अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2025
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने 8-9 सितंबर 2025 को अंतरिक्ष पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 के बारे में
- अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 की थीम थी:”वैश्विक प्रगति के लिए अंतरिक्ष का उपयोग: नवाचार, नीति और विकास।”
- सम्मेलन में इसरो (ISRO), भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe), और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) की अहम भूमिकाओं को रेखांकित किया गया, जो भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को आगे बढ़ाने में सक्रिय हैं। इनकी प्रमुख भूमिकाएँ है: उपग्रह निर्माण, अंतरिक्ष मिशनों का निष्पादन, अंतरिक्ष अन्वेषण, उद्योग की भागीदारी इन सभी के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को मज़बूती मिल रही है।
- सम्मेलन में IN-SPACe द्वारा निर्धारित भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के दशकीय दृष्टिकोण (Decadal Vision) के प्रमुख क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया गया।
- इस वर्ष सम्मेलन के लिए डेनमार्क को अतिथि देश (Guest Country) के रूप में आमंत्रित किया गया है।
• महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष लक्ष्य:
- 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Space Station) की स्थापना।
- 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर उतारना।
- मंगल, शुक्र और क्षुद्रग्रहों (Asteroids) की आगामी अन्वेषण मिशन।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (गगनयान) को जारी रखना।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII)
- स्थापना: वर्ष 1895 में हुई, CII का उद्देश्य भारत के विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना और उसे बनाए रखना है। यह उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के साथ सलाहकारी और परामर्श प्रक्रियाओं के माध्यम से साझेदारी करता है।
- CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-प्रेरित और उद्योग-प्रबंधित संगठन है, जिसमें निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों के सदस्य शामिल हैं, जिनमें लघु एवं मध्यम उद्यम (SMEs) और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (MNCs) भी शामिल हैं।
CII का मिशन:
- उद्योग और समाज के लिए एकमात्र सेवा मंच प्रदान करना
- ग्राहक-केंद्रित संगठन बनना
- विश्व-स्तरीय सेवाएं प्रदान करना
- वैश्विक दृष्टिकोण और स्थानीय क्रियान्वयन
- एक शिक्षण और देखभाल करने वाला संगठन बनना
- साझेदारी आधारित दृष्टिकोण अपनाना
यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस में UPI–UPU एकीकरण
संदर्भ:
भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री ने दुबई वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में 28वें यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस में UPI–UPU एकीकरण परियोजना का अनावरण किया।
UPI–UPU एकीकरण के बारे में
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने पहली बार यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस (UPU) की मेज़बानी की, जिसमें 192 सदस्य देशों से 2,000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। इसका उद्देश्य वैश्विक डाक सेवाओं के भविष्य की दिशा तय करना था।
- भारत के संचार मंत्री ने इस कांग्रेस में UPI–UPU एकीकरण परियोजना (Integration Project) का अनावरण किया, जिसका उद्देश्य विश्वभर में सीमापार भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है।
- इस पहल का उद्देश्य भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) को UPU इंटरकनेक्शन प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत करना है, ताकि एक सुरक्षित और सुलभ सीमा-पार प्रेषण चैनल तैयार किया जा सके। इससे करोड़ों भारतीय परिवारों को लाभ मिलेगा और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
