प्रसंग:
हाल ही में प्रकाशित पहली बार ‘वैश्विक मैंग्रोव आकलन‘ के अनुसार विश्व के आधे से अधिक मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट होने की कगार पर हैं।
अध्ययन के बारे में:
- यह अध्ययन पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की पारिस्थितिकी तंत्र की लाल सूची का उपयोग करके आयोजित किया गया था।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- मैंग्रोव का महत्व: मैंग्रोव विश्व भर में कमजोर समुदायों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए महत्वपूर्ण आवास हैं।
- विलुप्ति का खतरा: आधे मैंग्रोव विलुप्ति के कगार पर हैं, जिनमें से लगभग पांच में से एक को गंभीर खतरा है ।
- जलवायु परिवर्तन से खतरे : मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र का एक तिहाई (33%) हिस्सा जलवायु परिवर्तन से खतरे में है।
जलवायु परिवर्तन और समुद्र-स्तर में वृद्धि के परिणामस्वरूप 2050 तक 1.8 बिलियन टन कार्बन भंडार की हानि होगी (मैंग्रोव में वर्तमान में संग्रहीत कुल कार्बन का 16 प्रतिशत), जिसका वर्तमान मूल्य स्वैच्छिक कार्बन बाजारों में बाजार मूल्य पर कम से कम 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। चक्रवातों/टाइफूनों/तूफानों और उष्णकटिबंधीय तूफानों की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता विश्व भर में मैंग्रोव तटरेखाओं को प्रभावित करती है।
- समुद्र स्तर पर प्रभाव: विश्व के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र वाले एक तिहाई देश गंभीर रूप से प्रभावित होंगे, तथा अगले 50 वर्षों में वैश्विक मैंग्रोव क्षेत्र का 25 प्रतिशत जलमग्न हो जाने का अनुमान है।
मैंग्रोव का महत्व:
- ये लोगों और पर्यावरण को महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करते हैं और तटीय आपदाओं के जोखिम को कम करने, बड़ी मात्रा में कार्बन को संग्रहित करने और पकड़ने तथा मछली पकड़ने की गतिविधियों को समर्थन देने में मदद करते हैं।
- मैंग्रोव लगभग 11 बिलियन टन कार्बन संग्रहित करते हैं, जो समान आकार के उष्णकटिबंधीय वनों द्वारा संग्रहित मात्रा से लगभग तीन गुना अधिक है।
- ये पारिस्थितिकी तंत्र तटीय आपदाओं से प्रतिवर्ष लगभग 15.4 मिलियन लोगों और 65 बिलियन डॉलर मूल्य की सम्पत्ति की रक्षा भी करते हैं।
- 2050 तक, जनसंख्या वृद्धि और तटीय क्षेत्रों में संपत्ति के बढ़ते मूल्यों के कारण ये संख्या बढ़कर 15.5 मिलियन और 118 बिलियन डॉलर हो सकती है।
मैंग्रोव के लिए पहल :
भारत में:
- मैंग्रोव संरक्षण के लिए सरकारी पहल
- संवर्धनात्मक प्रयासों में राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत ‘मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण एवं प्रबंधन’ नामक एक केंद्रीय योजना शामिल है ।
- विनियामक उपायों को तटीय विनियमन क्षेत्र अधिसूचना (2019) जैसे कानूनों और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986, और जैविक विविधता अधिनियम 2002 आदि जैसे अधिनियमों के माध्यम से लागू किया जाता है।
मैंग्रोव को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए ‘ मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटेट्स एंड टैंजिबल इनकम (MISHTI)’ कार्यक्रम ।
विश्व स्तर पर :
- WWF की सामुदायिक एवं जलवायु परियोजना के लिए मैंग्रोव : इसका उद्देश्य विश्व के 7% मैंग्रोव वनों की सुरक्षा करना है।
- ग्लोबल मैंग्रोव अलायंस (GMA) का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक मैंग्रोव आवरण को 20% तक बढ़ाना है।
- पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030)
- ब्लू कार्बन पहल
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