संदर्भ:

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2035 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को वर्ष 2005 के स्तर से 61-66% तक  कम करने के लिए  जलवायु लक्ष्य निर्धारित  किया है।  

अन्य संबंधित जानकारी: 

  • यह लक्ष्य आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन को देश के अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) में प्रस्तुत किया गया था।
  • यह नया लक्ष्य अमेरिका के मौजूदा 2030 लक्ष्य पर आधारित है, जो वर्ष 2005 के स्तर से 50-52% की कमी दर्शाता है। 
  •  अमेरिका ने पहले ही अपने 2020 के लक्ष्य को पार कर लिया है, जो 2005 के स्तर से 17% की कमी पर निर्धारित किया गया था।

संयुक्त राज्य अमेरिका के जलवायु लक्ष्य:

  • वर्ष 2035 का लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए संरेखित करता है, जैसा कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल (IPCC) की छठी आंकलन रिपोर्ट में  उल्लिखित है।
  • अमेरिका वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल के अनुसार, 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2030 तक आवश्यक वैश्विक उत्सर्जन में कमी 2019 के स्तर से 43% कम है।  

जलवायु वित्त संग्रहण का मुद्दा

NDC में जलवायु वित्त के लिए अमेरिका से किसी विशिष्ट वित्तीय प्रतिबद्धता का अभाव है। 

  • पेरिस जलवायु समझौते के तहत अमेरिका जैसे विकसित देशों से जलवायु अनुकूलन के लिए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की जाती है। 
  • वर्ष 2023 में अमेरिका ने वैश्विक जलवायु वित्त में 9.5 बिलियन डॉलर का योगदान दिया, जो ऐतिहासिक रूप से वैश्विक उत्सर्जन के लिये 25% से अधिक ज़िम्मेदार होने के बावजूद कुल जुटाए गए धन का लगभग 10% ही है।

COP29 में, विकसित देशों ने वर्ष 2035 तक अपने वित्तीय दायित्वों को 100 बिलियन डॉलर से 300 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष तक तिगुना करने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन अमेरिका के  NDC  ने अतिरिक्त योगदान के लिए योजनाओं की रूपरेखा नहीं दी।

भारत का अद्यतन NDCs 

  • वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी हासिल करना।
  • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा स्रोतों से 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता तक पहुंचना, जो हरित जलवायु कोष (GCF) से वित्तपोषण सहित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त द्वारा समर्थित है।
  • वर्ष 2030 तक वन और वृक्षों के आवरण में वृद्धि के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना।
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