क्रमशः 32%, 42% और 41% केंद्रीय कर राजस्व राज्यों को देने की अनुशंसा की थी। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार संयुक्त योजनाओं (जॉइंट स्कीम्स) के लिए राज्यों को अतिरिक्त अनुदान भी प्रदान कर सकती है।

Sources:
Bussiness standard
PIB
Ani News

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