एरोट्रैक( AroTrack)

संदर्भ:

हाल ही में, आईआईटी बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने जल-प्रदूषकों का पता लगाने के लिए एरोट्रैक नामक उपकरण विकसित किया है।

एरोट्रैक क्या है?

  • यह उपकरण प्रोटीन-आधारित बायोसेंसर का उपयोग करता है, जो पानी में कई सुगंधित प्रदूषकों की पहचान करने के लिए अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में रहने वाले बैक्टीरिया में पाए जाते हैं।
  • यह बायोसेंसिंग उपकरण फिनोल, बेंजीन, ज़ाइलेनॉल और डाइमिथाइलफेनोल जैसे हानिकारक यौगिकों का पता लगाने में सक्षम है, यहां तक कि तब भी जब ये प्रदूषक कम सांद्रता में मौजूद हों – आमतौर पर 10-200 भाग प्रति बिलियन के दायरे में। 
  • MopR बायोसेंसर: MopR एक बायोसेंसिंग मॉड्यूल है तथा फिनोल का पता लगाने के लिए एक संवेदनशील सेंसर है। यह बैक्टीरिया प्रोटीन में बेंजीन और ज़ाइलेनॉल समूहों से अन्य प्रदूषकों का भी पता लगाता है।
  • यह 50 डिग्री सेल्सियस तक के पानी के तापमान में कुशलतापूर्वक काम कर सकता है और 25-30 मिनट के भीतर कार्य पूरा कर लेता है।
  • इसमें एक प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light-Emitting Diode-LED) (एक फोटोट्रांजिस्टर) भी होता है जो नमूने के माध्यम से एक विशेष तरंगदैर्घ्य का प्रकाश प्रवाहित करता है तथा पता लगाता है कि कितना प्रकाश अवशोषित हुआ है।

विज़न पोर्टल

संदर्भ:

हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘छात्र नवाचार और आउटरीच नेटवर्क के लिए विकसित भारत पहल’ (Viksit Bharat Initiative for Student Innovation and Outreach Network’-VISION) पोर्टल का उद्घाटन किया।

विज़न पोर्टल 

  • इस पोर्टल का उद्देश्य वंचित बच्चों में शिक्षा, कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा देना है।
  • यह देश भर में वंचित छात्रों और बच्चों के बीच स्टार्ट-अप कौशल को प्रचलित बनाने में भी मदद करता है।

पोर्टल का महत्व

  • यह पोर्टल दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण तक पहुंच के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य कर सकता है।
  • यह विज़न इंडिया 2047 के तहत देश की आकांक्षाओं को साकार करने का एक अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य भारत को प्रौद्योगिकी, शिक्षा और आर्थिक विकास में वैश्विक रूप से अग्रणी देश के रूप में स्थापित करना है।

उत्कल केशरी डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती उत्सव 

संदर्भ:

भारत उत्कल केशरी डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती उत्सव मना रहा है।

अन्य संबंधित जानकारी

भारत के राष्ट्रपति ने डॉ. महताब की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक स्मारक टिकट और सिक्का जारी किया।

निम्नलिखित पुस्तकों का विमोचन किया गया:

  • हरेकृष्ण महताब: बैष्णबा चरण सामल द्वारा उड़िया में लिखित एक मोनोग्राफ जिसे साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित किया गया है।
  • गाँव मजलिस: डॉ. महताब के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता ओडिया निबंधों का तरुण कुमार साहू द्वारा अंग्रेजी अनुवाद।
  • गाँव मजलिस: इसी पुस्तक का सुजाता शिवेन द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद।

डॉ. हरेकृष्ण महताब

  • इनका जन्म ओडिशा के अगरपारा में 21 नवंबर, 1899 को हुआ था।
  • वे एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, लेखक, समाज सुधारक और पत्रकार के रूप में जाने जाते थे।
  • उन्होंने वर्ष 1924 से वर्ष 1928 तक बालासोर जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और वर्ष 1924 में बिहार और ओडिशा परिषद के सदस्य भी बने।
  • उन्होंने असहयोग आंदोलन में विदेशी उत्पादों का बहिष्कार किया और राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार भी किये गये।
  • वर्ष 1930 में वे उत्कल प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष चुने गये।
  • डॉ. हरेकृष्ण महताब ने वर्ष 1934 में अस्पृश्यता के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया और ओडिशा में अपने पैतृक मंदिर के द्वार सभी के लिए खोल दिए।
  • उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसके कारण उन्हें वर्ष 1942 से वर्ष 1945 तक अहमदनगर किला जेल में कैद रखा गया था।
  • डॉ. हरेकृष्ण महताब वर्ष 1946 से 1950 तक उड़ीसा के प्रथम मुख्यमंत्री रहे और दोबारा 1956 से 1960 तक मुख्यमंत्री रहे। अपने कार्यकाल के दौरान, महताब को 26 तत्कालीन उड़िया भाषी रियासतों के एकीकरण का नेतृत्व करके उड़ीसा की आधुनिक रूपरेखा तैयार करने का श्रेय दिया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त, उन्होंने उड़ीसा की राजधानी को कटक से भुवनेश्वर स्थानांतरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हीराकुंड बांध परियोजना, राउरकेला स्टील प्लांट आदि जैसी कई अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में भूमिका निभाई।
  • वर्ष 1983 में, उन्हें ओड़िया में अपनी प्रसिद्ध तीन-खंडीय रचना ‘गाँव मजलिस’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।

उनकी प्रसिद्ध कृति

  • उपन्यास ‘नूतन धर्म’
  • नाटक ‘स्वराज्य साधना’
  • वर्ष 1930 में उड़िया दैनिक प्रजातंत्र
  • साप्ताहिक पत्रिका रचना
  • मासिक पत्रिका झंकार

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