नई चेतना 4.0 अभियान
संदर्भ: हाल ही में ग्रामीण विकास तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने नई दिल्ली में नई चेतना 4.0 का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और महिलाओं के सशक्तिकरण को मजबूत करना है।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह अभियान लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है और इसका लक्ष्य DAY-NRLM के तहत स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण करना है।
- बारह मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करने तथा लैंगिक भेदभाव और हिंसा को समाप्त करने के लिए संपूर्ण-सरकार दृष्टिकोण अपनाने हेतु एक अंतर-मंत्रालयी संयुक्त सलाह जारी की गई।
- लैंगिक भेदभाव और हिंसा को समाप्त करने के लिए, बारह मंत्रालयों और विभागों के बीच सामंजस्य बिठाने और संपूर्ण-सरकार दृष्टिकोण अपनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी संयुक्त एडवाइजरी जारी की गई।
• हिंसा-मुक्त ग्राम पहल के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय, तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच एक अंतर-मंत्रालयीय त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन– आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
- इस पहल का लक्ष्य उद्देश्य ऐसे मॉडल गाँव विकसित करना है जहाँ लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा, अधिकारों और सशक्तिकरण के अवसरों तक पहुँच हो।
नई चेतना 4.0 के उद्देश्य
- अभियान का उद्देश्य लैंगिक आधारित हिंसा से निपटने और महिलाओं की गरिमा व सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सामुदायिक प्रयासों में तेजी लाना है।
- यह अभियान ग्रामीण महिलाओं के लिए सुरक्षित जीवनशैली को बढ़ावा देता है और उन्हें परिवार तथा समुदाय की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता मानता है।
- इस पहल का उद्देश्य जागरूकता और सामुदायिक साझेदारी के माध्यम से अवैतनिक देखभाल कार्य के बोझ को साझा करना है।
- यह कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर निर्णय-लेने में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए लिंग अनुरूप नीतियों और बजट का समर्थन करता है।
समुद्री सुरक्षा सहयोग पर बिम्सटेक की बैठक
संदर्भ: हाल ही में, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (नई दिल्ली) ने वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता की अध्यक्षता में 24 से 25 नवंबर 2025 तक BIMSTEC समुद्री सुरक्षा सहयोग विशेषज्ञ समूह की चौथी बैठक की मेजबानी की।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह आयोजन समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में प्रमुख फोकस क्षेत्रों के तहत चिन्हित लक्ष्यों पर परिणामोन्मुख चर्चाओं के एक अन्य दौर की सफल समाप्ति का प्रतीक थी।
- चर्चाएँ समुद्री सुरक्षा संबंधी विभिन्न मुद्दों, जिनमें आपदा राहत और आपातकालीन सहायता (HADR) का पहलू शामिल हैं, पर दिशानिर्देशों को अपनाने पर केंद्रित रही।
- इस बैठक का सफल आयोजन दर्शाता है कि बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री क्षेत्र को साझा संबंधों का मुख्य केंद्र माना जाता है। यह क्षेत्र में सामूहिक समुद्री सुरक्षा प्रयासों में एक बड़ी उपलब्धि है।
BIMSTEC के बारे में
- बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 06 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी।
- इसका लक्ष्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समानता और भागीदारी की भावना के साथ संयुक्त प्रयासों के माध्यम से आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति को गति देना है।
- शुरुआत में इसे BIST-EC (बांग्लादेश-भारत-श्रीलंका-थाईलैंड इकॉनोमिक कोऑपरेशन) के नाम से जाना जाता था। संगठन में अब सात सदस्य देश शामिल हैं। म्यांमार 22 दिसंबर 1997 और भूटान तथा नेपाल फरवरी 2004 में इसमें शामिल हुए।
- सदस्य देश: बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल।
गणेश वासुदेव मावलंकर का 137वीं जयंती
संदर्भ: लोकसभा अध्यक्ष ने 27 नवंबर को अपने जन्मदिन के अवसर पर लोकसभा के पहले अध्यक्ष श्री गणेश वासुदेव मावलंकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

गणेश वासुदेव मावलंकर के बारे में
- जी. वी. मावलंकर का जन्म 27 नवंबर 1888 को बड़ौदा में हुआ था और बाद में उन्होंने अहमदाबाद में उच्च शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने विज्ञान में स्नातक की डिग्री के साथ प्रथम श्रेणी में कानून की डिग्री ली।
- उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वकील और विधि के प्रोफेसर दोनों के रूप में की, और अपने शैक्षणिक अनुशासन और सार्वजनिक जीवन के प्रति प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की।
