द्वैध उपयोग वाली अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
संदर्भ:
हाल ही में, रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार – रक्षा नवाचार संगठन (iDEX-DIO) ने द्वैध उपयोग वाली अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए EdCIL (इंडिया) लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
समझौता ज्ञापन के बारे में
- समझौता ज्ञापन का उद्देश्य द्वैध उपयोग (वाणिज्यिक और रक्षात्मक दोनों) वाली अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का विकास करना और रक्षा विशेषज्ञता को उभरते शिक्षा-तकनीक समाधानों से जोड़ना है।
- समझौता ज्ञापन पर नए ASPIRE (अनुसंधान और शिक्षा में रणनीतिक प्रगति में तेजी लाना) कार्यक्रम के तहत हस्ताक्षर किए गए।
- इसका उद्देश्य iDEX के नवाचार मॉडल को नागरिक क्षेत्र तक विस्तारित करना, महत्वपूर्ण चुनौतियों को लक्षित करना और नवीन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए दोनों संगठनों की शक्तियों और विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।
iDEX (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार)
- iDEX को 2018 में रक्षा मंत्रालय की एक प्रमुख पहल के रूप में लॉन्च किया गया था और इसे रक्षा नवाचार संगठन (DIO) के माध्यम से कार्यान्वित किया गया था।
- इसका उद्देश्य स्वदेशी रक्षा नवाचार का संवर्धन, स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और सशस्त्र बलों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और द्वैध उपयोग वाली अत्याधुनिक तकनीकों का विकास करना है।
EdCIL (इंडिया) लिमिटेड
- EdCIL (इंडिया) लिमिटेड की स्थापना 1981 में भारत सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में परामर्श और तकनीकी सेवाएँ प्रदान करने के लिए की गई थी।
- यह शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक मिनी रत्न श्रेणी-I केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) है।
- इसका उद्देश्य भारत और विदेशों में शिक्षा के समग्र क्षेत्र में परियोजना प्रबंधन, परामर्श और एड-टेक समाधान प्रदान करना है।
सामाजिक सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए योजनाएँ
संदर्भ:
हाल ही में, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने दो प्रमुख पहलों – SPREE-2025 और एमनेस्टी योजना-2025 की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है, साथ ही उद्योगों को मुकदमेबाजी के बोझ से राहत प्रदान करना है।
SPREE-2025 (नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पंजीकरण के संवर्धन के लिए योजना)
- ईएसआईसी द्वारा अनुमोदित SPREE 2025, ईएसआई अधिनियम के तहत सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करने के उद्देश्य से एक विशेष पहल है।
- यह योजना 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक प्रभावी रहेगी और अपंजीकृत नियोक्ताओं और कर्मचारियों (संविदा और अस्थायी श्रमिकों सहित) को निरीक्षण या पिछले बकाया की मांग का सामना किए बिना एक बार नामांकन का अवसर प्रदान करती है।
• SPREE 2025 के तहत
- नियोक्ता अपनी इकाइयों और कर्मचारियों को ईएसआईसी पोर्टल, श्रम सुविधा और एमसीए पोर्टल के माध्यम से डिजिटली पंजीकृत कर सकते हैं।
- पंजीकरण नियोक्ता द्वारा घोषित तिथि से वैध माना जाएगा।
- पंजीकरण से पहले की अवधि के लिए कोई योगदान या लाभ लागू नहीं होगा।
- पूर्व-पंजीकरण अवधि के लिए पिछले रिकॉर्ड का कोई निरीक्षण या मांग नहीं की जाएगी।
• यह योजना दंडात्मक उपायों के बजाय स्वैच्छिक अनुपालन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे मुकदमेबाजी कम होती है और नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच विश्वास को बढ़ावा मिलता है।
एमनेस्टी (AMNESTY) योजना -2025