- यह पहल भारतीय डाक विभाग (DoP), एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL), और यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है।
- भारत ने इस अवसर पर कैरेबियन, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के साझेदार देशों के साथ सहयोग पत्र (Letters of Intent) पर हस्ताक्षर किए और नई दिल्ली में UPU का एक क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने में सफलता प्राप्त की, जिससे वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज को और मजबूती मिलेगी।
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU)
- यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना 1874 में हुई थी, और इसका मुख्यालय बर्न, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- यह डाक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मुख्य मंच है और दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी अंतरराष्ट्रीय संस्था है।
- UPU के वर्तमान में 192 सदस्य देश हैं; भारत ने 1 जुलाई 1876 को सदस्यता ग्रहण की थी।
UPU की चार प्रमुख संस्थाएँ:
- कांग्रेस (Congress): यह UPU की सर्वोच्च संस्था है और हर चार वर्ष में एक बार इसका बैठक होता है।
- प्रशासनिक परिषद (Council of Administration): यह कांग्रेस के बीच UPU की निरंतरता सुनिश्चित करती है। यह UPU के कार्यों की देखरेख करती है और इसके विनियामक, प्रशासनिक, विधायी और कानूनी मामलों की समीक्षा करती है।
- डाक संचालन परिषद (Postal Operations Council): यह UPU की तकनीकी और संचालन संबंधी निकाय है। इसमें 48 सदस्य देश होते हैं जिन्हें कांग्रेस द्वारा निर्वाचित किया जाता है।
- अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो (International Bureau): यह UPU का सचिवालय होता है। यह सभी निकायों को लॉजिस्टिक और तकनीकी समर्थन प्रदान करता है।
अंगीकार 2025 अभियान
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने लंबित घरों का निर्माण पूरा करने और लाभार्थी जागरूकता बढ़ाने के लिए PMAY-U 2.0 के तहत अंगीकार 2025 अभियान का शुभारंभ किया।
अभियान के बारे में
• अंगीकार 2025 का उद्देश्य है प्रधान मंत्री आवास योजना – शहरी (PMAY-U) 2.0 के बारे में व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता फैलाना और आवेदनों के सत्यापन की प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करना।
• यह अभियान PMAY-U के अंतर्गत स्वीकृत मकानों के निर्माण में तेजी लाने की दिशा में भी कार्य करता है।
• इसके तहत, हितधारकों को क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर लो-इनकम हाउसिंग (CRGFTLIH) योजना की जानकारी भी दी जाएगी।
• यह अभियान सरकार के उस संकल्प को और मज़बूती देता है, जिसमें
- कार्यान्वयन में मौजूद खामियों को दूर करना,
- कमज़ोर वर्गों को आवास लाभ पहुंचाना (जैसे कि पीएम सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना का लाभ),
- और विशेष ध्यान समूहों (Special Focus Groups) को प्राथमिकता देना शामिल है।
• इस अभियान के अतिरिक्त, PMAY-U आवास दिवस भी 17 सितंबर 2025 को देशभर में मनाया जाएगा, जो PMAY-U 2.0 की पहली वर्षगांठ का प्रतीक होगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी ((PMAY-U) 2.0
- PMAY-U 2.0 पूर्ववर्ती PMAY-U मिशन का विस्तार एवं निरंतरता है, जिसे 2015 में पात्र शहरी गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को किफायती मकान बनाने, खरीदने या किराये पर लेने के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था।
- आवास संबंधी अंतर को पाटने और शहरी गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों को किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 अगस्त 2024 को PMAY-U 2.0 को मंजूरी दी थी।
- इसका लक्ष्य पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश और 2.30 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ 1 करोड़ घर बनाना है, तथा चार कार्यक्षेत्रों के माध्यम से किफायती आवास सुनिश्चित करना है: लाभार्थी-नेतृत्व निर्माण (BLC), साझेदारी में किफायती आवास (AHP), किफायती किराया आवास (ARH), और ब्याज सब्सिडी योजना (ISS)।
- इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, निम्न और मध्यम आय वर्ग तथा असुरक्षित समूहों को प्राथमिकता देकर समावेशिता सुनिश्चित करना है; टिकाऊ, आपदा-प्रतिरोधी आवास को बढ़ावा देना है; “सभी के लिए आवास” और शहरी विकास दृष्टिकोण को मजबूत करना है।
द वल्चर नेटवर्क
संदर्भ:
हाल ही में, वी फाउंडेशन इंडिया के नेतृत्व में संगठनों के एक समूह ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के सहयोग से भारत का पहला समर्पित गिद्ध संरक्षण पोर्टल, “द वल्चर नेटवर्क” लॉन्च किया।
द वल्चर नेटवर्क के बारे में
- यह एक क्लाउड-आधारित प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे भारत में पाए जाने वाले सभी नौ गिद्ध प्रजातियों पर आधारित एक समग्र ज्ञान और जागरूकता केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।
- इस पोर्टल की स्थापना गिद्ध संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध व्यक्तियों और संगठनों का सहयोगात्मक नेटवर्क बनाने के उद्देश्य से की गई है।
- इस नेटवर्क को असम बर्ड मॉनिटरिंग नेटवर्क, लासा फाउंडेशन, सुरक्षा समिति, बिहोंगो बंधु, और कई स्थानीय संरक्षणवादियों के सहयोग से विकसित किया गया है।
- यह पोर्टल वैज्ञानिक आंकड़ों को एकत्र करने, जागरूकता बढ़ाने, और संरक्षण अभियानों के लिए निःशुल्क सुलभ प्रचार सामग्री प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह पोर्टल स्थानीय भाषाओं (शुरुआत में असमिया) में जानकारी के प्रचार पर विशेष ज़ोर देता है, ताकि जमीनी स्तर पर समझ और सहभागिता को मज़बूती मिले।
- पोर्टल में पतली चोंच वाले गिद्ध (Slender-billed Vulture) पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिनकी जंगली आबादी वर्तमान में केवल लगभग 800 वयस्कों तक सीमित रह गई है।
भारत में गिद्ध संरक्षण से संबंधित प्रमुख पहलें
- डाईक्लोफेनाक पर प्रतिबंध: डाईक्लोफेनाक से उपचारित पशुओं के अवशेष खाने वाले गिद्धों को गंभीर किडनी फेल्योर हो सकता है, जिससे उनकी त्वरित मृत्यु होती है। इससे सड़न की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और रोगों के प्रसार का खतरा बढ़ जाता है। इस कारण, भारत सरकार ने पशु-उपयोग हेतु डाईक्लोफेनाक पर प्रतिबंध लगाया है।
- गिद्ध सुरक्षित क्षेत्र (Vulture Safe Zones): देशभर में अब तक आठ गिद्ध सुरक्षित क्षेत्र स्थापित किए जा चुके हैं, और लक्ष्य है कि हर राज्य में कम से कम एक ऐसा क्षेत्र स्थापित किया जाए।
- प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र: सरकार ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में गिद्धों के बचाव एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें प्रमुख केंद्र हैं: पिंजौर (हरियाणा), भोपाल (मध्य प्रदेश), गुवाहाटी (असम), हैदराबाद (तेलंगाना)
- भारत में पाए जाने वाले गिद्धों की प्रजातियाँ: सफेद पीठ वाला गिद्ध (White-rumped Vulture), पतली चोंच वाला गिद्ध (Slender-billed Vulture), लाल सिर वाला गिद्ध (Red-headed Vulture), हिमालयन ग्रिफॉन (Himalayan Griffon), भारतीय गिद्ध (Indian Vulture), सिनेरीअस गिद्ध (Cinereous Vulture), यूरेशियन ग्रिफॉन (Eurasian Griffon), इजिप्शियन वल्चर (Egyptian Vulture), बियर्डेड वल्चर (Bearded Vulture)
नेटवर्क का महत्व
• यह गिद्ध संरक्षण हेतु राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्क स्थापित करने वाली अपनी तरह की पहली डिजिटल पहल है।
• यह जैव विविधता की रक्षा के लिए समुदाय की भागीदारी और वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देती है।
• यह भारत की निम्नलिखित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को समर्थन प्रदान करती है:
- प्रवासी प्रजातियों पर अभिसमय (Convention on Migratory Species – CMS)
- राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना (National Biodiversity Action Plan)