संबंधित प्रश्न:
सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
संदर्भ:
हाल ही में, पर्यावरण मंत्रालय ने सरिस्का बाघ अभयारण्य की युक्तिकरण योजना (rationalisation plan) को लेकर उठाए जा रहे सवालों को संज्ञान में लेने और उन पर पुनर्विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
सीमा युक्तिकरण के बारे में
- 23 जून 2025 को राजस्थान राज्य वन्यजीव बोर्ड (SWLB) ने युक्तिकरण योजना को मंजूरी दी और इसे 48 घंटे से भी कम समय में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की मंजूरी मिल गई।
- 26 जून, 2025 को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति ने बाघ अभयारण्य के बफर जोन को 42 वर्ग किलोमीटर कम करने और महत्वपूर्ण बाघ आवास (CTH) को 43 वर्ग किलोमीटर बढ़ाने का निर्णय लिया।
- जुलाई में, अलवर स्थित गैर-लाभकारी संस्था टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट ने प्रस्तावित युक्तिकरण को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसके बाद अगस्त में गुड़गांव स्थित पीपुल फॉर अरावलीस और तीन अन्य याचिकाकर्ताओं ने भी इस मामले में याचिका दायर की।
- यदि सीमाओं में परिवर्तन किया गया तो उच्चतम न्यायालय के आदेश के कारण बंद की गई 50 से अधिक खदानें, जो मौजूदा महत्वपूर्ण बाघ आवास के 1 किमी. के दायरे में आती हैं, को पुनः शुरू किया जा सकता है जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो सकता है।
मुख्य चिंताएँ
- बफर जोन और वन्यजीव गलियारों का नुकसान: बफर जोन के सिकुड़ने से वन्यजीवों की आवाजाही प्रतिबंधित होती है, आनुवंशिक विविधता कम होती है, मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ता है, तथा दीर्घकालिक प्रजातियों के अस्तित्व और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को नुकसान पहुंचता है।
- पर्यावरणीय खतरे: बहिष्कृत क्षेत्रों में खदानों को पुनः शुरू करने से विस्फोट, धूल, आवास विनाश और जल का संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे जैव विविधता को नुकसान पहुँचता है, आलोचकों का तर्क है कि पारिस्थितिक चिंताओं के स्थान पर व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता दी जा रही है।
- कानूनी और प्रक्रियात्मक मुद्दे: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अछूते महत्वपूर्ण बाघ आवास और अक्षुण्ण बफर जोन की आवश्यकता है, तथा उनकी सीमाओं में परिवर्तन के लिए वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और कानूनी अनुमोदन आवश्यक है; हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में की गई, क्योंकि कुछ ही दिनों में मंजूरी दे दी गई थी।
- भविष्य के लिए उदाहरण और निहितार्थ: संरक्षणवादियों ने चेतावनी दी है कि खनन के लिए सीमा परिवर्तन की अनुमति देना एक बेहतर उदाहरण नहीं है, क्योंकि यह संरक्षित आवासों और भारत के संरक्षण ढांचे को कमजोर करता है।
महत्वपूर्ण बाघ आवास (CTH)
- महत्वपूर्ण बाघ आवास किसी बाघ अभयारण्य के कानूनी रूप से अधिसूचित कोर जोन को संदर्भित करता है।
- यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अधिसूचित कानूनी रूप से परिभाषित क्षेत्र है।
- इन क्षेत्रों को वैज्ञानिक रूप से बाघों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण माना गया है और प्रजनन सुनिश्चित करने तथा आनुवंशिक संपर्क बनाए रखने के लिए इन्हें मानव बस्तियों और वाणिज्यिक गतिविधियों से अछूता रखा गया है।
- वे बाघ अभयारण्य का कोर जोन होते हैं, जोकि एक बफर जोन से घिरा होता है| बफर जोन शॉक ऑब्जर्वर के रूप में कार्य करता है।
सरिस्का टाइगर रिज़र्व
सरिस्का बाघ अभयारण्य राजस्थान के अलवर जिले में अरावली पहाड़ियों पर स्थित है।
इसे 1955 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया और 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ अभयारण्य में उन्नत किया गया। इसके साथ ही 1982 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
2004 में स्थानीय विलुप्ति के बाद बाघों को पुनः संरक्षित करने वाला यह विश्व का पहला अभयारण्य है।
वनस्पति: सरिस्का की वनस्पति उत्तरी उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वनों और उत्तरी उष्णकटिबंधीय कंटीले वनों के समान है।
जीव-जंतु: यहाँ जंगली स्तनधारियों की विविधता पाई जाती है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यहाँ का मुख्य शिकारी बाघ है।
- इसके अलावा, यहाँ तेंदुए और लकड़बग्घे सहित कई बड़े मांसाहारी जानवर भी पाए जाते हैं। छोटे मांसाहारी जानवरों में कैराकल, जंगली बिल्ली, रैटल आदि शामिल हैं।
- सरिस्का में कई प्रकार की पक्षी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जिनमें कुछ शीतकालीन प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। यहाँ मोर और ग्रे फ्रेंकोलिन की आबादी बहुत अधिक है।