- यह एकमुश्त विवाद समाधान तंत्र है जिसका उद्देश्य ईएसआई अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति, ब्याज और कवरेज से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है।
- एमनेस्टी योजना-2025, 1 अक्टूबर 2025 से 30 सितंबर 2026 तक प्रभावी रहेगी।
- नियोक्ताओं को लंबित विवादों को सुलझाने और अपनी अनुपालन स्थिति को नियमित करने का अवसर प्रदान किया जाता है।
- इस पहल का उद्देश्य मुकदमेबाजी के बोझ को कम करना, सहयोग को बढ़ावा देना और कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभों का सुचारू वितरण सुनिश्चित करना है।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC)
- कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है।
- यह कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 को शासित करता है, जो कर्मचारियों को स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करता है।
- ईएसआईसी चिकित्सा देखभाल, बीमारी लाभ, मातृत्व लाभ, अक्षमता लाभ और आश्रितों के लाभ जैसे लाभ प्रदान करता है।
- इसका वित्तपोषण नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के योगदान से होता है, जिससे यह एक अंशदायी सामाजिक सुरक्षा योजना बन जाती है।
भारत का पहला विदेशी अटल नवाचार केंद्र
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में भारत के पहले विदेशी अटल इनोवेशन सेंटर का उद्घाटन किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस यात्रा का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ करना, शैक्षणिक उत्कृष्टता और नवाचार को बढ़ावा देना और साझेदारी के नए अवसरों की तलाश करना है।
- मंत्री ने भारत में अटल टिंकरिंग लैब्स की सफलता से प्रेरित होकर, संयुक्त अरब अमीरात के भारतीय स्कूलों में अटल इनोवेशन लैब्स का शुभारंभ किया।
- फोकस के प्रमुख क्षेत्रों में भारतीय पाठ्यक्रम वाले स्कूलों का विस्तार, छात्र और शिक्षकों की आवाजाही को बढ़ावा देना, नई शिक्षा नीति की प्राथमिकताओं के साथ पाठ्यक्रम और योग्यताओं का सामंजस्य स्थापित करना शामिल था।
- मंत्री ने दो प्रमुख शैक्षणिक कार्यक्रम भी शुरू किए: ऊर्जा और स्थिरता में पीएचडी कार्यक्रम और रासायन इंजीनियरिंग में बी.टेक कार्यक्रम।
अटल नवाचार केंद्र (AIC)
- भारत के अटल नवाचार मिशन (AIM) के अंतर्गत अटल नवाचार केंद्र एक सरकार समर्थित इनक्यूबेशन केंद्र है जो स्टार्टअप्स को विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा, मार्गदर्शन, निवेशकों तक पहुँच और अन्य आवश्यक संसाधन प्रदान करके नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देता है।
- अटल नवाचार मिशन, भारत सरकार द्वारा नीति आयोग के तहत 2016 में स्थापित एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य नवाचार और उद्यमिता की राष्ट्रव्यापी संस्कृति को बढ़ावा देना है।
आदि संस्कृति
संदर्भ:
हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय कला रूपों के डिजिटल शिक्षण के लिए मंच आदि संस्कृति का बीटा संस्करण लॉन्च किया।

आदि संस्कृति मंच के बारे में
- ‘आदि संस्कृति’ के बीटा संस्करण का शुभारंभ नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर किया गया।
- ‘आदि संस्कृति’ एक उन्नत डिजिटल शिक्षण मंच है, जिसका उद्देश्य जनजातीय कला रूपों एवं धरोहर का संरक्षण, आजीविका को सशक्त बनाना तथा भारत की जनजातीय समुदायों को वैश्विक मंच से जोड़ना है।
- ‘आदि संस्कृति’ को विश्व की पहली ऐसी डिजिटल यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों की संस्कृति एवं पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण और संवर्धन करना है। साथ ही यह एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस के रूप में कार्य करेगा, जिससे जनजातीय शिल्पकारों द्वारा निर्मित उत्पादों को वैश्विक पहुंच प्राप्त हो सकेगी।
• इस मंच के तीन प्रमुख घटक हैं:
