संदर्भ
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति नौ महीने के उच्चतम स्तर 5.49 प्रतिशत पर पहुँच गई, जो अगस्त माह में 3.65 प्रतिशत थी।
अन्य संबंधित जानकारी
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों कीमतों में बढ़ोत्तरी, विशेष रूप से फलों और सब्जियों की कीमतों (36 प्रतिशत की वृद्धि) के कारण हुई है।
- उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति, सितम्बर में बढ़कर 9.24 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 5.66 प्रतिशत और एक वर्ष पूर्व समान अवधि में 6.62 प्रतिशत थी।
एनएसओ रिपोर्ट से प्राप्त मुख्य जानकारी
• खाद्य मुद्रास्फीति में आई अप्रत्याशित वृद्धि: खाद्य और पेय पदार्थ, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का 45.86 प्रतिशत हिस्सा हैं, में सितंबर माह में मुद्रास्फीति बढ़कर 8.36 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त माह में 5.30 प्रतिशत थी। यह समग्र मुद्रास्फीति पर खाद्य कीमतों के पर्याप्त प्रभाव को दर्शाता है।
• जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं पर व्यापक असर: जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं, विशेषकर सब्जियों, की मुद्रास्फीति दर सितम्बर में 14 माह के उच्चतम स्तर 35.99 प्रतिशत पर पहुँच गई, जबकि यह अगस्त में 10.71 प्रतिशत थी।
- फलों की कीमतों में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इसकी मुद्रास्फीति 6.45 प्रतिशत से बढ़कर 7.65 प्रतिशत हो गई।
• आरबीआई का सतर्क दृष्टिकोण : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुद्रास्फीति के प्रभाव के कारण सतर्क रुख अपनाते हुए लगातार दसवीं बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर रखा है।
• सब्जियों को शामिल किए बिना, खाद्य एवं पेय पदार्थों की मुद्रास्फीति सितंबर में 59 महीने के निम्नतम स्तर 3.9 प्रतिशत देखने को मिलती है।
• क्षेत्रीय विविधताएँ: सितंबर माह में ग्रामीण मुद्रास्फीति बढ़कर 5.87 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी मुद्रास्फीति 5.05 प्रतिशत तक पहुँच गई।
• कोर मुद्रास्फीति ‘ अखाद्य और गैर ईंधन’’ सितंबर माह में बढ़कर 3.5 प्रतिशत हो गई, जो 8 महीने का उच्चतम स्तर है।
- विशेषकर, बिहार में मुद्रास्फीति की दर सबसे अधिक 7.50 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि दिल्ली में यह दर सबसे कम 3.67 प्रतिशत रही।
आगे की राह
- मुद्रास्फीति में वृद्धि की प्रवृति को देखते हुए, विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसकी निरंतर निगरानी आवश्यक है । मानसून की अनियमितता, वैश्विक खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें और संभावित भू-राजनीतिक तनाव आदि जैसे कई कारक मुद्रास्फीति परिदृश्य को और जटिल बना सकते हैं।
- अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने की संभावना है, जो 5.3 से 5.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी। इसका मुख्य कारण त्योहारों के कारण फलों की बढ़ती कीमतें तथा उच्च आयात शुल्क की वजह से उत्पादों की लागत का बढ़ना है।
- अर्थशास्त्रियों का अनुमान है, कि आरबीआई को आगे भी संयमित रुख अपनाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी प्रकार की दर में कटौती की संभावना को वर्ष 2025 तक टाला जा सके ।
- वर्तमान में, मुद्रास्फीति परिदृश्य मूल्य वृद्धि को कम करने हेतु रणनीतिक उपायों के महत्व को रेखांकित करता है, जो विशेष रूप से खाद्य क्षेत्र में देखने को मिलती है।