समुद्र प्रदक्षिणा     

संदर्भ:

हाल ही में, रक्षा मंत्री ने मुंबई से समुद्र प्रदक्षिणा का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया, जो विश्व का पहला त्रि-सेवा पूर्ण महिला दल द्वारा संचालित नौकायन अभियान है।

अभियान के बारे में

  • रक्षा मंत्री ने इस अभियान को नारी शक्ति का एक ज्वलंत प्रतीक बताया, जो तीनों सेनाओं की सामूहिक शक्ति, एकता और एकजुटता का प्रतीक है।
  • अगले नौ महीनों में, भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की 10 सदस्यीय सभी महिला चालक दल स्वदेशी रूप से निर्मित भारतीय सेना नौकायन पोत (IASV) त्रिवेणी पर सवार होकर यात्रा करेगी।
  • यह विश्व का पहला त्रि-सेवा पूर्ण महिला दल नौकायन अभियान है, जो भूमध्य रेखा को दो बार पार करेगा, तीन महान अन्तरीपों – लीउविन, हॉर्न और गुड होप का चक्कर लगाएगा तथा सभी प्रमुख महासागरों को कवर करेगा।
  • यह अभियान मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से शुरू होकर पूर्वी मार्ग पर लगभग 26,000 समुद्री मील की दूरी तय करेगा।
  • इस चालक दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अनुजा वरुडकर कर रही हैं, और चालक दल को 3 वर्ष का कठोर प्रशिक्षण प्राप्त है और यह राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के सहयोग से वैज्ञानिक अनुसंधान भी करेगा।  
  • चालक दल चार बंदरगाहों – फ्रेमेंटल (ऑस्ट्रेलिया), लिटलटन (न्यूजीलैंड), ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना) और केप टाउन (दक्षिण अफ्रीका) पर भी रुकेगा और अभियान की समाप्ति के बाद इसके मई 2026 में मुंबई लौटने की योजना है।  

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची के लिए छठ पूजा का नामांकन

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने छठ महापर्व को यूनेस्को की मानवता की प्रतिनिधि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ परामर्श शुरू किया।      

अन्य संबंधित जानकारी

  • छठी मैया फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को भारत में यूनेस्को नामांकन के लिए नोडल एजेंसी, संगीत नाटक अकादमी (NSA) को भेज दिया गया।
  • संस्कृति मंत्रालय ने नई दिल्ली में संयुक्त अरब अमीरात, सूरीनाम और नीदरलैंड के राजनयिकों के साथ एक बैठक बुलाई, जिसमें छठ महापर्व के यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची (2003 कन्वेंशन) में बहुराष्ट्रीय नामांकन पर चर्चा की गई।
  • राजनयिकों ने इस पहल का स्वागत किया और अपने देशों में प्रवासी भारतीयों के लिए इस महोत्सव के महत्व को स्वीकार किया तथा पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।

छठ पूजा 

  • यह सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक प्राचीन वैदिक त्यौहार है और भारत के सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है।
  • यह त्यौहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और विश्व भर में भारतीय प्रवासियों के बीच मनाया जाता है।
  • यह त्यौहार चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें कठोर अनुष्ठान, उपवास और सामुदायिक भागीदारी शामिल होती है।
  • अपने पारिस्थितिक लोकाचार और समानता पर जोर देने के लिए जाना जाने वाला यह त्यौहार जाति, पंथ और धर्म से ऊपर उठकर स्थिरता, समावेशिता और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है।

अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर

  • संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को के माध्यम से, अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को उन प्रथाओं, अभिव्यक्तियों, ज्ञान और कौशल के रूप में परिभाषित करता है जिन्हें समुदाय, समूह और व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक धरोहर के हिस्से के रूप में पहचानते हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित करते हैं।
  • ये जीवित सांस्कृतिक परंपराएँ निरंतर विकसित होती रहती हैं और किसी समुदाय की पहचान तथा सामाजिक एकता से गहराई से जुड़ी होती हैं और ये मौखिक परंपराओं, प्रदर्शन कलाओं, सामाजिक प्रथाओं, अनुष्ठानों, उत्सवों और पारंपरिक शिल्पकला जैसे विभिन्न रूपों के माध्यम से व्यक्त की जाती हैं।  
  • यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची के माध्यम से, विभिन्न देश मानव धरोहर के अमूल्य पहलुओं को संरक्षित करने और उत्सव मनाने के लिए सहयोग करते हैं ताकि भावी पीढ़ियों के लिए उन्हें संरक्षित किया जा सके।
  • वर्तमान में भारत की 15 परंपराएँ यूनेस्को की मानवता की प्रतिनिधि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल हैं।

व्यवसायों का अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण 

संदर्भ:

हाल ही में, भारत सरकार ने ‘व्यवसायों के अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण’ को विकसित करने के लिए सहयोग हेतु अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

समझौता ज्ञापन (MoU) की मुख्य विशेषताएं       

  • यह समझौता ज्ञापन युवाओं को वैश्विक रोज़गार के अवसरों तक पहुँचने में सुविधा प्रदान करेगा।
  • भारत द्वारा €650,000 के योगदान से समर्थित, यह ILO के साथ भारत का पहला प्रत्यक्ष वित्त पोषण समझौता है, जो बहुपक्षीय सहयोग में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाता है।
  • इस पहल का उद्देश्य भारतीय स्नातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना तथा भारत को उच्च-गुणवत्ता, भविष्य-उन्मुख शिक्षा एवं कौशल विकास का केंद्र बनाना है।
  • भारत की 2023 की अध्यक्षता के दौरान, G20 नेताओं ने यह संकल्प लिया कि जनसांख्यिकीय असंतुलन और तीव्र डिजिटलीकरण से उत्पन्न वैश्विक कौशल की कमी को दूर किया जाएगा। इसके लिए वे कौशल-आधारित प्रवासन मार्गों को बढ़ावा देंगे और कौशल एवं योग्यता आवश्यकताओं पर आधारित व्यवसायों के अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण को समर्थन देंगे।
  • यह समझौता भारतीय श्रमिकों को वैश्विक श्रम बाजारों में सहजता से एकीकृत होने में मदद करेगा और भारत के न केवल विश्व की कौशल राजधानी बनने, बल्कि कार्यबल की कमी से जूझ रहे देशों के लिए प्रतिभा का एक विश्वसनीय स्रोत बनने के दृष्टिकोण को भी पुष्ट करता है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना 1919 में वर्साय की संधि के तहत हुई थी। बाद में, 1945 में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र की पहली विशिष्ट एजेंसी बनी।
  • इसकी स्थापना इस विश्वास पर की गई थी कि सार्वभौमिक और स्थायी शांति तभी स्थापित हो सकती है जब वह सामाजिक न्याय पर आधारित हो।
  • यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय एजेंसी है, जो 1919 से 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाती है। भारत इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
  • ILO का मुख्यालय जिनेवा, स्विटजरलैंड में है।        

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा आकाशगंगा के धूल भरे आवरण का मानचित्रण

संदर्भ:

खगोलविदों ने ब्रह्मांडीय धूल की उन अदृश्य परतों का मानचित्रण किया है जो हमारी आकाशगंगा (मिल्की वे) को ढककर तारों के प्रकाश को लालिमा प्रदान करती हैं।

