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सामान्य अध्ययन-3: बुनियादी ढाँचा; ऊर्जा

संदर्भ: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) का अनुमान है कि वह दिसंबर 2025 तक अपनी पानीपत रिफाइनरी में वाणिज्यिक पैमाने पर सतत या टिकाऊ विमानन ईंधन (SAF) का उत्पादन करना शुरू कर देगा।

अन्य संबंधित जानकारी

• इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन अपनी पानीपत रिफ़ाइनरी में सतत विमानन ईंधन उत्पादन के लिए ISCC CORSIA प्रमाणन प्राप्त करने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई है। ISCC अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता और कार्बन प्रमाणन का जबकि CORSIA अंतर्राष्ट्रीय विमानन के लिए कार्बन ऑफसेटिंग और न्यूनीकरण योजना का संक्षिप्त रूप है।

• ISCC CORSIA एक प्रमाणन प्रणाली है जो सतत विमानन ईंधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय विमानन हेतु CORSIA मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करती है।

• रिफ़ाइनरी में वार्षिक उत्पादन क्षमता प्रयुक्त खाद्य तेल (UCO) से 35,000 टन सतत विमानन ईंधन का उत्पादन होगी।

• यह क्षमता 2027 तक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए भारत की 1% सतत विमानन ईंधन सम्मिश्रण आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी।

• उत्पादन के लिए फीडस्टॉक मुख्य रूप से बड़े होटलों, रेस्तरां और स्नैक कंपनियों से आएगा।

• ISCC CORSIA प्रमाणन वाणिज्यिक SAF उत्पादन के लिए एक पूर्व शर्त है और यह अन्य घरेलू रिफाइनरों के लिए एक मानक निर्धारित करता है।

ICAO के बारे में 

• मुख्यालय: मॉट्रियल कनाडा

• अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है जिसकी स्थापना 1944 में विश्व भर में सुरक्षित और कुशल हवाई परिवहन सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।

• यह हवाई नेविगेशन, संचार और हवाई अड्डे के संचालन के लिए वैश्विक नियम और मानक निर्धारित करता है।

• यह हवाई यातायात प्रबंधन, विमानन सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों से भी निपटता है।

CORSIA का अधिदेश

• यह अंतर्राष्ट्रीय विमानन से होने वाले CO2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए ICAO द्वारा शुरू की गई एक वैश्विक योजना है।

• इसका लक्ष्य कार्बन ऑफसेटिंग, कार्बन क्रेडिट और सतत विमानन ईंधन का उपयोग करके शुद्ध उत्सर्जन को 2020 के स्तर पर बनाए रखना है।

• CORSIA अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर लागू होता है और विश्व भर की एयरलाइनों के लिए 2020 के स्तर से अधिक कार्बन उत्सर्जन को ऑफसेट करना आवश्यक बनाता है।

• यह केवल एक देश से दूसरे देश के लिए संचालित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर लागू होता है।

• उत्सर्जन में कमी की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु एयरलाइनों के लिए जेट ईंधन को सतत विमानन ईंधन के साथ सम्मिश्रित करना एक प्रमुख रणनीति है।

• वैश्विक स्तर पर SAF को अपनाने के लिए CORSIA के अनिवार्य चरण की शुरुआत 2027 से होगी।

• भारत भी 2027 से शुरू होने वाले अनिवार्य CORSIA चरण का अनुपालन करेगा।

सतत विमानन ईंधन (SAF)

• SAF एक वैकल्पिक ईंधन है जो गैर-पेट्रोलियम और टिकाऊ फीडस्टॉक्स से बनाया जाता है और हवाई परिवहन से होने वाले उत्सर्जन को कम करता है।

• इसकी रासायनिक संरचना पारंपरिक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (Aviation Turbine Fuel) से काफी मिलती-जुलती होगी।

• SAF को फीडस्टॉक और ईंधन के उत्पादन के तरीके के आधार पर 10% से 50% की सीमा के साथ विभिन्न स्तरों पर सम्मिश्रित किया जा सकता है।

• SAF कई प्रकार की सामग्रियों से प्राप्त किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • तेल और वसा जैसे प्रयुक्त खाना पकाने का तेल (UCO), पौधों से प्राप्त तेल युक्त बीज, शैवाल तेल, पशु वसा
  • नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) 
  • कृषि और वानिकी अवशेष जैसे लकड़ी का कचरा, गन्ने की खोई, मकई का चारा, भूसी और पुआल, शर्करा और स्टार्च

SAF के मुख्य लाभ

• वैश्विक विमानन उद्योग के डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में अकेले SAF का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक होने की संभावना है।

• नवीकरणीय हाइड्रोकार्बन जैव ईंधन कई लाभ प्रदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • इंजन और बुनियादी ढाँचा संगतता—पारंपरिक जेट A के साथ सम्मिश्रित SAF का उपयोग मौजूदा विमानों और बुनियादी ढांचे में किया जा सकता है।
  • कम उत्सर्जन—पारंपरिक जेट ईंधन की तुलना में, 100% SAF में फीडस्टॉक और प्रौद्योगिकी मार्ग के आधार पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 94% तक कम करने की क्षमता है।
  • अधिक लचीलापन— SAF पारंपरिक जेट ईंधन का प्रतिस्थापन है, जो विभिन्न फीडस्टॉक और उत्पादन प्रौद्योगिकियों से कई उत्पादों के निर्माण को सक्षम बनाता है।

भरात का SAF सम्मिश्रण रोडमैप

• राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) ने सांकेतिक मिश्रण लक्ष्य निर्धारित किए हैं:

  • 2027 में 1% सम्मिश्रण (अंतर्राष्ट्रीय उड़ान).
  • 2028 में 2% सम्मिश्रण (अंतर्राष्ट्रीय उड़ान).

• घरेलू उड़ानों के लिए SAF सम्मिश्रण लक्ष्य 2027 के बाद निर्धारित किया जा सकता है।

SAF के लिए चुनौतियाँ

• उच्च उत्पादन लागत: वर्तमान में SAF की लागत नियमित जेट ईंधन से लगभग तीन गुना अधिक है।

• संभावित ईंधन लागत वृद्धि को लेकर एयरलाइनों का विरोध।

• लागत संबंधी चिंताओं के कारण घरेलू उड़ानों के लिए अधिदेश 2027 या उसके बाद तक के लिए स्थगित किए जा रहे हैं।

https://www.iscc-system.org/certification/iscc-certification-schemes/iscc-corsia

https://indianexpress.com/article/upsc-current-affairs/upsc-essentials/knowledge-nugget-sustainable-aviation-fuel-corsia-upsc-exam-10196630

https://indianexpress.com/article/business/aviation/flight-cancellations-indian-airlines-geopolitical-tensions-10197147

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