संदर्भ: 

भारत और 62 अन्य देशों ने शिपिंग उद्योग पर विश्व का पहला वैश्विक कार्बन टैक्स लगाने के पक्ष में मतदान किया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह निर्णय अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के लंदन मुख्यालय में लिया गया।
  • इसने वैश्विक ईंधन मानक और ग्रीनहाउस गैस मूल्य निर्धारण तंत्र को मंजूरी दी , जिससे शिपिंग से जलवायु प्रभाव को कम किया जा सके और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जा सके ।
  • वार्ता का नेतृत्व IMO की समुद्री पर्यावरण संरक्षण समिति (MEPC) ने किया।
  • वैश्विक उत्सर्जन में शिपिंग उद्योग का योगदान 3% है तथा यह पेरिस समझौते के अंतर्गत नहीं आता है, जिससे यह शुल्क एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर पहला वैश्विक कर होगा।
  • यद्यपि तकनीकी विवरण पर अभी भी काम किया जा रहा है, तथापि आशा है कि नीति को औपचारिक रूप से अक्टूबर 2025 में अपनाया जाएगा। 
  • यह 5,000 सकल टन से अधिक भार वाले बड़े समुद्री जहाजों के लिए अनिवार्य हो जाएगा, जो अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग से होने वाले कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का 85% उत्सर्जित करते हैं।
  • सहमत रूपरेखा के तहत, यदि कोई जहाज 2028 में पारंपरिक ईंधन का उपयोग करना जारी रखता है, तो उसे ‘आधार’ और ‘प्रत्यक्ष अनुपालन’ लक्ष्यों की सीमा पार करने के आधार पर प्रति टन उत्सर्जन के लिए 100 से 380 डॉलर का भुगतान करना होगा।
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