अध्ययन के बारे में 

  • प्रमुख संस्थान: यह शोध भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES) के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। यह अध्ययन भविष्य में उन क्षेत्रों की पहचान में सहायक होगा, जहाँ नए तारों का निर्माण हो रहा है।
  • अंतरतारकीय धूल का महत्व: आकाशगंगा में अंतरतारकीय धूल और गैस के विशाल बादल मौजूद हैं जो तारों के प्रकाश को अवरुद्ध या मंद कर सकते हैं। इस परिघटना को तारों के “प्रकाश का लुप्त होना” कहा जाता है।
  • धूल के वितरण का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि तारे कहाँ बनते हैं और आकाशगंगा की समग्र संरचना कैसी है।
  • कार्यप्रणाली: वैज्ञानिकों ने 6,000 से अधिक ओपन क्लस्टरों (तारों के समूहों) से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग करते हुए गैलेक्टिक डिस्क (आकाशगंगा की पतली समतल परत) में अंतरतारकीय धूल के वितरण का मानचित्रण किया।
  • मुख्य निष्कर्ष: आकाशगंगा की अंतरतारकीय धूल समान रूप से वितरित नहीं है। यह एक पतली, लहरनुमा “लालिमायुक्त परत” बनाती है, जो केंद्रीय आकाशगंगा सतह से थोड़ा नीचे स्थित होती है और यह तरंगों की भांति ऊपर-नीचे विस्थापित होती रहती है। धूल की सबसे अधिक सांद्रता गैलेक्टिक देशांतर 41° के आसपास है और सबसे कम 221° के समीप पाई गई।
  • सूर्य इस धूल भरी परत से लगभग 50 प्रकाश वर्ष (15.7 पारसेक) ऊपर स्थित है, जो हमारी आकाशगंगा के भीतर धूल की असमान और गतिशील संरचना को उजागर करता है।
  • यह भी पुष्टि हुई है कि अधिकांश धूल एक संकीर्ण पट्टी में केंद्रित है जहाँ सक्रिय रूप से नए तारे बन रहे हैं।
  • भविष्य में अनुप्रयोग: इन निष्कर्षों से खगोलविदों को अंतरतारकीय धूल के दृष्टिरोधक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए तारों और दूरस्थ आकाशगंगाओं के आंतरिक गुणों का अधिक सटीक अध्ययन करने में मदद मिलेगी।        

दक्षिण-पश्चिम मानसून

संदर्भ:

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून (SWM) ने पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों से वापसी शुरू कर दी है। यह पिछले एक दशक में मानसून की सबसे जल्दी वापसी है।

अन्य संबंधित जानकारी                 

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून ने पश्चिमी राजस्थान से 14 सितंबर को वापसी शुरू कर दी, जो सामान्य वापसी तिथि 17 सितंबर से तीन दिन पहले है। वर्ष 2024 में वापसी 23 सितंबर को और वर्ष 2023 में 25 सितंबर को शुरू हुई थी।
  • वर्ष 2025 में मानसून का आगमन सामान्य से पहले हुआ। मानसून का आगमन 1 जून की सामान्य तिथि के बजाय 24 मई को हुआ।

मानसून वापसी के मानदंड

  • मानसून के आगमन के मानदंडों की तरह ही, IMD ने मानसून की वापसी के लिए भी निम्न कुछ मानदंड निर्धारित किए हैं:
  • पश्चिमी राजस्थान में समुद्र तल से लगभग 5 किमी ऊँचाई पर प्रतिचक्रवाती परिसंचरण (anti-cyclonic circulation) का विकसित होना।
  • इस क्षेत्र में लगातार पाँच दिनों तक शुष्क या बिना वर्षा की स्थिति बनी रहना।
  • क्षेत्र में क्षोभमंडल तक नमी में कमी होना।

राज्यों में मानसून की प्रवृत्ति

  • IMD के अनुसार, 15 सितंबर तक देश में इस मौसम में सामान्य से 7% अधिक वर्षा दर्ज की गई।
  • पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में स्थित केवल चार राज्यों में कम वर्षा दर्ज की गई।    
  • मेघालय में सर्वाधिक 44% कम वर्षा दर्ज की गई, उसके बाद अरुणाचल प्रदेश में 40% कम वर्षा दर्ज की गई।
  • इसके विपरीत, राजस्थान में सामान्य से 68% अधिक वर्षा हुई, जो सभी राज्यों में सर्वाधिक है। वहीं, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में असाधारण रूप से 413% अधिक वर्षा दर्ज की गई, जो पूरे देश में सर्वाधिक है।  
  • इनके अतिरिक्त, उत्तर-पश्चिमी भारत के छह राज्यों सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य से 20% से लेकर 59% तक अधिक वर्षा हुई, जबकि 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य वर्षा दर्ज की गई।
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