अन्तरिक्ष अभ्यास – 2024

संदर्भ:

रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (Defence Space Agency-DSA) ने  अंतरिक्ष अभ्यास-2024 का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

अन्तरिक्ष अभ्यास क्या है? 

  • यह पहला टेबलटॉप (जमीन से ऊपर) अभ्यास था जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष युद्ध के क्षेत्र में भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीतिक क्षमता  को मजबूत करना था।
  • इस अभ्यास में उभरती हुई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों,  जागरूकता और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर केंद्रित चर्चाएं शामिल थीं।
  • इस अभ्यास में अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के व्यवधान की स्थिति में परिचालन के संचालन में आने वाली कमजोरियों की भी पहचान की जाती है।

उद्देश्य:

  • अंतरिक्ष में राष्ट्रीय सामरिक हितों को सुरक्षित करना।
  • सैन्य अभियानों में अंतरिक्ष क्षमताओं को एकीकृत करना।
  • अंतरिक्ष आधारित परिसंपत्तियों और उनकी परिचालन निर्भरता की समझ बढ़ाना।
  • संभावित व्यवधान के दौरान अंतरिक्ष सेवाओं में अतिसंवेदनशीलता की पहचान करना।

प्रतिभागी:

  • रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और तीनों रक्षा सेवाओं (सेना, नौसेना, वायु सेना) के कार्मिक।
  • विशेषज्ञ शाखाएँ, जैसे- रक्षा साइबर एजेंसी, रक्षा खुफिया एजेंसी और सामरिक बल कमान।
  • इसरो, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि।

इस अभ्यास ने अंतर-संचालन क्षमता में सुधार, आपसी समझ को बढ़ावा देने और तीनों सेनाओं तथा रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सामंजस्य बढ़ाने के अपने उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया।

रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DSA)

  • यह भारतीय सशस्त्र बलों की एक एकीकृत त्रि-सेवा एजेंसी है।
  • मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
  • रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी अंतरिक्ष में भारत की रक्षा और आक्रामक  क्षमताओं के विस्तार के लिए प्रणालियां विकसित करने हेतु रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ सहयोग कर रहा है।
  • भूमिका: एजेंसी को भारत के अंतरिक्ष युद्ध और उपग्रह खुफिया परिसंपत्तियों के संचालन का काम सौंपा गया है।
  • कर्मचारी: यह रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी सशस्त्र बलों की सभी तीन शाखाओं से कार्मिकों को शामिल करता है।

लौंग रेंज लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइल

संदर्भ:

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LRLACM) का पहला  परीक्षण किया।

लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइल के बारें में 

मारक क्षमता और प्रदर्शन:

  • मारक क्षमता: 1,000 किमी तक सटीक हमला करने की क्षमता। 
  • वैमानिकी: बढ़ी हुई विश्वसनीयता के लिए उन्नत वैमानिकी और सॉफ्टवेयर से सुसज्जित।

विकासकर्ता: एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

प्रक्षेपण स्थल : ओडिशा के चांदीपुर तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लांचर से प्रक्षेपित।

डिजाइन और प्रक्षेपण:

  • प्रक्षेपण विन्यास: यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल का उपयोग करके मोबाइल ग्राउंड-आधारित प्लेटफार्मों और नौसैनिक जहाजों से प्रक्षेपित किया जा सकता है। 
  • नौवहन: मार्गबिंदु नौवहन और कम ऊंचाई, भूभाग-छूती उड़ान का प्रदर्शन किया गया।

सामरिक महत्व:

  • यह अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइल के समान लंबी दूरी की मारक क्षमता प्रदान करता है, जिससे भारत की मारक क्षमता में वृद्धि होती है।
  • मिसाइल के प्रदर्शन पर कई रेंज सेंसर जैसे- रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री द्वारा निगरानी की गई जिन्हें उड़ान पथ की पूर्ण पहुँच सुनिश्चित करने के लिए आईटीआर द्वारा विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया था।
  • इससे भारत की स्वदेशी मिसाइल क्षमता को बढ़ावा मिलेगा तथा क्षेत्रीय प्रतिरोध और परिचालन लचीलेपन में योगदान मिलेगा।

डिक्लिप्टेरा पॉलीमोर्फा

संदर्भ:

हाल ही में, अगरकर अनुसंधान संस्थान (पुणे) के वैज्ञानिकों ने भारत के उत्तरी पश्चिमी घाट में डिक्लिप्टेरा की एक नई प्रजाति की खोज की है।

डिक्लिप्टेरा पॉलीमोर्फा के विवरण

प्रमुख विशेषताऐं:

  • अग्नि-प्रतिरोधकता: यह एक पायरोफाइटिक प्रजाति है, जिसका अर्थ है कि यह अग्नि-प्रवण वातावरण में जीवित रहने और पनपने के लिए अनुकूलित है।
  • दोहरा प्रस्फुटन: अधिकांश पौधों के विपरीत, यह वर्ष में दो बार खिलता है: एक बार मानसून के बाद और दूसरी बार घास के मैदान में आग लगने के बाद।
  • विशिष्ट पुष्पगुच्छ: इसमें विशिष्ट स्पाइकेट (कांटेदार) पुष्पगुच्छ होता है, जो भारतीय डिक्लिप्टेरा प्रजाति में एक दुर्लभ विशेषता है।
  • उगने का स्थान: यह खुले घास के मैदानों में पनपता है।
  • अनुकूलन: यह विशेष रूप से आग के प्रति अपने विशिष्ट अनुकूलन हेतु चर्चित है।

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