- आदि विश्वविद्यालय (डिजिटल ट्राइबल आर्ट अकादमी): वर्तमान में यह मंच जनजातीय नृत्य, चित्रकला, शिल्प, संगीत और लोककथाओं पर आधारित 45 इनोवेटिव कोर्सेज प्रदान कर रहा है।
- आदि संपदा (सामाजिक-सांस्कृतिक रिपॉजिटरी): यह मंच पाँच प्रमुख विषयों—चित्रकला, नृत्य, वस्त्र एवं परिधान, कलाकृतियाँ तथा आजीविका—पर आधारित 5,000 से अधिक दस्तावेजों का संग्रह है।
- आदि हाट (ऑनलाइन मार्केटप्लेस): वर्तमान में यह TRIFED से संबद्ध है और इसे जनजातीय शिल्पकारों के लिए एक समर्पित डिजिटल मार्केटप्लेस के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिससे स्थायी आजीविका और उपभोक्ताओं तक सीधी पहुंच सुनिश्चित हो सके।
• ‘आदि संस्कृति’ का विकास राज्य स्तरीय जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRIs) के सहयोग से किया गया है।
• 15 राज्यों—आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश सहित—के TRIs ने सामग्री प्रलेखन, कलाकृतियों के संग्रहण एवं डिजिटल मैपिंग में योगदान दिया है।
बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना
संदर्भ:
हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने मिजोरम की राजधानी आइजोल को पहली बार राष्ट्रीय रेलवे ग्रिड से जोड़ने के लिए बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन किया।
बैराबी-सैरांग रेलवे परियोजना के बारे में

- 51.38 किलोमीटर लंबी रेल लाइन, असम-मिज़ोरम सीमा पर स्थित बैराबी से लेकर आइजॉल के निकट सईरांग तक विस्तृत है। इस परियोजना से सड़क मार्ग से छह–सात घंटे लगने वाला सफर अब रेल मार्ग से मात्र दो घंटे में पूरा होगा।
- इस ऐतिहासिक विकास के साथ, आइजॉल पूर्वोत्तर भारत की चौथी राजधानी (गुवाहाटी, अगरतला और ईटानगर के बाद) बन गई है, जिसे भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ा गया है।
• रेल मंत्रालय द्वारा तीन नई यात्री रेल सेवाओं की घोषणा की गई है, जो हैं:
- आइजॉल–दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस
- आइजॉल–कोलकाता एक्सप्रेस
- आइजॉल–गुवाहाटी एक्सप्रेस इन सेवाओं के साथ-साथ मालगाड़ियों (Freight Trains) का संचालन भी 14 सितंबर, 2025 से प्रारंभ हो गया है।
• पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए रेलवे बजट आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है—2014 से पूर्व लगभग ₹2,000 करोड़ वार्षिक आवंटन होता था, जो अब बढ़कर लगभग ₹10,000 करोड़ हो गया है।
• मिज़ोरम की पहली मालगाड़ी (फ्रेट ट्रेन) का संचालन 14 सितंबर, 2025 को आरंभ हुआ, जिससे अब सीमेंट, इस्पात और घरेलू वस्तुओं का परिवहन कम लागत और अधिक सुविधा के साथ किया जा सकेगा।
• बैराबी–सईरांग रेल लाइन के विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है और इसके 2025 के अंत तक पूर्ण होने की संभावना है। इसके साथ ही, क्षेत्र में वंदे भारत (स्लीपर संस्करण) जैसी आधुनिक रेल सेवाओं के संचालन का मार्ग प्रशस्त होगा।
परियोजना का महत्व
- व्यापार एवं अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: यह परियोजना सस्ती लॉजिस्टिक्स, बेहतर बाजार तक पहुंच, और सुव्यवस्थित माल परिवहन को संभव बनाकर व्यवसायों तथा आजीविकाओं को सशक्त बनाती है।
- सामाजिक लाभ: यह संपर्क सुविधा छात्रों, रोगियों और पेशेवरों की आवाजाही को सरल बनाती है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों तक आसान पहुंच सुनिश्चित होती है।
- पर्यटन को प्रोत्साहन: यह रेल संपर्क मिज़ोरम में पर्यटकों की आमद को बढ़ावा देगा, क्योंकि यह राज्य को तेजी और किफायती तरीके से शेष भारत से जोड़ता है।
- रणनीतिक विकास: यह परियोजना मिज़ोरम को भारत के अन्य भागों से सुदृढ़ रूप से जोड़ने में सहायक है, जिससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलती है और राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलती है।