संदर्भ: 

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने एक प्रावधान के दुरुपयोग को प्रतिबंधित करने की मांग की, जो अधिकारियों को सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 और केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 (CGST  अधिनियम) का उल्लंघन करने के आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की अनुमति देता है।

अन्य संबंधित जानकारी:

राधिका अग्रवाल बनाम भारत संघ केस में ,

  • न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सीमा शुल्क और CGST अधिनियमों के तहत अधिकारियों के पास गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती सहित पुलिस के समान शक्तियां हैं।
  • इन अधिकारियों को वही प्रतिबंधों का पालन करना होगा, जो पुलिस अधिकारियों को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) के तहत लागू होते हैं।
  • यह निर्णय धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) जैसे कड़े कानूनों के तहत अभियोजन एजेंसियों की व्यापक शक्तियों को सीमित करने के सर्वोच्च न्यायालय के प्रयास का हिस्सा है। 

अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय (2025) केस 

  • इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही प्रवर्तन निदेशालय के लिए किसी को गिरफ्तार करने से पहले कठोर शर्तें तय कर दी थीं। 
  • न्यायालय ने अब इन आवश्यकताओं को सीमा शुल्क अधिनियम और CGST अधिनियम के तहत गिरफ्तारी करने वाले अधिकारियों पर भी लागू कर दिया है। 

न्यायालय ने निर्णय दिया कि ऐसी दबाव डालने की प्रक्रिया अवैध है, और जो व्यक्ति गिरफ्तारी के डर से कर भुगतान करने के लिए मजबूर किए जाते हैं, उन्हें धन की वापसी का अधिकार है।

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड को निर्देश दिया कि वे ऐसे दिशा-निर्देश तैयार करें, ताकि किसी भी करदाता को गिरफ्तारी की धमकी न दी जाए।

न्यायालय ने स्पष्ट किया की सीमा शुल्क अधिकारियों को गिरफ्तारी करने से पहले यह रिकॉर्ड करना होगा कि वे किस आधार पर मानते हैं कि व्यक्ति दोषी है, ताकि गिरफ्तार व्यक्ति इसे चुनौती दे सके और जमानत के लिए आवेदन कर सके।

CrPC के तहत गिरफ्तारी पर प्रमुख प्रतिबंध 

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि CrPC की धारा 4 और 5 अन्य कानूनों पर भी लागू होंगी। विशेष रूप से, गिरफ़्तारी के लिए पुलिस की शक्तियों पर प्रतिबंध सीमा शुल्क अधिकारियों पर भी लागू होंगे।

इन नियमों में शामिल हैं: 

  • गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।
  • अधिकारी को गिरफ्तारी की सूचना परिवार के सदस्य या मित्र को देनी होगी।
  • गिरफ्तार व्यक्ति को पूछताछ के दौरान अपने पास वकील रखने का अधिकार है। 

 सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय

ओम प्रकाश बनाम भारत संघ (2011):

  • इस निर्णय से पहले, सीमा शुल्क अधिनियम के तहत अपराधों को गैर-जमानती माना जाता था और एक बार गिरफ्तार होने के बाद, आरोपी को जमानत पर रिहा होने से पहले कुछ महीनों तक हिरासत में रखा जाता था।
  • इस मामले में, न्यायालय ने माना कि सीमा शुल्क अधिनियम और केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 के तहत अपराध गैर-संज्ञेय और जमानतीय हैं, जिनकी अधिकतम सजा 3 वर्ष से कम है।

अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय (2025): 

  • सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि वारंट के बिना गिरफ्तारी का अधिकार अत्यंत कठोर और गंभीर कदम है। इसलिए, PMLA की धारा 19 में सुरक्षा उपायों का प्रावधान है जो इसके उपयोग को नियंत्रित करते हैं।
  • ये सुरक्षा उपाय अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने की मांग करते हैं कि उनके पास पर्याप्त भौतिक साक्ष्य हों, वे एक लिखित अभिप्राय तैयार करें, और गिरफ्तारी ठोस कारणों पर आधारित हो, जिससे व्यक्ति को गिरफ्तारी को चुनौती देने या जमानत के लिए आवेदन करने का अवसर मिले।  
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