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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।

सामान्य अध्ययन -2: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियाँ और मंच – उनकी संरचना, अधिदेश।

संदर्भ: हाल ही में एशियाई विकास बैंक , विश्व व्यापार संगठन और अन्य भागीदारों ने वैश्विक मूल्य श्रृंखला विकास रिपोर्ट का 5वां संस्करण जारी किया गया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • “जीवीसी डेवलपमेंट रिपोर्ट 2025: रिवायरिंग जीवीसी इन ए चेंजिंग ग्लोबल इकॉनमी” शीर्षक से जारी की गई यह रिपोर्ट द्विवार्षिक श्रृंखला की 5वीं रिपोर्ट है।
    • यह एशियाई विकास बैंक (ADB), यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स (UIBE) के ग्लोबल वैल्यू चेन रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपिंग इकोनॉमीज – जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (IDE-JETRO), वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) सचिवालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी की जाती है।
  • केंद्रीय निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों, जलवायु दबावों, वित्तीय अस्थिरता और COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न बाधाओं के बावजूद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (GVCs) ने उल्लेखनीय लचीलेपन का प्रदर्शन किया है।
  • रिपोर्ट में 2024 तक हस्ताक्षरित 180+ समझौतों की पहचान की गई है जो डिजिटल व्यापार, महत्वपूर्ण खनिजों और आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा से संबंधित हैं। यह पारंपरिक, व्यापक क्षेत्रीय व्यापार सौदों से हटकर एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • GVC में हालिया रुझान: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं (GVCs) आज भी विश्व अर्थव्यवस्था ka आधार बनी हुई हैं। मूल्यवर्धित (Value-added) संदर्भ में वैश्विक व्यापार में 46.3% हिस्सेदारी इन्हीं श्रृंखलाओं की है और 2022 के उच्चतम शिखर 48% के अत्यंत निकट है।
  • GVC संरचना में संरचनात्मक बदलाव: 2019 के बाद से वैश्विक मूल्य श्रृंखला भागीदारी दर में सेवाओं ने वस्तुओं को पीछे छोड़ दिया है। कोविड-19 महामारी के बाद, वस्तुओं के व्यापार में देखी गई अस्थिरता की तुलना में सेवा क्षेत्र ने अधिक निरंतर और स्थिर विकास का प्रदर्शन किया है।
    • इसके अतिरिक्त, विनिर्माण निर्यात में एक-तिहाई से अधिक हिस्सा अब सेवाओं के मूल्यवर्धन का है।
  • वैश्विक मूल्य श्रृंखला का विविधिकरण: यद्यपि उच्च-वैश्विक मूल्य श्रृंखला वाले व्यापारिक देशों की अभी भी वैश्विक GVC व्यापार में प्रमुख हिस्सेदारी है, लेकिन उनकी सामूहिक हिस्सेदारी 2010 के 76% से घटकर 2024 में 63.6% रह गई है। यह बदलाव वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में धीरे-धीरे अन्य अर्थव्यवस्थाओं के बढ़ते एकीकरण को दर्शाता है।
    • एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका वैश्विक मूल्य श्रृंखला व्यापार के बड़े हिस्से को नियंत्रित करते हैं, जबकि लैटिन अमेरिका और अफ्रीका GVC और व्यापार एकीकरण के मामले में अभी भी काफी पिछड़े हुए हैं।
  • तकनीकी परिवर्तन: डिजिटलीकरण, स्वचालन, एआई और उन्नत रोबोटिक्स जैसी तकनीकें उत्पादन प्रणालियों का कायाकल्प कर रही हैं, जिससे विनिर्माण प्रक्रियाएँ अधिक विकेंद्रीकृत लचीली बन रही हैं।
  • भारत-विशिष्ट निष्कर्ष: भारत ने वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में निरंतर अपनी भागीदारी बढ़ायी है। महामारी के बाद से भारत विश्व की शीर्ष 10 मूल्यवर्धन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है, और 2024 में वैश्विक घरेलू मूल्यवर्धन (DVA) निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2.8% हो गई है
  • वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं की चुनौतियाँ:
  • व्यापार लागत और अनिश्चितता: नीतिगत कारणों से बढ़ती व्यापारिक लागत और गहराते भू-राजनीतिक तनाव उन विकासशील क्षेत्रों के लिए एक गंभीर चुनौती हैं, जिनमें व्यापक बहुराष्ट्रीय निवेश नहीं होता है।
  • असमानता: वैश्विक मूल्य श्रृंखला व्यापार का संकेंद्रण मुख्य रूप से एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में बना हुआ है, जबकि लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे उभरते क्षेत्र निवेश एवं व्यापारिक एकीकरण के मामले में अब भी हाशिये पर हैं।
  • वित्तीय असमानता: वैश्विक व्यापार वित्त में प्रति वर्ष 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का बड़ा अंतराल, छोटी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति में स्थायी बाधा बना हुआ है।

रिपोर्ट का महत्त्व

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के पुनः वैश्वीकरणके विजन के अनुरूप: रिपोर्ट ने इस तथ्य को पुन: स्थापित किया है कि वैश्वीकरण का युग समाप्त नहीं हुआ है; बल्कि, वैश्विक अर्थव्यवस्था में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाएं अपरिहार्य बनी हुई है।
  • GVC के पुनर्गठन और विविधीकरण का संकेत: यह बदलाव, जोखिमों के शमन तथा नए निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु बाज़ार की शक्तियों और सुविचारित नीतिगत निर्णयों के समन्वय को प्रदर्शित करता है।
  • डिजिटल और सेवाओं की ओर संरचनात्मक बदलाव: वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भागीदारी के मामले में सेवाओं ने वस्तुओं को पीछे छोड़ दिया है। महामारी के बाद वित्त, दूरसंचार और आईटी जैसी डिजिटल सेवाओं ने ‘अधिक लचीलेपन’ का प्रदर्शन किया है।
  • सतत और समावेशी विकास: यह रिपोर्ट पर्यावरणीय शासन, कार्बन मूल्य निर्धारण और स्थिरता संबंधी चुनौतियों का विश्लेषण करती है क्योंकि ये हरित औद्योगिक नीतियों और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण आगत है।
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