- 1920 से 1922 तक उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और असहयोग आंदोलन तथा खैरा नो-रेंट मूवमेंट जैसे प्रमुख अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
- 1921–1922 में, उन्होंने गुजरात प्रांतीय कांग्रेस समिति के सचिव के रूप में कार्य किया।
- 1937 में, उन्हें बॉम्बे प्रांत विधान सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।
- जनवरी 1946 में, उन्हें केंद्रीय विधायी सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।
- 1946 से 1950 तक, उन्होंने संविधान सभा (विधायी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और संविधान का मसौदा तैयार करते समय हुई महत्वपूर्ण विधायी बहसों की देखरेख की।
- 1950 से 1952 के बीच, संविधान लागू होने के बाद, वे अस्थायी संसद के अध्यक्ष बने।
- 15 मई 1952 को, उन्हें सर्वसम्मति से प्रथम लोकसभा का प्रथम अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।
- 1952 से 1956 तक, उन्होंने संसदीय परिपाटियों को आकार दिया, नियम समिति और कार्य मंत्रणा समिति जैसी प्रमुख समितियों का गठन किया, और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा तथा धन्यवाद प्रस्ताव जैसी प्रथाओं की शुरुआत की।
- इस अवधि के दौरान, उन्होंने शैक्षिक विकास में भी योगदान दिया और अहमदाबाद एजुकेशन सोसाइटी के संस्थापक एवं अध्यक्ष के रूप में सेवारत रहे।
- लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए 1956 में उनका निधन हो गया।
ब्रह्मोस मिसाइल समझौता
संदर्भ: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के लिए भारत और इंडोनेशिया के बीच एक प्रमुख रक्षा समझौते पर चर्चा चल रही हैं।
अन्य संबंधित जानकारी
- भारत और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रियों ने नई दिल्ली में तीसरा भारत–इंडोनेशिया रक्षा मंत्री संवाद आयोजित किया।
- दोनों पक्षों ने इंडोनेशिया द्वारा प्रस्तावित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की खरीद के अंतिम विवरणों पर चर्चा की।
- इंडोनेशियाई पक्ष ने नौसैनिक संस्करण में गहरी रुचि दिखाई, जिसे पहले दिए जाने की संभावना है, साथ ही उन्होंने अपने Su-30 लड़ाकू विमानों में एकीकृत करने के लिए हवाई-प्रक्षेपित संस्करण का मूल्यांकन भी किया।
- समझौता होने के बाद, इंडोनेशिया ब्रह्मोस हासिल करने वाला दूसरा आसियान देश बन जाएगा। इससे पहले फिलीपींस ने 2022 में तीन बैटरियों की खरीद की थी।
- इंडोनेशिया आधुनिक मिसाइल प्रणालियों के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में समुद्री और वायु निरोध क्षमता को मजबूत करना चाहता है।
ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में
- भारत के DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल, विश्व की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जिसकी गति 2.8 Mach (लगभग 3,450 किमी/घंटा) तक होती है। यह भूमि, समुद्र और तटीय लक्ष्यों पर सटीक हमले करने में सक्षम है।
- मिसाइल को तीनों भारतीय सेनाओं में परिचालन में लाया गया है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान निर्दिष्ट लक्ष्यों पर हमला करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया गया था।
- ब्रह्मोस एयरोस्पेस अगली पीढ़ी के संस्करण को अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कई देशों में निर्यात करने की दिशा में काम कर रहा है।
टेट्रापॉड के आकार के नैनो पार्टिकल
संदर्भ: हाल ही में, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी मद्रास और आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने बताया कि टेट्रापॉड के आकार के नैनोपार्टिकल्स, बहुलकों की श्यानता (Viscosity) को कम करते हैं और प्लास्टिक प्रसंस्करण को आसान तथा कम ऊर्जा-गहन बनाने में सहायक हो सकते हैं।
अन्य संबंधित जानकारी
- आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी मद्रास और आईआईटी कानपुर द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन में दर्शाया गया है कि पॉलिस्टायरीन जैसे बहुलकों में टेट्रापॉड आकार के नैनोपार्टिकल्स जोड़ने से श्यानता कम होती है और उनका प्रवाह बेहतर होता है।
- अध्ययन ने यह प्रदर्शित किया कि गोल या छड़ के आकार के नैनोपार्टिकल्स (जो आमतौर पर श्यानता बढ़ाते हैं) के विपरीत टेट्रापॉड, मोटी पॉलिमर श्रृंखलाओं को स्वतंत्र रूप से चलने में सक्षम बनाते हैं।
- इस शोध का नेतृत्व आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर मिथुन चौधरी ने किया, जिसमें तीनों संस्थानों के कई शोधकर्ताओं ने योगदान दिया।

अध्ययन के मुख्य बिंदु
