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सामान्य अध्ययन-3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के क्षेत्र में जागरूकता।

संदर्भ: 

हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने सिकल सेल रोग के लिए भारत की पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी लॉन्च की।

अन्य संबंधित जानकारी

  • भारत ने सिकल सेल डिजीज (SCD) के लिए अपनी पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी BIRSA 101 लॉन्च की, जो देश के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
  • इसे आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर लॉन्च किया गया, जो उन आदिवासी समुदायों के लिए थेरेपी के सामाजिक और प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाता है, जो SCD से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
  • यह पहल राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (2023–2030) के लक्ष्य के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य समय पर स्क्रीनिंग, समग्र प्रबंधन और अंततः इस बीमारी का उन्मूलन करना है।

BIRSA 101 के बारे में 

  • BIRSA 101 CRISPR-Cas9 जीन-एडिटिंग तकनीक का उपयोग करके सिकल सेल रोग के लिए जिम्मेदार दोषपूर्ण बीटा-ग्लोबिन जीन में सुधार करती है।
  • इस प्रक्रिया में मरीजों के अस्थि मज्जा (Bone Marrow) से स्टेम सेल एकत्र किए जाते हैं, प्रयोगशाला में नियंत्रित परिस्थितियों में दोषपूर्ण जीन की एडिटिंग की जाती है, और फिर सही की गई कोशिकाओं को रोगी के शरीर में पुनः प्रत्यारोपित किया जाता है।
  • BIRSA 101 रोग उत्पन्न करने वाले जीन उत्परिवर्तन में सटीक सुधार करती है और इसे एक बारे में में ही रोगी में संपुटित किया जाता है, जिससे शरीर सामान्य लाल रक्त कोशिकाएँ उत्पन्न करने में सक्षम हो जाता है, और ये कोशिकाएँ अब सिकल के आकार की नहीं बल्कि सामान्य आकार की होती हैं।

तकनीक का महत्त्व

  • स्वदेशी नवाचार: भारत ने उन्नत जैव-चिकित्सा अनुसंधान और सटीक चिकित्सा (Precision Medicine) में वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन किया है।
  • किफायती थेरेपी: इस थेरेपी की लागत वैश्विक लागत की तुलना में बहुत कम है, जिससे जीवन रक्षक जीन थेरेपी तक अधिक लोगों की पहुँच सुनिश्चित होती है।
  • जैव प्रौद्योगिकी सुदृढ़ीकरण: यह देश की बायोटेक नवाचार प्रणाली को सुदृढ़ करती है और जैव प्रौद्योगिकी विभाग की नीतियों तथा मेक इन इंडिया पहल का समर्थन करती है।
  • स्वास्थ्य देखभाल में परिवर्तन: यह जीन-एडिटिंग तकनीक “सटीक आनुवंशिक सर्जरी” की तरह कार्य करती है, जो न केवल सिकल सेल रोग का उपचार कर सकती है, बल्कि कई अन्य अनुवांशिक रोगों के उपचार के तरीकों को भी बदल सकती है।
  • समान सार्वजनिक स्वास्थ्य: यह भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में समानता की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, विज्ञान की प्रगति को सामाजिक न्याय के साथ जोड़ते हुए वंचित और पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देती है।

CRISPR/Cas9 तकनीक की चुनौतियाँ:

  • कुशल विशेषज्ञ: जीन-एडिटिंग थेरेपी के लिए कुशल विशेषज्ञों, विशेष लैब इन्फ्रास्ट्रक्चर और सख्त जैवसुरक्षा निगरानी की आवश्यकता होती है।
  • नैतिक चिंताएँ: जर्मलाइन एडिटिंग, दीर्घकालिक जीनोमिक स्थिरता और समान पहुँच को लेकर नैतिक विचार-विमर्श वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बने हुए हैं।
  • नियामक विकास: भारत में नियामक ढांचे अभी विकासशील हैं; जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल समिति  (GEAC) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) जैसी एजेंसियों द्वारा इनकी निरंतर निगरानी की जानी चाहिए।
  • कार्यान्वयन की चुनौतियाँ: मुख्य शोध अस्पतालों के बाहर CRISPR-आधारित थेरेपी की किफायती और व्यापक पहुँच सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। इसका विस्तार करने के लिए उच्च लागत, अवसंरचना की आवश्यकता और विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर्मियों की आवश्यकता को संबोधित करना होगा।
  • प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण: समय पर हस्तक्षेप और रोग की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए सतत सार्वजनिक जागरूकता और पूर्व-नैदानिक स्क्रीनिंग कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह दृष्टिकोण उपचार को प्रतिक्रियात्मक से पूर्व-सक्रिय (proactive) स्वास्थ्य प्रबंधन की ओर अग्रसर करता है।

CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शोर्ट पेलिनड्रोमिक रिपीट्स)

  • CRISPR एक उल्लेखनीय जीन-एडिटिंग उपकरण है, जिससे बैक्टीरिया की प्रतिरक्षा प्रणाली से विकसित किया गया है और यह DNA अनुक्रमों में सटीक और लक्षित परिवर्तन करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • Cas9 एंज़ाइम आणविक कैंची (molecular scissors) के रूप में कार्य करता है, और DNA को इच्छित स्थान पर काटता है ताकि आनुवंशिक सामग्री को जोड़ा, हटाया या बदला जा सके।
  • सिकल सेल रोग के संदर्भ में, यह तकनीक विकृत लाल रक्त कोशिकाओं के लिए जिम्मेदार HbS (हीमोग्लोबिन S) जीन में हुए उत्परिवर्तन को सही करती है, जिससे ऑक्सीजन परिवहन में आने वाली समस्या और अंगों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
  • यह तकनीक पुराने जीन-एडिटिंग तरीकों की तुलना में तेज़, किफायती और अधिक सटीक मानी जाती है।
  • वर्ष 2020 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार CRISPR/Cas9 जीन-एडिटिंग उपकरण  के लिए प्रदान किया गया।

सिकल सेल रोग (SCD) 

  • सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएँ असामान्य अर्धचंद्राकार (crescent) या दरांती (sickle) के आकार की हो जाती हैं।  ये  विकृत कोशिकाएँ रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर देती हैं, जिससे दर्दनाक दौर (जिसे वासो-ऑक्लूसिव क्राइसिस कहते हैं), एनीमिया और अंगों को क्षति जैसी गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं। 
  • यह मुख्य रूप से भारत की जनजातीय आबादी को प्रभावित करता है, जहाँ इसके 2 करोड़ से अधिक वाहक हैं और प्रतिवर्ष इससे प्रभावित कई बच्चे जन्म लेते हैं।
  • यह रोग स्वास्थ्य असमानताओं को बढ़ाता है, क्योंकि जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित उपचार सीमित रहता है।

Sources:
Indian Express
Medline Plus
Pib. Gov

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