- अध्ययन में पाया गया कि टेट्रापॉड के आकार के नैनोपार्टिकल्स बहुलक की श्यानता को कम करते हैं और इससे औद्योगिक प्रसंस्करण के दौरान पिघले हुए प्लास्टिक को पिघलाने, मिश्रित करने और आकार देने में आसानी होती है।
- टीम ने बताया कि लंबी बहुलक श्रृंखलाएँ टेट्रापॉड के अंदरूनी वक्रों से बचती हैं, जिससे श्रृंखला में भीड़ कम होती है और बहुलक अणु आसानी से फिसलते हैं।
- शोधकर्ताओं ने नियंत्रण प्रयोगों के माध्यम से पुष्टि की कि गोल और छड़ के आकार के नैनोपार्टिकल्स श्यानता बढ़ाते हैं, और केवल टेट्रापॉड ही बहुलक के प्रवाह को आसान बनाते हैं।
- अध्ययन में सिमुलेशन का उपयोग करके दिखाया गया कि नैनोपार्टिकल्स का ज्यामितीय आकार बहुलक के व्यवहार और सूक्ष्म स्तर पर प्रवाह पैटर्न को कैसे प्रभावित करता है।
- इस अध्ययन से पता चलता है कि कोटिंग्स, आसंजक (Adhesives) या 3D प्रिंटिंग सामग्री जैसी उन सामग्रियों के लिए, जिनमें सटीक प्रवाह नियंत्रण की आवश्यकता होती है, श्यानता को नियंत्रित करने के लिए टेट्रापॉड के आकार के नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया जा सकता है।
- शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि टेट्रापॉड्स जोड़ने के बाद पॉलिस्टायरीन के यांत्रिक और तापीय गुण अपरिवर्तित बने रहते हैं, जो दर्शाता है कि इनका पॉलिमर के स्थायित्व पर कोई असर नहीं पड़ता है।
25वाँ ग्रीष्मकालीन बधिर ओलंपिक्स (डेफलिंपिक्स) 2025
संदर्भ: हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने टोक्यो, जापान में आयोजित 25वें ग्रीष्मकालीन बधिर ओलंपिक्स (Deaflympians) 2025 में उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए बधिर भारतीय एथलीटों को बधाई दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- भारत ने कुल 20 पदकों के साथ 6वाँ स्थान हासिल किया, जिसमें 9 स्वर्ण, 7 रजत और 4 कांस्य पदक शामिल थे। सर्वोच्च स्थान यूक्रेन ने प्राप्त किया, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान का स्थान रहा।
- कुल 73 भारतीय एथलीट – 45 पुरुष और 28 महिलाएँ – ने डेफलिम्पिक्स 2025 में 11 खेलों में पदकों के लिए प्रतिस्पर्धा की, जोकि 15 से 26 नवंबर तक आयोजित किया गया था।
- टोक्यो 2025 संस्करण 25वाँ ग्रीष्मकालीन डेफलिम्पिक्स था, जो 1924 में पेरिस में आयोजित उद्घाटन संस्करण के 101 वर्ष बाद हुआ है।।

बधिर ओलंपिक्स (डेफलिम्पिक्स) 2025 के बारे
- डेफलिम्पिक्स एक अंतरराष्ट्रीय मल्टी सपोर्ट इवेंट है जिसे अंतरराष्ट्रीय बधिर खेल समिति (ICSD) द्वारा हर चार साल में बधिर खिलाड़ियों के लिए आयोजित किया जाता है।
- इन गेम्स में 21 खेल थे और सभी प्रतियोगिताओं में दृश्य संचार प्रणाली जैसे स्टार्टिंग लाइट, झंडे और अंतरराष्ट्रीय संकेत भाषा (International Sign) का उपयोग किया गया।
- इनमें शीर्ष स्थान यूक्रेन ने प्राप्त किया, जिसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान का स्थान रहा।
- प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए, खिलाड़ियों को यह सिद्ध करना होगा कि उनके उत्कृष्ट श्रवण क्षमता वाले कान में, बिना किसी श्रवण उपकरण के, सुनने की क्षमता में कम से कम 55 dB (डेसिबल) की कमी है।
- भारत 1965 में डेफलिम्पिक्स में शामिल हुआ और 2025 तक इसने डेफलिम्पिक्स में कुल 52 पदक हासिल किए।
चाणक्य रक्षा संवाद-2025
संदर्भ: हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में ‘चाणक्य रक्षा संवाद-2025’ के तीसरे संस्करण का शुभारंभ किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- चाणक्य रक्षा संवाद (CDD) का आयोजन भारतीय सेना द्वारा भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र के सहयोग से किया जाता है।
- CDD-2025 का आयोजन “सुधार से परिवर्तन: “सुधार से रूपांतरण: सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत” विषय के तहत किया जा रहा है।
- यह संवाद भारत की उन्नत रक्षा तैयारियों, उसके जारी सैन्य आधुनिकीकरण, और ताकत के बल पर शांति स्थापित करने के उसके दृढ़ संकल्प पर केंद्रित था।
- भारत के राष्ट्रपति ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर योग्यता और राष्ट्रभक्ति की प्रशंसा की। उन्होंने विशेष रूप से उनकी पारंपरिक युद्ध, विद्रोही विरोधी अभियानों और मानवीय कार्यों में खुद को ढालने की क्षमता को सराहा।
- ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसने भारत की आतंकवाद रोधी क्षमता और शांति के लिए दृढ़ लेकिन जिम्मेदार तरीके से कार्रवाई करने में नैतिक स्पष्टता का प्रदर्शन किया।
- उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना, कनेक्टिविटी, पर्यटन और शिक्षा सहित राष्ट्रीय विकास में सशस्त्र बलों के व्यापक योगदान को भी रेखांकित किया।
- चाणक्य रक्षा संवाद का पहला संस्करण 2023 में नई दिल्ली के मेनेक्सॉ सेंटर में आयोजित किया गया था।
